12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf

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Class 12 Hindi Question Paper 2024 Maharashtra State Board with Solutions

विभाग – १. गद्य (अंक-२०)

Time: 3 Hours
Max. Marks: 80

कृति १
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)

बड़े प्रयत्न से बनवाई रजाई, कोट जैसी नित्य व्यवहार की वस्तुएँ भी जब दूसरे ही दिन किसी अन्य का कष्ट दूर करने के लिए अंतर्धान हो गई तब अर्थ के संबंध में क्या कहा जावे, जो साधन मात्र है। वह संध्या भी मेरी स्मृति में विशेष महत्त्व रखती है जब श्रद्धेय मैथिलीशरण जी निराला जी का आतिथ्य ग्रहण करने गए।

बगल में गुप्त जी के बिछौने का बंडल दबाए, दियासलाई के क्षण प्रकाश, क्षीण अंधकार में तंग सीढ़ियों का मार्ग दिखाते हुए निराला जी हमें उस कक्ष में ले गए जो उनकी कठोर साहित्य साधना का मूक साक्षी रहा है।

आले पर कपड़े की आधी जली बत्ती से भरा पर तेल से खाली मिट्टी का दीया मानो अपने नाम की सार्थकता के लिए जल उठने का प्रयास कर रहा था।

वह आलोकरहित, सुख-सुविधा शून्य घर गृहस्वामी के विशाल आकार और उससे भी विशालतर आत्मीयता से भरा हुआ था। अपने संबंध में बेसुध निराला जी अपने अतिथि की सुविधा के लिए सतर्क प्रहरी हैं। अतिथि की सुविधा का विचार कर वे नया घड़ा खरीदकर गंगाजल ले आए और धोती- चादर जो कुछ घर में मिल सका सब तख्त पर बिछाकर उन्हें प्रतिष्ठित किया।

तारों की छाया में उन दोनों मर्यादावादी और विद्रोही महाकवियों ने क्या कहा सुना, यह मुझे ज्ञात नहीं पर सवेरे गुप्त जी को ट्रेन में बैठाकर वे मुझे उनके सुख शयन का समाचार देना न भूले।

ऐसे अवसरों की कमी नहीं जब वे अकस्मात् पहुँचकर कहने लगे- मेरे इक्के पर कुछ लकड़ियाँ, थोड़ा घी आदि रखवा दो। अतिथि आए हैं, घर में सामान नहीं है।

(१) संजाल पूर्ण कीजिए: (२)
12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf 1
उत्तर:
12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf 5

(२) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में आए हुए समानार्थी शब्द ढूँढ़कर लिखिए: (२)

(१) मेहमान → —————-
उत्तर:
मेहमान – अतिथि

(२) प्रयास → —————-
उत्तर:
प्रयास – प्रयत्न

(३) शाम → —————-
उत्तर:
शाम – संध्या

(४) दीपक → —————-
उत्तर:
दीपक – दीया

12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf

(३) ‘आतिथ्य भाव’ हमारे संस्कार हैं, इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
उत्तर:
हमारे वेद कहते हैं कि, अतिथि देवतास्वरूप होता है। अतिथि की सेवा से बढ़कर कोई अन्य महान कार्य नहीं है। अतिथि का सत्कार करना हमारा परम कर्तव्य है। एक सामर्थ्यवान व्यक्ति का असमर्थ व्यक्ति को गले लगाने का करुणा भाव अतिथि सत्कार का सोपान है। इसलिए अतिथि की सुविधा, खान-पान और रहने की उचित व्यवस्था करना हम अपना कर्तव्य समझते हैं।

अतिथि के साथ प्रेम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। ऐसा करने से एक-दूसरे से मिलने का सुअवसर मिलता है। अपनत्व की भावना विकसित होती है। युगों-युगों से चली आ रही इस परंपरा का आज भी उतना ही महत्व है। इसलिए हम ऐसा कोई अनैतिक व्यवहार अपने अतिथि के साथ न करें जिससे हमारी संस्कृति और परंपरा का अनादर हो। हमारे व्यवहार से अतिथि को ठेस न पहुँचे इसका ख्याल हमें अवश्य रखना चाहिए।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए : (६)

सुधारक होता है करुणाशील और उसका सत्य सरल विश्वासी । वह पहले चौंकता है, फिर कोमल पड़ जाता है और तब उसका वेग बन जाता है शांत और वातावरण में छा जाती है सुकुमारता ।

पाप अभी तक सुधारक और सत्य के जो स्त्रोत पढ़ता जा रहा था, उनका करता है यूँ उपसंहार “सुधारक महान है, वह लोकोत्तर है, मानव नहीं, वह तो भगवान है, तीर्थंकर है, अवतार है, पैगंबर है, संत है। उसकी वाणी में जो सत्य है, वह स्वर्ग का अमृत है। वह हमारा वंदनीय है, स्मरणीय है, पर आदर्श को कब, कहाँ, कौन पा सकता है ? और इसके बाद उसका नारा हो जाता है, “महाप्रभु सुधारक वंदनीय है, उसका सत्य महान है, वह लोकोत्तर है। ”

यह नारा ऊँचा उठता रहता है, अधिक-से-अधिक दूर तक उसकी गूँज फैलती रहती है, लोग उसमें शामिल होते रहते हैं। पर अब उसका ध्यान सुधारक में नहीं; उसकी लोकोत्तरता में समाया रहता है, सुधारक के सत्य में नहीं, उसके सूक्ष्म से सूक्ष्म अर्थों और फलितार्थों के करने में जुटा रहता है।

अब सुधारक के बनने लगते हैं स्मारक और मंदिर और सत्य के ग्रंथ और भाष्य । बस यहीं सुधारक और उसके सत्य की पराजय पूरी तरह हो जाती है।

पाप का यह ब्रह्मास्त्र अतीत में अजेय रहा है और वर्तमान में भी अजेय है। कौन कह सकता है कि भविष्य में कभी कोई इसकी अजेयता को खंडित कर सकेगा या नहीं ?

