Maharashtra Board SSC Class 10 Hindi Sample Paper Set 4 with Answers Solutions Pdf Download.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Model Paper Set 4 with Answers
Time: 3 Hours
Total Marks: 80
सूचनाएँ:
1. सूचनाओं के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन तथा भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
2. सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
3. रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
4. शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
विभाग 1 – गद्य : 20 अंक
प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पड़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [8]
उस दिन लड़के ने तैश में आकर लक्ष्मी की पीठ पर चार डंडे बरसा दिए थे। वह बड़ी भयभीत और घबराई थी। जो भी उसके पास जाता, सिर हिला उसे मारने की कोशिश करती या फिर उछलती कूदती, गले की रस्सी | तोड़कर खूंटे से आजाद होने का प्रयास करती। करामत अली इधर दो-चार दिनों से अस्वस्थ था। लेकिन जब उसने यह सुना कि रहमान ने गाय की पीठ पर डंडे बरसाए हैं तो उससे रहा नहीं गया। वह किसी प्रकार चारपाई से उठकर धीरे – धीरे चलकर बथान में आया। आगे बढ़कर उसके माथे पर हाथ फेरा, पुचकारा और हौले से उसकी पीठ पर हाथ फेरा। लक्ष्मी के शरीर में एक सिहरन- सी दौड़ गई। “ओह कंबख्त ने कितनी बेदर्दी से पीटा है।” उसकी नीबी रमजानी बोली- “लो, चोट की जगह पर यह रोगन लगा दो बेचारी को आराम मिलेगा।” करामत अली गुस्से में बोला- “क्या अच्छा हो अगर इसी लाठी से तुम्हारे रहमान के दोनों हाथ तोड़ दिए जाएँ। कहीं इस तरह पीटा जाता है?” रमजानी बोली- “लक्ष्मी ने आज भी दूध नहीं दिया।” |
1. संपूर्ण कीजिए: (2)
2. i. एक शब्द में उत्तर लिखिए: (1)
1. किसने लक्ष्मी को पीटा?
2. रमजानी किसे समझाने लगी?
ii. कारण लिखिए: (1)
रमजानी ने करामत अली को रोगन दिया।
3. i. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए: (1)
1. क्रोध
2. पैर
ii. उपसर्ग अलग करके नए शब्द बनाइए: (1)
1. अस्वस्थ
2. बेदर्दी
4. ‘जानवरों को कष्ट नहीं देना चाहिए’, स्पष्ट कीजिए।
(आ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [8]
प्रिय सरोज, जिस आश्रम की कल्पना की है उसके बारे में कुछ ज्यादा लिखूँ तो बहन को सोचने में मदद होगी, आश्रम यानी होम (घर) उसकी व्यवस्था में या संचालन में किसी पुरुष का संबंध न हो। उस आश्रम का विज्ञापन अखबार में नहीं दिया जाए। उसके लिए पैसे तो सहज मिलेंगे, लेकिन कहीं माँगने नहीं जाना है। जो महिला आएगी वह अपने खाने-पीने की तथा कपड़ेलत्ते की व्यवस्था करके ही आए। वह यदि गरीब है तो उसकी सिफारिश करने वाले लोगों | को खर्च की पक्की व्यवस्था करनी चाहिए। पूरी पहचान और परिचय के बिना किसी को दाखिल नहीं करना चाहिए।| दाखिल हुई कोई भी महिला जब चाहे तब आश्रम छोड़ सकती है। आश्रम को ठीक न लगे तो एक या तीन महीने का नोटिस देकर किसी को आश्रम से हटा सकता है लेकिन ऐसा कदम सोचकर लेना होगा।आश्रम किसी एक धर्म से चिपका नहीं होगा। सभी धर्म आश्रम को मान्य होंगे, अत: सामान्य सदाचार, भक्ति तथा सेवा का ही वातावरण रहेगा। |
1. ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों: (2)
1. अखबार
2. आश्रम
2. i. एक शब्द में उत्तर लिखिए: (1)
1. यह पत्र किसे लिखा गया है-
2. आश्रम की व्यवस्था में या संचालन में इसका संबंध न हो-
ii. सही या गलत पहचानकर लिखिए: (1)
1. पूरी पहचान और परिचय के बिना सभी महिलाओं को दाखिल करना चाहिए।
2. सिर्फ एक धर्म आश्रम को मान्य होगा।
3. i. निम्नलिखित शब्दों में प्रत्यय जोड़कर नए शब्द लिखिए: (1)
1. संबंध
2. गरीब
ii. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए: (1)
1. महिला