(१) संजाल पूर्ण कीजिए: (२)

12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf 2
उत्तर:
12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf 6

(२) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में आए हुए विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए: (२)

(१) पुण्य – …………….
उत्तर:
पुण्य – पाप

(२) विष – …………..
उत्तर:
विष – अमृत

(३) असत्य – ………..
उत्तर:
असत्य – सत्य

(४) जय – ……………
उत्तर:
जय – पराजय

(३) किसी एक समाज सुधारक के बारे में अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
उत्तर:
भारतीय समाज सुधारक जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव स्थापित करने में सहायता की है, एक समृद्ध इतिहास के कुछ मामलों में, राजनीतिक कार्यवाही और दार्शनिक शिक्षाओं के माध्यम से दुनिया भर में अपने प्रभाव से प्रभावित किया है। ऐसे ही एक समाज सुधारक हैं-

‘बाबा आमटे’ का पुरा नाम डॉ. मुरलीधर देवीदास आमटे था जो कि बाबा आमटे के नाम से विख्यात हैं, भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। एक प्रेरणादायक समाज सुधारक, जिन्होंने कुष्ठ रोगियों के प्रति समाज की धारणा बदली। इसके अलावा आमटे ने अनेक अन्य सामाजिक कार्यों, जिनमें वन्य जीव संरक्षण तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन प्रमुख हैं में भाग लिया। उनका जीवन कार्य, अनवरत करूणा और मानवता के प्रति समर्पण, आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है। उनकी अनूठी पहल ने समाज में समानता और स्वीकार्यता की नई राह खोली।

(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग ८० से १०० शब्दों में लिखिए (कोई दो) : (६)

(१) ‘बैजू बावरा संगीत का सच्चा पुजारी है, इस विचार को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
बैजू बावरा को संगीत का सच्चा पुजारी माना जाता है क्योंकि उनका जीवन संगीत के प्रति अपनी अदम्य भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। वे ऐसे कलाकार थे जिन्होंने अपने संगीत के माध्यम से न केवल लोगों के हृदयों को छुआ बल्कि समाज में संगीत के प्रति एक नई सोच और समझ विकसित की।

उनकी गायकी में गहराई और भावनाओं का ऐसा संगम था जो श्रोताओं को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति कराता था। बैजू बावरा ने संगीत के विविध रूपों को अपनाया और उन्हें एक नई पहचान दी, जिससे उनका संगीत केवल एक कला न रहकर एक आध्यात्मिक प्रयास बन गया। उनकी संगीत साधना में जो एकाग्रता और तपस्या थी, वह उन्हें संगीत का एक सच्चा पुजारी साबित करती है।

12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf

(२) ‘सुनो किशोरी’ पाठ के आधार पर रूढ़ि परंपरा तथा मूल्यों के बारे में लेखिका के विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘सुनो किशोरी’ पाठ के माध्यम से लेखिका किशोरियों को सही मार्गदर्शन देते हुए आगाह करती हैं कि हमें पुरानी और जर्जर रूढ़ियों को तोड़ना है किंतु हमारी अच्छी परंपराओं को जीवित रखना भी आवश्यक है। हमें आसमान में उड़ान भरनी है किंतु हमारी निगाहें धरती पर टिके रहना भी जरूरी है। बदलते वक्त के साथ ही साथ नए मूल्यों को भी सोच-समझकर और पहचानकर अंगीकृत करना है। बिना सोचे-विचारे अंधाधुंध नकल करने मात्र से लाभ की जगह हानि उठानी पड़ सकती है।

हमें पश्चिमी देशों के मूल्यों को भी सोच-विचार (समझकर) अपने परिवेश और परंपराओं को ध्यान में रखकर अपनाना पड़ेगा। टूटी-फूटी और जर्जर मूल्यों को छोड़कर अच्छी परंपराओं एवं संस्कारों की रक्षा करके हम प्रगतिशीलता के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।

नए मूल्यों का निर्माण करना तथा ज्ञान-विज्ञान को अंगीकार करना हमारा ध्येय होना चाहिए। समय के प्रवाह में क्रांति की बड़ी-बड़ी बातें करना और एक झटके में टूट-हार कर बैठ जाना मूर्खता के सिवा और कुछ नहीं कहा जा सकता। बदलते हुए परिवेश में हमें यह ध्यान रखना होगा कि पाश्चात्य मूल्यों का अंधानुकरण कहीं हमारे विकास की जगह विनाश के कारण न बन जाए।

(३) ओज़ोन विघटन संकट से बचने के लिए किए गए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस के प्रभाव के कारण धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है। तापमान बढ़ने से ध्रुवों पर जमी विशाल बर्फ राशि पिघल रही है। जिससे हिमनद के सूखने तथा समुद्री जलस्तर के बढ़ने की संभावना के साथ ही जलवायु परिवर्तन के खतरे संसार के सामने मौजूद हैं। इससे चिंतित दुनिया के अनेक देशों के लोगों ने मिलकर 1985 में विएना में एक बैठक की। इसके ठीक दो वर्ष बाद 1987 में कनाडा के मांट्रियल शहर में दुनिया के 48 देशों का सम्मेलन हुआ। इस बैठक में जिस मसौदे को अंतिम रूप दिया गया, उसे ‘मांट्रियल प्रोटोकॉल’ के नाम से जाना जाता है।

इसके प्रावधान में कहा गया कि दुनिया के सभी देश 1995 तक 50% सी. एफ. सी खपत की कटौती कर देंगे। ठीक दो वर्ष बाद यह कटौती 85% तक हो जाएगी। विकासशील देशों का कहना था कि इस पर आने वाला खर्च धनी देश वहन करें क्योंकि ओजोन विघटन के लिए जिम्मेदार भी यही हैं। 1990 के ताजा आँकड़े के अनुसार सी. एफ.सी की खपत दुनिया में 12 लाख टन तक पहुँच गई। जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी ही 30% थी जो भारत की तुलना में 50 गुना अधिक थी।

ओजोन विघटन की समस्या पर विचार करने के लिए लंदन में एक बैठक हुई जिसमें नए प्रशीतनों की खोज तथा पुराने उपकरणों के विस्थापन के लिए एक कोष बनाने की माँग की गई। समझौते के तहत यह व्यवस्था है कि सन् 2010 तक विकासशील देश सी. एफ. सी का इस्तेमाल बंद कर देंगे और विकसित देश उनकी आर्थिक मदद करेंगे।

(ई) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का मात्र एक वाक्य में उत्तर लिखिए (कोई दो) : (२)

(१) सुदर्शन ने इस लेखक की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है।
उत्तर:
सुदर्शन ने ‘प्रेमचंद की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है।

(२) पाठ्यपुस्तक में से आशारानी व्होरा जी की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
आशारानी व्होरा जी की रचनाएँ- ‘भारत की प्रथम महिलाएं: ‘स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाएं, ‘क्रांतिकारी किशोरी’, ‘स्वाधीनता सेनानी, ‘ ‘ लेख पत्रकार’ आदि ।

(३) लेख विधा की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
लेख का स्वरूप विस्तृत व बहुआयामी होता है।

(४) ‘कोखजाया’ कहानी के हिंदी अनुवादक का नाम लिखिए।
उत्तर:
‘कोखजाया’ कहानी के हिन्दी अनुवाद का नाम बैद्यनाथ झा है।

विभाग- २. पद्य (अंक-२०)

कृति २
(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)

जलि मोह घसि मसि करि,
मति कागद करि सारु,
भाइ कलम करि चितु, लेखारि,
गुरु पुछि लिखु बीचारि,
लिखु नाम सालाह लिखु,
लिखु अंत न पारावार ॥

मन रे अहिनिसि हरि गुण सारि ।
जिन खिनु पलु नाम न बिसरे ते जन विरले संसारि ।
जोति- जोति मिलाइये, सुरती – सुरति संजोगु ।
हिंसा हमें गतु गए नाहीं सहसा सोगु ।
गुरुमुख जिसु हार मनि बसे तिसु मेले गुरु संजोग ॥

(१) सहसंबंध लिखिए: (२)

(१) मोह को जलाकर और घिसकर बनाइए विरले
(२) श्रेष्ठ कागज बनाना है, इससे प्रभु के दर्शन
(३) संसार में हरि का नाम न भूलने वाले स्याही
(४) जिसने प्रभु के नाम की माला जपी उसे मति

उत्तर:

(१) मोह को जलाकर और घिसकर बनाइए स्याही
(२) श्रेष्ठ कागज बनाना है, इससे मति
(३) संसार में हरि का नाम न भूलने वाले विरले
(४) जिसने प्रभु के नाम की माला जपी उसे प्रभु के दर्शन

(२) निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग हटाकर पद्यांश में
आए हुए मूल शब्द ढूँढ़कर लिखिए: (२)

(१) सुमति …………
उत्तर:
सुमति – मति

(२) सदगुण ……….
उत्तर:
सदगुण – गुण

(३) निर्जन
उत्तर:
निर्जन – जन

(४) अहिंसा
उत्तर:
अहिंसा – हिंसा

(३) ‘गुरु का महत्त्व’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
उत्तर:
गुरु गुणों की खान है तथा विद्यार्थी सबसे बड़ा गुणग्राहक। गुरु का कर्तव्य है कि वह शिष्य के अंदर दबी हुई प्रतिभा को निकालकर बाहर करे तथा उनके गुणों को तराशकर उनको एक ऐसा इंसान बनाए जिससे वे अपने साथ-साथ घर-परिवार, समाज, देश का उचित प्रतिनिधित्व कर सकें।

भारतीय समाज में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। उसके अंतरनिहित संचित गुणों को शिष्य आत्मसात कर एक आदर्श नागरिक बनकर लोककल्याण के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है। गुरु के ऊपर ही शिष्य के निर्माण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। जिसका गुरु अज्ञानी और गुणहीन होगा उसका शिष्य भी गुणों से वंचित रह जाएगा। संत कबीर ने सच ही लिखा है:
जिसका गुरु अंधला, चेला खड़ा निरंध ।
अंधै अंधा ठेलिया, दोनों कूप पड़ंत ।

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)

हमारी साँसों के लिए शुद्ध हवा
बीमारी के लिए दवा
शवयात्रा, शगुन या बारात
सभी के लिए देता है पुष्पों की सौगात
आदिकाल से आज तक
सुबह- शाम, दिन-रात
हमेशा देता आया है मनुष्य का साथ
कवि को मिला कागज़, कलम, स्याही
वैद, हकीम को दवाई
शासन या प्रशासन
सभी के बैठने के लिए
कुर्सी, मेज, आसन
जो हम उपयोग नहीं करे
वृक्ष के पास ऐसी एक भी नहीं चीज है।

(२) कृति पूर्ण कीजिए : (२)

12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf 3
उत्तर:
12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf 7
(पद्यांश में आए अन्य उत्तरों को भी सही माना जाए:
जैसे – कलम, स्याही, आसन आदि)

(२) निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए: (२)

(१) बीमारियाँ …………
उत्तर:
बीमारियाँ – बीमारी

(२) दवाई …………
उत्तर:
दवाई – दवाईयाँ

(३) कुर्सियाँ ………
उत्तर:
कुर्सियाँ – कुर्सी

(४) चीज़ ……………
उत्तर:
चीज – चीजें

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(३) “पेड़ हमारा दाता है” इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
उत्तर:
पेड़ हमारे जीवन के अनिवार्य घटक हैं जो हमें अनेक महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करते हैं इसलिए वे दाता के रूप में जाने जाते हैं। भारतीय संस्कृति में पेड़ को पूज्य का दर्जा प्राप्त है । व्रत हो या त्योहार, शादी-विवाह हो या पूजा-पाठ, हर अनुष्ठान में पेड़ों, उनकी लकड़ियों एवं उनके पत्तों का विशेष महत्त्व है। पेड़ हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं जो हमारे जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है और कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। पेड़ अनेक प्रकार के जीवों के लिए आवास और भोजन का स्रोत होते हैं।