2. महीने
4. ‘पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रहना चाहिए, इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए। (2)
(इ) निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पड़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [4]
प्रकृति हमारी माता और हम सभी जीव उसके बालक हैं। अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए प्रकृति, अपने संसाधनों के द्वार खोले हुए है। आज जो कुछ भी हमने प्राप्त किया है और आगे जो कुछ भी हमें प्राप्त होगा, वह सब प्रकृति का ही आशीर्वाद है। जीने के लिए आवश्यक प्राणवायु से लेकर जलवायु के चक्र तक; पेट भरने के लिए फल-फूल व भोजन से लेकर जीवनदायिनी जड़ी-बूटियाँ आदि सब कुछ प्रकृति से ही हमें प्राप्त हुआ है। प्रकृति के इस परोपकार के बदले हम मनुष्यों ने उसे क्या दिया? जब यह सवाल मन में उठता है, तो आँखों के सामने पहाड़ों-जंगलों का कटना, जहरीली गैसों व द्रव पदार्थों का निर्माण जैसी चीजें आ जाती हैं। हमारी इसी देन की वजह से आज प्रकृति का हरा-भरा, सुंदर व सुखदायी आँचल अपनी सुंदरता खोता जा रहा है। परिणामस्वरूप बाढ़, अकाल, भूकंप, सुनामी जैसी भयावह प्राकृतिक आपदाओं का सामना हमें करना पड़ रहा है। यदि हमने प्रकृति की इस बिगड़ती सेहत का ध्यान नहीं दिया, तो इस धरा पर किसी भी जीव का अस्तित्व नहीं बचेगा। |
1. संजाल पूर्ण कीजिए:
2. ‘प्रकृति हमारी माता है’, इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ) 1.
2. i. 1. रहमान
2. करामत अली
ii. रहमान के मारने के कारण लक्ष्मी की पीठ पर चोट आई थी। रमजानी चाहती थी कि करामत वह रोगन लक्ष्मी की पीठ पर लगा दे, जिससे उसे दर्द से राहत मिल जाए।
3. i. 1. गुस्सा
2. पाँव
ii. 1. स्वस्थ
2. दर्दी
4. मनुष्य की तरह जानवर भी इस दुनिया का हिस्सा हैं। उन्हें भी सुख-दुख का अनुभव होता है। वे काफी हद तक मनुष्यों पर निर्भर होते हैं, खासकर पालतू जानवर। इसके बावजूद भी आज लोगों द्वारा जानवरों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है। स्वार्थ में अँधे होकर हम जानवरों को कष्ट देने लगे हैं। जब तक जानवरों की जरूरत होती है, तब तक उनका ध्यान रखते हैं । जब उपयोग खत्म हो जाता है, तो उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है। फिर वे भूखे-प्यासे यहाँ वहाँ भटकते हैं। उन्हें मारा- पीटा जाता है। हमें जानवरों के प्रति ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए । उन्हें कष्ट देने के बजाय उनकी देखरेख करनी चाहिए। आवश्यकता समाप्त हो जाने के बाद उन्हें सरकारी पशुशाला में ले जाना चाहिए, जिससे उनकी सही देखभाल हो सके।
(आ) 1.
1. आश्रम का विज्ञापन किसमें नहीं दिया जाएगा?
2. कौन किसी एक धर्म से चिपका नहीं होगा?
2. i. 1. सरोज2. पुरुष
ii. 1. गलत
2. गलत
3. i. 1. संबंधित
2. गरीबी
ii. 1. महिलाएँ
2. महीना
4. पत्र-लेखन संदेश भेजने व प्राप्त करने का एक साधन है। इसके माध्यम से बहुत दूर बैठे अपने सगे- संबंधियों व मित्रों से हम अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। पत्र सीधे लोगों के दिलों पर असर करता है। पत्र पढ़ते समय यह अनुभव होता है कि जैसे पत्र लिखनेवाला सामने ही बैठा है। पत्र- लेखन में जो अपनापन होता है, वह अन्य किसी साधन में नहीं होता। आज आधुनिक युग में पत्र का रूप भी बदलता जा रहा है। अब ई-मेल के जरिए पत्र भेजा जा रहा है। हालांकि मोबाइल के कारण लोग पत्रों का प्रयोग कम करने लगे हैं। फिर भी कार्यालयों, स्कूलों या फिर सरकारी कामों में पत्र अभी भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पत्र लेखन हमेशा से ही लेखन की कला का महत्त्वपूर्ण अंग रहा है और रहेगा। अतः पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रहना ही चाहिए।
(इ) 1.