वे जलवायु को संतुलित करने, मृदा अपरदन को रोकने और जल संरक्षण करने में भी योगदान देते हैं। पेड़ हमें भोजन, आश्रय, औषधि और ईंधन प्रदान करते हैं जिससे हमारी जीवन-शैली समृद्ध होती है। इस प्रकार, पेड़ों का संरक्षण और सवंर्धन हमारे लिए केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक अनिवार्यता है ।

(इ) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर ‘सच हम नहीं सच तुम नहीं’ कविता का रसास्वादन कीजिए:

(१) रचनाकार का नाम (६)
(२) पसंद की पंक्तियाँ (१)
(३) पसंद आने के कारण (१)
(४) कविता की केंद्रीय कल्पना (२)
उत्तर:
‘सच हम नहीं सच तुम नहीं’ कविता का रसास्वादन –
(१) रचनाकार का नाम – डॉ. जगदीश गुप्त ।
(२) पसंद की पंक्तियाँ- अपने हृदय का सत्य,
अपने-आप हमको खोजना ।
अपने नयन का तीर,
अपने-आप हमको पोंछना।
(३) पसंद आने का कारण – कवि गुप्त जी कहते हैं कि असफल होने के बावजूद भी हमें संघर्ष का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।
(४) इस कविता में कवि ने हमें निरंतर आगे बढ़ते रहने, संघर्ष करते हुए, एवं बाधाओं को तोड़ते हुए अपने लक्ष्य को पाने की सलाह दी है। साथ ही साथ “चलना हमारा काम है’ यह संदेश दिया है।

अथवा

“बसंत ऋतु जीवन के सौंदर्य का अनुभव कराती है,” इस कथन के आधार पर ‘सुनु रे सखिया, ‘ कविता का रसास्वादन कीजिए ।
उत्तर:
बसंत ऋतु के पूर्व ही पेड़-पौधे अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। खेतों में गेहूँ, जौ, सरसों, चना, मटर के बीज डाल दिए जाते हैं। बसंत ऋतु के आते-आते खेतों में हरे-भरे पौधे, सफेद पीले फूलों से धरती ढक जाती है। हरे, पीले और सफेद रंग के वस्त्रों से मानों बसंत ऋतु ने अपने आपको, परिधानयुक्त कर लिया है।

कविता में श्रृंगार रस के दोनों अंग संयोग और वियोग का वर्णन हुआ है। कविता में रस की निष्पति के साथ-साथ लयात्मकता का सुंदर प्रयोग लक्षित होता है। उदाहरणस्वरूप- सरसाइल, अलसाइल, हरनाइल गइल भइल, कजराइल, मुस्काइल, भराइल, चिटकाइल | कजरारी आँखों में सपने मुस्कुराने लगे हैं। बगिया के साथ यौवन भी अंगड़ाइयाँ लेने लगा है। इस प्रकार बसंत ऋतु जीवन के सौंदर्य का अनुभव कराती है।

(ई) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का केवल एक वाक्य में उत्तर लिखिए। (कोई दो) (२)

(१) चतुष्पदी के लक्षण लिखिए-
उत्तर:
चतुष्पदी चार चरणोंवाला छंद होता है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके प्रथम, द्वितीय और चतुर्थ चरण में तुकबंदी होती है।

(२) पाठ्यपुस्तक में से ‘वृंद जी’ की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए-
उत्तर:
वृंदजी की प्रमुख रचनाएँ: ‘वृंद सतसई’, ‘समेत शिखर छंद’, ‘भाव पंचशिका’, ‘पवन पचीसी,’ ‘हितोपदेश संधि’, ‘यमक सतसई, ‘वचनिका, ‘सत्यस्वरूप’ (इसमें से कोई भी दो)

(३) ग़ज़ल इस भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है-
उत्तर:
गजल ‘उर्दू’ भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है।

(४) लोकगीतों के दो प्रकार लिखिए-
उत्तर:
लोकगीतों के दो प्रकार हैं-

(१) कजरी
(२) सोहर
(३) बन्ना बन्नी (इनमें से कोई भी दो)

विभाग – ३. विशेष अध्ययन (अंक- २०)

कृति ३
(अ) निम्नलिखित काव्य पंक्तियाँ पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)

घाट से आते हुए
कदंब के नीचे खड़े कनु को
ध्यानमग्न देवता समझ, प्रणाम करने
जिस राह से तू लौटती थी बावरी तू
आज उस राह से न लौट

उजड़े हुए कुंज
रौंदी हुई लताएँ
आकाश पर छाई हुई धूल
क्या तुझे यह नहीं बता रही
कि आज उस राह से
कृष्ण की अठारह अक्षौहिणी सेनाएँ
युद्ध में भाग लेने जा रही हैं!

आज उस पथ से अलग हटकर खड़ी हो बावरी !
लताकुंज की ओट
छिपाले अपने आहत प्यार को।

(१) कारण लिखिए: (२)

(१) राधा को उस राह से ना लौटने के लिए कहा-
………………………….
उत्तर:
राधा को उस राह से ना लौटने के लिए कहा क्योंकि, मार्ग में उजड़े हुए कुंज, रौंदी हुई लताएँ और आकाश पर छाई हुई धूल थी ।

(२) राधा को पथ से हटकर खड़े होने को कहा-
………………………….
उत्तर:
राधा को पथ से अलग हटकर खड़े होने को कहा क्योंकि, उस राह में कृष्ण की अठारह अक्षौहिणी सेनाएँ जा रही हैं।

(२) उचित मिलान कीजिए: (२)

(१) ध्यानमग्न राधा
(२) बावरी प्यार
(३) अक्षौहिणी देवता
(४) आहत सेनाएँ

उत्तर:

(१) ध्यानमग्न देवता
(२) बावरी राधा
(३) अक्षौहिणी सेनाएँ
(४) आहत प्यार

(३) “वर्तमान युग में युद्ध नहीं शांति चाहिए” इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए । (२)
उत्तर:
किसी भी स्थिति में युद्ध को सही नहीं कहा जा सकता। युद्ध से हमें दो व्यक्तियों, दो रास्तों तथा दो अधिनायकवादी ताकतों के अहम् एवं घमंड का परिणाम दिखाई देता है। युद्ध हमेशा से विनाश का कारण रहा है। इसमें मार-काट, खून-खराबा, मनुष्यता एवं मानवता का हनन ही होता है। सुख और शांति से जीवन जी रहे लोगों की जीवन पद्धति अनिश्चितता में बदल जाती है। अपने प्रियजनों के खो देने से पीड़ित बच्चे, बूढ़े, औरत, पुरूष का करुण क्रंदन युद्धरूपी विभीषिका का फल है।

शांति विकास का सोपान है। मनुष्य हमेशा से शांति की तलाश करता आया है। एक शांतिप्रिय समाज जीवन में वह सब कुछ हासिल कर सकता है जो जीवन के लिए अभिष्ट है।

(आ) निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग ८० से १०० शब्दों में लिखिए : (४)

(१) “कवि ने राधा के माध्यम से वर्तमान मनुष्य की पीड़ा को व्यक्त किया है,” इस कथन को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
महाभारत युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई कनुप्रिया हिंदी साहित्य की अत्यंत चर्चित कृति रही है। कनुप्रिया आधुनिक मूल्यों की काव्य रचना है। इसकी मूल संवेदना आधुनिक धरातल पर व्यक्त हुई है। मिथकों के द्वारा राधा और कृष्ण के प्रेम को महाभारत के युद्ध से सम्बन्ध कर व्याख्यायित किया गया है। राधा की दृष्टि में प्रेम ही जीवन का आधार है, वही जीवन का सत्य है। प्रेम को त्याग कर युद्ध का वरण करना राधा को निरर्थक लगता है।

कवि धर्मवीर भारती का मानना है कि हम बाह्रय जगत को जीते रहते हैं और उसी का अनुभव करते रहते हैं। किंतु कुछ क्षण ऐसे भी होते हैं जब हमें महसूस भी होता है कि जीवन में महत्व बाह्य घटनाओं के उद्योग से चरम तन्मयता के क्षण का अधिक है, जिसे हम जीते हैं तथा जिसे अपने अंतरमन में महसूस करते हैं। यह क्षण बाह्य क्षण से अधिक मूल्यवान और सार्थक होता है। ऐसा ही आग्रह राधा अपने प्रियतम कृष्ण से करती है। वह तन्मयता के क्षणों को जीना चाहती है तथा उन्हीं क्षणों को कृष्ण की लीलाओं के माध्यम से महसूस करना चाहती है।

कनुप्रिया महाभारत युद्ध की समस्या पर अपने स्तर पर विचार करती है। वह जो संशय करती है, जो जिज्ञासा प्रकट करती है, जो भाव जागृत करती है, उसी को लेकर वह कृष्ण से जय-पराजय, युद्ध का उद्देश्य, युद्ध में संहार आदि विषयों पर कृष्ण से संवाद के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त करती है।

(२) “राधा ने चरम तन्मयता के क्षणों में डूबकर जीवन की सार्थकता पाई है,” – इस कथन को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
राधा का कृष्ण के प्रति प्रेम अलौकिक, निश्छल और निर्मल हैं। राधा का जीवन सहज एवं सरल है। राधा कृष्ण के प्रति प्रेम में डूबकर अपने जीवन को सार्थक पाती है। राधा के लिए प्रेम ही सर्वोपरि है। वह केवल प्यार को सार्थक मानती है और संसार के बैर भाव को निरर्थक मानती है। उन्होंने कृष्ण से सिर्फ प्यार किया है और प्यार के सुनहरे पलों में बोली गई कृष्ण की बातें उनके मन-मस्तिष्क पर अंकित हैं। वह कृष्ण के द्वारा किए गए प्रणय निवेदन को भूल. नहीं पाती।

वह उनके अधरों से निकले हुए शब्दों की परिभाषा को अपनी तरह से व्यक्त करती है। कृष्ण के कर्म, धर्म, निर्णय, दायित्व जैसे शब्दों का अर्थ समझने में वह अपने को असहाय पाती है। युद्ध में कृष्ण की सफलता, उनकी अठारह अक्षौहिणी सेनाएँ, युद्ध की विभीषिका, युद्ध का प्रलय उसकी दृष्टि में निरर्थक है। वह युद्ध के महानायक कृष्ण से कहती हैं कि मैं तुम्हारी वही, बावरी, सखी हूँ, तुम्हारी सहचारी हूँ, तुम्हारी मित्र हूँ और मैंने तुमसे सदा स्नेह और प्यार पाया है, और मैं उसी की अभिलाषी हूँ और तुम्हारे प्यार की भाषा ही समझती हूँ।

राधा के लिए प्रेम ही जीवन की सार्थकता है।

विभाग – ४. व्यावहारिक हिंदी, अपठित गद्यांश एवं पारिभाषिक शब्दावली (अंक-२०)

कृति ४
(अ) निम्नलिखित का उत्तर लगभग १०० से १२० शब्दों में लिखिए: (६)

(१) “सेवा तीर्थयात्रा से बढ़कर है” इस उक्ति का पल्लवन कीजिए ।
उत्तर:
मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है। मनुष्य के रूप में जीवन प्राप्त करके यदि मानव उसका समुचित उपयोग नहीं करता तो यह जीवन व्यर्थ है । अपना हित चिंतन तो पशु भी करता है, यदि मनुष्य भी अपने जीवन को स्वयं सेवा या सिर्फ अपनों की सेवा तक केंद्रित कर दे तो वह पशु के समान है।

मनुष्य में सेवा भाव नहीं तो समाज में स्वार्थ और तनाव बना रहेगा। सही अर्थों में तो उसी मनुष्य का जीवन इस धरा पर सार्थक है जो दूसरों की सेवा में अपना जीवन साँप देता है और यह एक तीर्थ के समान है। जैसे भक्त ईश्वर भक्ति में दिन रात लगे रहते हैं, उसी प्रकार सेवाभावी मनुष्य भी दूसरों की सेवा कर तीर्थ जितना पुण्य प्राप्त करता है। सेवा ही एक मात्र ऐसा एक भाव है जो चिरकाल तक मानवता को सुरक्षित रखता है। ऐसे अनेक महापुरुषों की जीवनियों से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं, जिन्होंने दूसरों की सेवा में अनेक यातनाएँ सहीं ।