2. हमारे आस-पास सबसे सुंदर और आकर्षक हमारी प्रकृति है। ये हमें खुश रखती है और स्वस्थ जीवन जीने के लिए अच्छा वातावरण देती है। प्रकृति मनुष्य को पीने के लिए पानी, साँस लेने के लिए हवा, पेट भरने के लिए भोजन, रहने के लिए जमीन आदि बहुत कुछ देती है । मनुष्य सदियों से प्रकृति की गोद में फलता-फूलता रहा है। हजारों वर्ष पूर्व जब मनुष्य इतना विकसित नहीं हुआ था, तब वह पूरी तरह प्रकृति पर ही निर्भर था। आज जब उसने विज्ञान की ऊँचाइयों को छू लिया है, तब भी वह प्रकृति पर ही निर्भर है। प्रकृति ने सदा माता की तरह हमारा ध्यान रखा है, परंतु मनुष्य आज विकास के नाम पर प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहा है। मनुष्य को प्रकृति के संतुलन को बिगड़ने नहीं देना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों का दुरुयोग बंद करना चाहिए। यदि हम अपनी मातारूपी प्रकृति को सुरक्षित रखेंगे, तो हम भी सुरक्षित रहेंगे।
विभाग 2 – पद्य : 12 अंक
प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [6]
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न। हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव। वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान वही है शांति, वही है शक्ति वही हम दिव्य आर्य संतान। जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष। |
1. संजाल पूर्ण कीजिए:
2. i. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए:
1. बाहु
2. हिम्मत
ii. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग जोड़कर नए शब्द लिखिए:
1. नम्रता
2. हृदय
3. पद्यांश की प्रथम दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [6]
घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा।। दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल के प्रीति जथा थिर नाहीं।। बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ।। बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे।। छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई।। भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी।। समिटि समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा।। सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई।। |
1. संजाल पूर्ण कीजिए: (1)
2. i. निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए: (1)
1. स्थिर
2. सज्जन
ii. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए: (1)
1. नदी
2. सरिता
3. पद्यांश की प्रथम दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ)
1.
2. i. 1. भुजा
2. साहस
ii. 1. विनम्रता
2. सहृदय
3. कवि कहता है कि हम भारतवासियों का चरित्र हमेशा से ही पवित्र रहा है। हमारी भुजाओं में शक्ति है और विनम्रता हमारा गहना है। भारतवासी होने पर हमें गर्व है। हम किसी को कष्ट और दुख में नहीं देख सकते हैं।
(आ) 1.
2. i. 1. अस्थिर
2. दुर्जन
ii. 1. नदियाँ
2. सरिताएँ
3. प्रभु श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण से कह रहे हैं, हे भाई, लक्ष्मण! आकाश में बादल घमंड में गर्जना कर रहे हैं। ऐसे में प्रिया अर्थात सीता के विना मेरा मन डर रहा है। बिजली रह-रहकर बादलों के बीच चमक रही है। उसकी चमक उसी तरह स्थिर नहीं है, जिस तरह दुष्ट व्यक्ति के प्रेम में स्थिरता नहीं होती है।
विभाग 3 – पूरक पठन : 8 अंक
प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
सिरचन को लोग चटोर भी समझते हैं। तली बघारी हुई तरकारी, दही की कड़ी, मलाईवाला दूध, इन सबका प्रबंध पहले कर लो, तब सिरचन को बुलाओ दुम हिलाता हुआ हाजिर हो जाएगा। खाने-पीने में चिकनाई की कमी हुई कि काम की सारी चिकनाई खत्म! काम अधूरा रखकर उठ खड़ा होगा- “आज तो अब अधकपाली दर्द से माथा| टनटना रहा है। थोड़ा-सा रह गया है, किसी दिन आकर पूरा कर दूँगा।” ‘किसी दिन’ माने कभी नहीं!