सेवा एक ऐसा आभूषण है जिससे व्यक्ति का चरित्र व उसका संपूर्ण जीवन सुंदर हो जाता है। सेवा भाव के लिए कृतज्ञता आवश्यक है। सेवा ही संपूर्ण तीर्थ यात्राओं का फल है। जो सेवा करे सो मेवा पावे ।

अथवा

परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: ” सूत्र संचालन के मुख्यतः निम्न प्रकार हैं- शासकीय कार्यक्रम का सूत्र संचालन, दूरदर्शन हेतु सूत्र संचालन, रेडियो हेतु सूत्र संचालन, राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सूत्र संचालन।”

• शासकीय एवं राजनीतिक कार्यक्रम का सूत्र संचालन : शासकीय एवं राजनीतिक समारोह के सूत्र संचालन में प्रोटोकॉल का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। पदों के अनुसार नामों की सूची बनानी पड़ती है। किसका-किसके हाथों सत्कार करना है; इसकी योजना बनानी पड़ती है। इस प्रकार का सूत्र संचालन करते समय अति अलंकारिक भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए।

• दूरदर्शन तथा रेडियो कार्यक्रम का सूत्र संचालन :
दूरदर्शन अथवा रेडियो पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रम / समारोह की संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए। कार्यक्रम की संहिता लिखकर तैयार करनी चाहिए। उसके पश्चात् कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहिए और धीरे-धीरे उसका विकास करते जाना चाहिए। भाषा का प्रयोग कार्यक्रम और प्रसंगानुसार किया जाना चाहिए। रोचकता और विभिन्न संदर्भों का समावेश कार्यक्रम में चार चाँद लगा देते हैं।

स्मरण रहे सूत्र संचालक मंच और श्रोताओं के बीच सेतु का कार्य करता है। सूत्र संचालन करते समय रोचकता, रंजकता, विविध प्रसंगों का उल्लेख करना आवश्यक होता है। कार्यक्रम / समारोह में निखार लाना सूत्र संचालक का महत्त्वपूर्ण कार्य होता है। कार्यक्रम के अनुसार सूत्र संच. पालक को अपनी भाषा और शैली में परिवर्तन करना चाहिए; जैसे गीतों अथवा मुशायरे का कार्यक्रम हो तो भावपूर्ण एवं सरल भाषा का प्रयोग अपेक्षित है तो व्याख्यान अथवा वै. चारिक कार्यक्रम में संदर्भ के साथ सटीक शब्दों का प्रयोग आवश्यक है। सूत्र संचालन करते समय उसके सामने सुनने वाले कौन हैं; इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
(१) कृति पूर्ण कीजिए: (२)

सूत्र संचालन के मुख्य प्रकार:

(१) ………….
उत्तर:
शासकीय

(२) ………….
उत्तर:
दूरदर्शन हेतु

(३) …………
उत्तर:
रेडियो हेतु

(४) ………..
उत्तर:
राजनीतिक

(इसके अलावा सामाजिक व सांस्कृतिक भी उत्तर हो सकता है)

(२) गद्यांश में से ‘इक’ प्रत्यय लगे हुए शब्द ढूँढ़कर लिखिए:

(१) ………….
उत्तर:
राजनीतिक

(२) ………….
उत्तर:
सामाजिक

(३) …………
उत्तर:
सांस्कृतिक

(४) ………..
उत्तर:
अलंकारिक

(५) ……….
उत्तर:
वैचारिक

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(३) “किसी भी कार्यक्रम के लिए सूत्र संचालन आवश्यक होता है,” इस विषय पर ४० से ५० शब्दों में अपने विचार लिखिए। (२)
उत्तर:
आज के जमाने में सूत्र संचालक का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। कार्यक्रम छोटा हो या बड़ा; सूत्र संचालक अपनी प्रतिभा से उसमें चार चाँद लगा देता है। वह अपनी भाषा, आवाज में उतार-चढ़ाव, अपनी हाजिर जवाबी श्रोताओं से चुटीले संवादों, संचालन के बीच-बीच में सरसता लाने के लिए चुटकुलों, रोचक घटनाओं के प्रयोग, मंच पर उपस्थित महानुभावों के प्रति अपने सम्मान सूचक शब्दों के प्रयोग, कार्यक्रमों के अनुसार भाषा-शैली में परिवर्तन करने तथा अपनी गलती पर माफी माँग लेने आदि गुणों के कारण सूत्र संचालन में तो चार चाँद लगा ही देता है, उपस्थित जन समुदाय की प्रशंसा का पात्र भी बन जाता है।

सूत्र संचालक अपने मिलनसार व्यक्तित्व, अपने विविध विषयों के ज्ञान, कार्यक्रम के सुचारु संचालन, अपनी अध्ययनशीलता, अपनी प्रभावशाली और मधुर आवाज के संतुलित प्रयोग आदि के बल पर कार्यक्रम में जान डाल देता है । सधे हुए सूत्र संचालक की प्रतिभा का लाभ कार्यक्रमों और उनके आयोजकों को मिलता है। इसलिए किसी भी कार्यक्रम के लिए सूत्र संचालन आवश्यक होता है।

(आ) निम्नलिखित में से किसी एक का उत्तर ८० से १०० शब्दों में लिखिए: (४)

(१) फीचर लेखन करते समय बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:
‘फीचर लेखन’ समाचार पत्र का एक अभिन्न अंग है। उसका लेखन समाज पर विशिष्ट प्रभाव डालता है। अतः इस लेखन में कुछ सावधानियाँ बरतनी आवश्यक हैं जो निम्नवत् हैं-