मोथी घास और पटेर की रंगीन शीतलपाटी, बाँस की तीलियों की झिलमिलाती चिक, सतरंगे डोर के मोड़े, भूसी चुन्नी रखने के लिए मूंज की रस्सी के बड़े-बड़े जाले, हलवाहों के लिए ताल के सूखे पत्तों की छतरी टोपी तथा इसी तरह के बहुत से काम हैं जिन्हें सिरचन के सिवा गाँव में और कोई नहीं जानता। यह दूसरी बात है कि अब गाँव में ऐसे कामों को बेकाम का काम समझते हैं लोग। बेकाम का काम जिसकी मजदूरी में अनाज या पैसे देने की कोई जरूरत नहीं। पेट भर खिला दो, काम पूरा होने पर एकाध पुराना-धुराना कपड़ा देकर विदा करो। वह कुछ भी नहीं बोलेगा।… |
1. संपूर्ण कीजिए: (2)
2. ‘कला के प्रति ईमानदारी ही सच्चे कलाकार की पहचान होती है’ इस पर अपने विचार लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [4]
यों आप खफा क्यों होती हैं, टंटा का काहे का आपस में। हमसे तुम या तुमसे हम बढ़-चढ़कर क्या रक्खा इसमें। झगड़े से न कुछ हासिल होगा, रख देंगे बातें उलझा के। बस बात पते की इतनी है, ध्रुव या रजिया भारत माँ के। भारत माता के रथ के हैं हम दोनों ही दो-दो पहिये, अजी दो पहिये, हाँ दो पहिये। हम उस धरती की संतति हैं….. |
1. i. आकृति पूर्ण कीजिए: (1)
ii. आकृति पूर्ण कीजिए: (1)
2. लिंग भेदभाव पर अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ)
1.
2. हर मनुष्य के अंदर कोई-न-कोई कला अवश्य होती है। वह उसी कला को अपने जीवन जीने का सहारा बनाता है और पूरी ईमानदारी से अपनी कला लोगों के सामने लाता है। उसकी यही ईमानदारी उसे एक सच्चे कलाकार की पहचान देती है। अपनी कला से लोगों को प्रसन्न करना, यह प्रत्येक कलाकार के जीवन का उद्देश्य होता है। इस कार्य में सफलता प्राप्त होने पर उसे अपनी कला पर गर्व होता है। उसके लिए केवल पैसे कमाना ही जरूरी नहीं होता, बल्कि अपनी कला के जरिए वह लोगों में अपनी एक पहचान बनाना चाहता है। इस पहचान को लोगों के बीच कायम रखने के लिए वह ईमानदारी से हर पल अपना कार्य करता है। अतः कला के प्रति ईमानदारी ही सच्चे कलाकार की पहचान कराती है।
(आ) 1.
2. लिंग भेदभाव का मतलब है स्त्री व पुरुष में भेदभाव करना। आज भी हमारे देश में लिंग भेदभाव बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। आज भी यदि किसी घर में लड़की जन्म लेती है, तो परिवार उसके भविष्य की जिम्मेदारियों को लेकर चिंतित हो जाता है। यह स्थिति गाँव में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी देखने को मिल जाती है लड़कियाँ पराया धन होती है इस मानसिकता के कारण भी हमारे घर परिवार व समाज में लड़के-लड़कियों में भेदभाव दिखाई देता है। लड़कों के लिए लड़कियों की अपेक्षा अच्छा खाना, कपड़ा, शिक्षा आदि की व्यवस्था की जाती है। यह भेदभाव लड़कियों में असुरक्षा व असमानता का भाव पैदा करता है। इस भेदभाव को खत्म करना बहुत ही जरूरी है।
विभाग 4 – भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 14 अंक
प्रश्न 4.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
1. अधोरेखांकित शब्द का भेद लिखिए:(1)
मेरी माँ रसोईघर के अंदर पकवान आदि बनाने में व्यस्त थी।
2. निम्नलिखित अव्ययों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए:(1)
i. ऊपर
ii. के पीछे
3. तालिका पूर्ण कीजिए (दो में से कोई एक) (1)
संधि शब्द | संधि विच्छेद | भेद |
i. आनंदोत्सव | ________ | ________ |
ii. ________ | उत् + चारण | ________ |
4. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य की सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए:(1)
i. हम लोग दिन भर पणजी शहर देखते रहे।
ii. आप यहाँ से चले जाइए।
5. निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:(1)
i. पढ़ना
ii. सोना
6. निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए:
i. काँप उठना
ii. सीना तानकर खड़े रहना
अथवा
अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए गए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके
वाक्य फिर से लिखिए:
(निछावर करना, प्राप्त करना)
अपनी मातृभूमि के लिए भारतमाता के सपूत सबकुछ समर्पित करने को तैयार रहते हैं।
7. निम्नलिखित में से किसी एक वाक्य में प्रयुक्त कारक चिह्न पहचानकर उसका भेद लिखिए: (1)
i. अर्थशास्त्र ने यह नियम बताया है।
ii. लक्ष्मी को छोड़ आया।
8. निम्नलिखित वाक्य में उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए: (1)
ससुरी खुद मरी, बेटे बेटियों को ले गई अपने साथ
9. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए: (2)
i. मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जा रहा था (सामान्य भूत काल)
ii. गाड़ी चल पड़ी। (सामान्य भविष्य काल)
iii. गरीबी या बेकारी की समस्या हल नहीं कर सकी है। (सामान्य वर्तमान काल)
10. i. निम्नलिखित वाक्य का रचना के अनुसार भेद लिखिए: (1)
कल्याणकारी राज्य का अर्थ यह समझा जाता है कि सब तरह के दुर्बलों को राज्य सत्ता द्वारा मदद मिले।
ii. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए:
1. अब हम उसका आए दिन प्रयोग कर सकेंगे। (प्रश्नार्थक वाक्य)
2. अपने सारे बदले लेने का यह सही वक्त है। (निषेधार्थक वाक्य)
11. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए:
i. बाबु जी खुद इंपाला का प्रयोग न के बराबर करते थे।
ii. आपकी उम्र और स्वास्थ का भी लिहाज नही किया।
iii. यहा कई हिट फिल्मों की शूटींग हुई है।
उत्तर:
1. माँ – संज्ञा
2. i. आपका कमरा ऊपर है।।
ii. घर के पीछे लड्डूवाले की दुकान है। }दो में से कोई एक
3.
संधि शब्द | संधि विच्छेद | भेद |
i. आनंदोत्सव | आनंद + उत्सव | स्वर संधि |
ii. उच्चारण | उत् + चारण | व्यंजन संधि |
}दो में से कोई एक
4. i. रहे (रहना)
ii. जाइए (जाना)
}दो में से कोई एक
5.
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
i. पढ़ना | पढाना | पढ़वाना |
ii. सोना | सुलाना | सुलवाना |
}दो में से कोई एक
6. i. काँप उठना भयभीत होना।
वाक्य : भीषण जल प्रलय को देखकर सभी काँप उठे।
ii. सीना तानकर खड़े रहना – निर्भय होकर खड़ा रहना।
वाक्यः सैनिक अपने राजा की रक्षा के लिए सीना तानकर खड़ा हो गया।
}दो में से कोई एक
अथवा
अपनी मातृभूमि के लिए भारतमाता के सपूत सबकुछ निछावर करने को तैयार रहते हैं।
7. i. ने – कर्ता कारक
ii. को-कर्म कारक
8. ससुरी खुद मरी बेटे-बेटियों को ले गई अपने साथ।
}दो में से कोई एक
9. i. मानू को ससुराल पहुँचाने मैं ही गया।
ii. गाड़ी चल पड़ेगी।
iii. गरीबी या बेकारी की समस्या हल नहीं कर सकती है।
}तीन में से कोई दो
10. i. मिश्र वाक्य
ii. 1. क्या अब हम उसका आए दिन प्रयोग कर सकेंगे?
2. अपने सारे बदले लेने का यह सही वक्त नहीं है।
} दो में से कोई एक
11. i. बाबू जी खुद इंपाला का प्रयोग न के बरावर करते थे।
ii. आपकी उम्र और स्वास्थ्य का भी लिहाज नहीं किया।
iii. यहाँ कई हिट फिल्मों की शूटिंग हुई है।
} तीन में से कोई दो
विभाग 5- उपयोजित लेखन : 26 अंक
प्रश्न 5.
सूचनाओं के अनुसार लिखिए:
(अ)
1. पत्र – लेखन: (5)
निम्नलिखित जानकारी का उपयोग कर पत्र लिखिए:
छोटे भाई को पढ़ाई में परिश्रम करने के लिए प्रेरित करते हुए पत्र लिखिए।
अथवा
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर पत्र लिखिए:
2. गद्य – आकलन (प्रश्न निर्मिति): (4)
निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर परिच्छेद में एक-एक वाक्य में हों:
हमारा भारत देश अनेक धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं से सुशोभित है। इसी अनेकता में देश की एकता है। भारत एक विशाल देश है इसकी सीमा कई देशों से लगी है। अतः इसके सीमांतर प्रांतों में अपने पड़ोसी देशों की संस्कृति की भी झलक मिलती है। यहाँ अनेक धर्म, वर्ण, जाति और संप्रदाय के लोग सदियों से भाईचारे के साथ रहते आए हैं। अनेक विदेशी धर्मों के लोग भारत आए और यहीं के होकर रह गए। इनमें ईरानी, पारसी, पुर्तगाली और जुईस प्रमुख हैं। इनके अलावा हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई के साथ-साथ जैन, बौद्ध आदि निर्बंध रूप से अपने धर्मों का निर्वाह करते हैं। सभी अपने-अपने धर्म का पालन करते हुए भी| एकता के सूत्र में बँधे हुए हैं।
भारत की भौगोलिक सीमा अत्यंत विस्तृत है। उत्तर में पर्वतराज हिमालय शीश की शोभा है, तो दक्षिण में हिंद महासागर पैर पखार रहा है। पूरब में बंगाल की खाड़ी है तो पश्चिम में अरब सागर फैला हुआ है। भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक, पंजाब से बंगाल तक अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। सबके रहन- सहन, रीति-रिवाज, खान-पान अलग-अलग हैं। सबके रूप-रंग भिन्न-भिन्न हैं। अलग-अलग वेशभूषाओं में सजे-सँवरे देशवासी किसी बगिया के रंग-बिरंगे फूलों की तरह लगते हैं। सभी आपसी प्रेम में बँधे हुए फूलों की माला के समान हैं। यही विविधता लोगों को आपस में जोड़ती है। |
(आ)
1. वृत्तांत लेखन: (70 से 80 शब्द) (5)
नीचे दिए गए विषय पर वृत्तांत लिखिए:
अथवा
कहानी-लेखन (70 से 80 शब्द)
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर एक रोचक कहानी गठित कीजिए और कहानी से प्राप्त सीख का उल्लेख कीजिए:
एक किसान खेत में फसल न होना साँप देखना उसकी सेवा करना बिल के पास सोने का सिक्का – बेटे को दूध रखने के लिए कहना – बिल को खोदना – लड़के को डँसना सीख।
2. विज्ञापन-लेखन: (50 से 60 शब्द)
जगजीवन पब्लिकेशंस को हिंदी में अनुवाद करने वाला / वाली चाहिए। इस पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
(इ) निबंध लेखन: (7)
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए:
1. यदि मोबाइल न होता तो…
2. पर्यावरण सुरक्षा: एक सामाजिक दायित्व
3. फटी पुस्तक की आत्मकथा
उत्तर:
(अ)
1. 19 अगस्त, 2023
अजय सिंह,
जनकल्याण हॉस्टल
302 / जी, महाराष्ट्र। [email protected]
प्यारे भाई,
सस्नेह आशीर्वाद।
हम सभी यहाँ पर कुशलपूर्वक हैं और आशा है कि तुम भी वहाँ कुशल होगे। कुछ दिनों बाद तुम्हारी परीक्षा शुरू शुरू होने वाली है। इस बार तुम्हें पिछली बार की अपेक्षा और अधिक अच्छे अंक लाने होंगे। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी में खूब मेहनत करो। कक्षा में पढ़ाए जाने वाले पाठ को ध्यानपूर्वक सुना करो और हॉस्टल आकर उसका पुनः अभ्यास किया करो| पाठ से संबंधित कोई कठिनाई आने पर अध्यापक से विचार-विमर्श कर लिया करो मन लगाकर पढ़ो और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करो। हमारी शुभकामनाएँ हमेशा तुम्हारे साथ हैं।
तुम्हारा भाई,
अमर
अमर सिंह,
35, केदार बिल्डिंग,
पुणे।
[email protected]
अथवा
4 अगस्त, 2023
सेवा में,
माननीय प्रधानाचार्य महोदय,
आशा हाई स्कूल,
गाँधी नगर,
नई दिल्ली।
[email protected]
विषय: एक दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय जी,
कल स्कूल से लौटते ही अचानक मेरे पेट में तेज दर्द हुआ, जिससे मैं बेचैन हो उठा। डॉक्टर के उपचार के बाद मुझे आराम मिला, लेकिन रात के समय बुखार हो गया था । मुझे अब काफी शारीरिक कमजोरी अनुभव हो रही है में स्कूल आने की स्थिति में नहीं हूँ। डॉक्टर ने भी मुझे आज आराम करने की सलाह दी है।
कृपया मुझे एक दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मनोज
मनोज सावंत,
कक्षा : दसवीं (ब),
क्रमांक 44.