  • फीचर लेखन में क्लिष्ट, अलंकारिक भाषा का प्रयोग ना करें।
  • फीचर लेखन का आधार सत्य ही होना चाहिए। झूठे आँकड़े, झूठे प्रसंग या घटनाओं का उल्लेख करने से बचना चाहिए।
  • फीचर की भाषा सहज तथा सरल हो। अतिशयोक्ति, नाटकीयता से बचना जरूरी है।
  • फीचर लेखन में कल्पनाओं की भरमार, मनगढ़ंत बातों का स्थान नहीं होता।
  • झूठे आरोप-प्रत्यारोप की बात फीचर लेखन में उचित नहीं है।
  • फीचर लेखन को विश्वसनीय और प्रभावी बनाने के लिए आस-पास की विशेष घटना, जीव-जंतु, प्रकृति परिवेश, तीज-त्योहार, दिन, स्थान, व्यक्तिगत अनुभूति इनका उपयोग करते हुए इसे सृजनात्मक कौशल के साथ प्रस्तुत किया जाए।

(२) प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों की वैज्ञानिक अध्ययन की दृष्टि से जानकारी लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य की तरह ही जीव भी अपनी सुविधा के लिए प्रकाश उत्पन्न करते रहते हैं। प्रकाश उत्पन्न करने की यह क्रिया जीव द्वारा अपने शरीर से उत्पन्न रसायनों की पारस्परिक क्रिया से होती है। प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव पूरे संसार में होते हैं। धरती पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव जुगनू से हम सभी बखूबी परिचित हैं। जुगनू कीट प्रजाति का जीव है जो रात में प्रकाश उत्पन्न करता है। इसी प्रकार विश्व में कावक और फॉक्स फायर जातियाँ हैं जो रात में प्रकाश उत्पन्न करती हैं।

प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव थल की अपेक्षा सागरों और महासागरों में अधिक हैं। इस क्रम में जेली फिश, स्क्विड़, क्रिल तथा झींगे आदि का प्रमुख स्थान है जो समुद्रतल की गहराईयों में लगभग एक हजार मीटर तक नीचे रहती हैं और अपनी सुविधा के लिए प्रकाश उत्पन्न करती हैं। कुछ समुद्री जीव शिकार की खोज में प्रकाश उत्पन्न करते हैं तो वहीं पर कुछ ऐसे भी होते हैं जो शिकारी से बचने के लिए प्रकाश उत्पन्न करते हैं। वैज्ञानिक अभी भी नित नई खोज में लगे हुए हैं और निकट भविष्य में प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के बारे में और नई-नई जानकारियाँ मिलती रहेंगी।

अथवा

सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(१) फीचर लेखन में ……… होनी चाहिए।
(१) भाव प्रधानता
(२) विषय प्रधानता
(३) तर्क प्रधानता
(४) समय प्रधानता
उत्तर:
(१) भाव प्रधानता

(२) लेखक आनंद सिंह जी ने ……… तक रेडियो उद्घोषक के रूप में सेवाएँ प्रदान कीं। (१)
(१) २७ वर्ष
(२) २५ वर्ष
(३) २९ वर्ष
(४) १७ वर्ष
उत्तर:
(३) २९ वर्ष

(३) जॉन बर्गर ने ब्लॉग के लिए ………. शब्द का प्रयोग किया था।
(१) Website
(२) Weblog
(३) Webseries
(४) Web-portal
उत्तर:
(२) Weblog

(४) समुद्री जीवों के शरीर से उत्पन्न होने वाला प्रकाश ……… के कारण उत्पन्न होता है। (१)
(१) ऑक्सीकरण
(२) कार्बनीकरण
(३) द्रवीकरण
(४) रासायनीकरण
उत्तर:
(१) ऑक्सीकरण

(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)

सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बाद शनि ग्रह की कक्षा है। शनि सौर मंडल का दूसरा बड़ा ग्रह है। यह हमारी पृथ्वी से “करीब ७५० गुना बड़ा है। शनि के गोले का व्यास ११६ हजार किलोमीटर है; अर्थात्, पृथ्वी के व्यास से करीब नौ गुना अधिक । सूर्य से शनि ग्रह की औसत दूरी १४३ करोड़ किलोमीटर है। यह ग्रह प्रति सेकंड ९.६ किलोमीटर की औसत गति से करीब ३० वर्षों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। अतः ९० साल का कोई बूढ़ा आदमी यदि शनि ग्रह पर पहुँचेगा, तो उस ग्रह के अनुसार उसकी उम्र होगी सिर्फ तीन साल !

हमारी पृथ्वी सूर्य से करीब १५ करोड़ किलोमीटर दूर है। तुलना में शनि ग्रह दस गुना अधिक दूर है। इसे दूरबीन के बिना कोरी.. आँखों से भी आकाश में पहचाना जा सकता है। पुराने जमाने के लोगों ने इस पीले चमकीले ग्रह को पहचान लिया था। प्राचीन काल के ज्योतिषियों को सूर्य, चंद्र और काल्पनिक राहु-केतु के अलावा जिन पाँच ग्रहों का ज्ञान था उनमें शनि सबसे अधिक दूर था। शनि को ‘शनैश्वर’ भी कहते हैं। आकाश के गोल पर यह ग्रह बहुत धीमी गति से चलता दिखाई देता है, इसीलिए प्राचीन काल के लोगों ने इस शनैःचर नाम दिया था। ‘शनैः चर का अर्थ होता है- धीमी गति से चलने वाला।’

(१) तालिका पूर्ण कीजिए: (२)
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उत्तर:
12th Hindi Question Paper 2024 Maharashtra Board Pdf 8

(२) परिच्छेद में आए हुए शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए: (१)

(१) शनि – …………..
(२) दूरबीन – ………..
(३) पृथ्वी – …………
(४) आकाश – ………………
उत्तर:
(१) शनि – पुल्लिंग
(२) दूरबीन स्त्रीलिंग
(३) पृथ्वी- स्त्रीलिंग
(४) आकाश-पुल्लिंग

(३) ‘अंतरिक्ष यात्रा’ इस विषय पर ४० से ५० शब्दों में अपने विचार लिखिए। (२)
उत्तर:
हमारी पृथ्वी सौरमंडल का एक ग्रह है। पृथ्वी के चारों और कुछ दूरी तक वायु की परतें हैं जिसे वायुमंडल कहा जाता है। इसके बाद वायु कहीं नहीं हैं, वायु रहित यह शून्य स्थान अंतरिक्ष कहलाता है। सभी आकाशीय पिंड ग्रह, उपग्रह, तारे आदि अंतरिक्ष में स्थित हैं। मानव आरंभ से ही अंतरिक्ष के बारे में जानने के लिए उत्सुक और प्रयत्नशील रहा है। 1975 ई. में ‘स्पुतनिक-1’ नामक प्रथम कृत्रिम उपग्रह रूस ने अंतरिक्ष में छोड़ा गया। रूस के ही यूरी गागरिन नामक व्यक्ति सबसे पहले बोस्तोकया से अंतरिक्ष में गए।