मनोहर बाग,
दिल्ली|
[email protected]
2. 1. भारत किनसे सुशोभित है?
2. भारत के सीमांतर प्रांतों में किसकी झलक मिलती है?
3. किस देश के लोग एकता के सूत्र में बँधे हैं?
4. भारत के दक्षिण में कौन-सा महासागर है?
(आ) 1. हिंदी दिवस समारोह संपन्न
मुंबई। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में 14 सितंबर, 2022 को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक दादर स्थित ज्ञान ज्योति विद्यालय के सभागार में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर क्षेत्र के नगरसेवक श्री मानसिंह भगत पधारे। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री जितेंद्र दीक्षित, उपप्रधानाचार्या माला तिवारी सहित सभी शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद थे।
कार्यक्रम की शुरुआत माता सरस्वती की वंदना व दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद विद्यार्थियों ने नृत्य, गायन, भाषण, नाटक जैसे अनेक मनमोहक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित ‘निज भाषा’ कविता का प्रस्तुतीकरण व उनका नाटक ‘अँधेर नगरी’ था। इस दौरान श्री मानसिंह भगत ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया और विद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की प्रशंसा की। कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को प्राधानाचार्य के हाथों सम्मानचिह्न दिया गया। अंतत: राष्ट्रगान के साथ ही इस कार्यक्रम का समापन हुआ।
अथवा
जैसी करनी, वैसी भरनी
बहुत समय पहले की बात है। दूर गाँव में एक किसान आम के पेड़ की छाया में बैठकर आराम कर रहा था। खेत में दिनभर कड़ी मेहनत करने के बाद पेड़ की छाया में किसान को बहुत आनंद मिल रहा था। उसी समय उसकी नजर पेड़ से थोड़ी दूर बैठे एक साँप पर पड़ी। काफी देर तक वह किसान उसी पेड़ के नीचे बैठा साँप को देखता रहा। साँप हिल-डुल नहीं रहा था। उसकी बिल भी वहीं बगल में थी, लेकिन वह उसमें जा नहीं रहा था। अंत में किसान उस साँप के करीब गया। उसे लकड़ी से हिलाया डुलाया, लेकिन वह साँप वहीं पड़ा रहा।
किसान को लगा कि यह साँप भूख-प्यास के कारण परेशान है। एक कटोरा पानी साँप के सामने रखकर किसान घर लौट आया। अगले दिन जब किसान पेड़ के पास गया, तो उसने कटोरे में एक सोने का सिक्का देखा। सोने का सिक्का देखकर किसान बहुत प्रसन्न हुआ। वह अब प्रतिदिन कटोरे में पानी रखता और उसके बदले उसे एक सोने का सिक्का मिलता। किसान धीरे-धीरे अमीर हो गया। एक दिन उसे किसी काम के सिलसिले में शहर जाना था। उसने अपने बेटे को बिल के पास पानी रखने के लिए कहा।
दूसरे दिन बेटे ने बिल के पास पानी का कटोरा रख दिया। थोड़ी देर बाद जब उसने कटोरा देखा, तो उसमें एक सोने का सिक्का था। सोने का सिक्का देखकर उसने सोचा कि जरूर इस पेड़ के नीचे ढेर सारे सोने के सिक्के हैं, जिनमें से साँप रोज एक सिक्का कटोरे में डाल देता है। यदि वह इस बिल को खोदकर साँप को मार डालेगा, तो उसे सारे सिक्के एक साथ मिल जाएँगे।
लालच में आकर उसने बिल खोदना शुरू किया। थोड़ी देर बाद उस बिल में से साँप बाहर आ गया। साँप को देखकर लड़के ने उसे डंडे से मारना चाहा, परंतु निशाना चूक गया और साँप ने लड़के को ही डँस लिया। लड़के की तुरंत मृत्यु हो गई। किसान को जब अपने बेटे की करनी का पता चला तब उसे बहुत दुख हुआ।
सीखः जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है।
2.