यह सन् 1961 की घटना थी इसके बाद जून 1963 में रूस तथा विश्व की प्रथम महिला वेलेंटीना तेरेशकोबा अंतरिक्ष यात्रा पर गई। सन् 1969 ई. में अंतरिक्ष यात्रा करते हुए अमेरिका के नील आर्मस्ट्रांग सबसे पहले व्यक्ति थे जो चंद्रमा पर उतरे। इसके बाद दुनिया के विभिन्न देशों के लोग अंतरिक्ष यात्रा पर गए। भारत के राकेश शर्मा ने रूसी यान में बैठकर अंतरिक्ष की सैर की। अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाकर कई प्रकार के परीक्षण करते हैं जो विज्ञान की दृष्टि से काफी उपयोगी हैं।

(ई) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के पारिभाषिक शब्द लिखिए: (४)

(१) Ambassador
(२) Bond
(३) Balance
(४) Paid Up
(५) Speed
(६) Meteorology
(७) Output
(८) Integrated Circuit
उत्तर:
(१) राजदूत
(२) बंध पत्र
(३) शेष राशि
(४) चुकता
(५) गति
(६) मौसम विज्ञान
(७) निकास
(८) एकीकृत परिपथ

विभाग – ५. व्याकरण (अंक-१०)

कृति ५.
(अ) निम्नलिखित वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचनाओं के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए (कोई दो) : (२)

(१) मैं पढ़-लिखकर नौकरी करने लगा। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर:
मैं पढ़-लिखकर नौकरी करने लगा था।

(२) उनका जमा किया हुआ रुपया समाप्त हो गया । (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर:
उनका जमा किया हुआ रुपया समाप्त हो जाएगा।

(३) हमारे भूमंडल में हवा और पानी बुरी तरह प्रदूषित हैं। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर:
हमारे भूमंडल में हवा और पानी बुरी तरह प्रदूषित हो रहे हैं।

(४) बैजु हाथ बाँधकर खड़ा होगा। (सामान्य भूतकाल)
उत्तर:
बैजु हाथ बाँधकर खड़ा हो गया।

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(आ) निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत अलंकार पहचानकर उनके नाम लिखिए (कोई दो) :

(१) उधो, मेरा हृदयतल था एक उद्यान न्यारा ।
शोभा देतीं अमित उसमें कल्पना – क्यारियाँ भी ॥
उत्तर:
रूपक अलंकार

(२) चरण-कमल- सम- कोमल ।
उत्तर:
उपमा अलंकार

(३) सोहत ओढ़े पीत पट श्याम सलोने गात ।
मनो नीलमनि शैल पर आतप पर्यो प्रभात ॥
उत्तर:
उत्प्रेक्षा अलंकार

(४) पत्रा ही तिथि पाइयें, वाँ घर के चहुँ पास ।
नितप्रति पून्योई रहयो, आनन – ओप उजास ॥
उत्तर:
अतिश्योक्ति अलंकार

(इ) निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत रस पहचानकर उनके नाम लिखिए (कोई दो) : (२)

(१) कहा- कैकयी ने सक्रोध
दूर हट! दूर हट! निर्बंध !
द्विजिव्हे रस में विष मत घोल ।
उत्तर:
रौद्र रस

(२) सिर पर बैठो काग, आँख दोऊ खात
खींचहि जहि सियार अतिहि आनंद उर धारत ।
गिद्ध जाँघ के माँस खोदि खोदि खात, उचारत हैं।
उत्तर:
वीभत्स रस

(३) राम के रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाही,
या सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाही ।
उत्तर:
श्रृंगार रस

(४) माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहे ।
एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोहे ॥
उत्तर:
शांत रस

(ई) निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर उचित वाक्यों में प्रयोग कीजिए (कोई दो) :

(१) जान बख्शना ।
उत्तर:
जान बख्शना जीवन दान देना
वाक्य प्रयोग – शेर को हिरन पर बड़ी दया आई और उसने हिरन की जान बख्श दी।

(२) फलीभूत होना।
उत्तर:
फलीभूत होना – परिणाम निकल आना ।
वाक्य प्रयोग – परीक्षा के लिए की गई रमेश की मेहनत फलीभूत हुई।

(३) शक्ल पर बारह बजना ।
उत्तर:
शक्ल पर बारह बजना – बड़ा उदास रहना ।
वाक्य प्रयोग – रमेश की चोरी पकड़ी जाने पर उसकी शक्ल पर बारह बज गए।

(४) हवा लगना।
उत्तर:
हवा लगना – असर पड़ना / होना ।
वाक्य प्रयोग-विदेश में पढ़ाई करने वाली मीना को आखिरकार शहर की हवा लग ही गई।

(उ) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए (कोई दो) : (२)

(१) उन्हें व्यवस्थित करने की सभी प्रयास निष्फल रहा हैं।
उत्तर:
उन्हें व्यवस्थित करने के सभी प्रयास निष्फल रहे हैं।

(२) लोगों ने देखा ओर हैरान रह गया।
उत्तर:
लोगों ने देखा और हैरान रह गए।

(३) तापमान बडने से ध्रुवों पर जमी हुई विशाल बर्फ राशी पिघलने के समाचार भी आ रहे हैं।
उत्तर:
तापमान बढ़ने से ध्रुवों पर जमी हुई विशाल बर्फ राशि पिघलने के समाचार भी आ रहे हैं।

(४) दिलीन उच्च शिक्शा के लिए लंदन चली गया।
उत्तर:
दिलीप उच्च शिक्षा के लिए लंदन चला गया।

Maharashtra Board Class 12 Hindi Previous Year Question Papers

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