(इ)
1. यदि मोबाइल न होता तो…
विज्ञान के कई बेहतरीन आविष्कारों में से एक है मोबाइल। इसने मनुष्य का जीवन ही पूरी तरह से बदल दिया है। आज के दौर में मोबाइल बच्चे-बूढ़े सभी की जरूरत बन चुका है। कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल को एक क्षण के लिए भी अपने से दूर नहीं रखना चाहता है, खासकर युवा।
मोबाइल से हमें अनेक लाभ हैं। मोबाइल के माध्यम से हम दूर बैठे किसी व्यक्ति से बातचीत कर सकते हैं। उसे वीडियो कॉल कर उसे देखते हुए भी बात कर सकते हैं। मोबाइल की सहायता से हम ईमेल भेजना, टिकट बुकिंग, विजली बिल भुगतान, गैस बुकिंग, पैसे भेजना एवं खरीददारी जैसे अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं। व्हॉट्स ऐप, फेसबुक, ट्विटर जैसी अनेक सोशल साइटों को मोबाइल पर आसानी से चलाया जा सकता है। मोबाइल से इंटरनेट को जोड़कर खेलकूद, मनोरंजन के साथ ही अनेक जरूरी काम आसानी से किए जा सकते हैं।
मोबाइल से फायदे के साथ-साथ नुकसान भी हैं। आज मोबाइल से सायबर अपराध को बढ़ाव मिल रहा है। मोबाइल का अधिक उपयोग कान व दिमाग को नुकसान पहुँचा रहा है। मोबाइल के प्रति पागलपन इतना बढ़ गया है कि लोग अपने जरूरी काम छोड़कर मोबाइल स्क्रीन पर समय बिता रहे हैं। देर रात तक जागकर मोबाइल चलाया जाता है। लोगों का सामाजिक जीवन जैसे समाप्त हो गया है। लोग अपने मोबाइल तक ही सीमित हो गए हैं। अब लोगों का मिलना-जुलना और हाल- समाचार सव मोबाइल से ही होने लगा है।
मोबाइल पर पूरी तरह निर्भर हो जाने और उसके अधिक प्रयोग से लोगों को बहुत नुकसान हो रहा है। इससे लोगों के मानसिक, सामाजिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। मोबाइल एक वरदान है, लेकिन उसका दुरुपयोग व आवश्यकता से अधिक प्रयोग नहीं होना चाहिए।
अथवा
2. पर्यावरण सुरक्षा : एक सामाजिक दायित्व
हमारा देश आज लगातार प्रगति कर रहा है, लेकिन उसके साथ ही कई समस्याओं का भी जन्म हो रहा है। खासकर पर्यावरण की समस्या आज न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व के सामने एक बहुत बड़ा सवाल बन गया है।
पर्यावरण एक सुरक्षा कवच की तरह है। उसके अंदर मनुष्य सहित सभी जीव-जंतु सुरक्षित और सुखी हैं। यदि यह सुरक्षाकवच क्षतिग्रस्त हो गया, तो हमारे ऊपर बुरा असर पड़ेगा। अतः इसकी रक्षा करना हमारी जरूरत और दायित्व दोनों है।
अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मनुष्य लगातार पर्यावरण को क्षति पहुँचा रहा है। पेड़- पौधों व पहाड़ों को काटा जा रहा है। कारखानों से निकलने वाला दूषित रसायन नदी, तालाब और समुद्र के पानी में छोड़ा जा रहा है। मोटर-कारों, कारखानों, लाउडस्पीकरों आदि की आवाजों से हर कोई परेशान है। आज हवा, पानी, जमीन आदि में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
लोगों को शुद्ध हवा-पानी नहीं मिल रहा है। इसके परिणामस्वरूप लोगों का स्वास्थ्य स्तर गिरा जा रहा है। नई-नई बीमारियाँ और परेशानियाँ हमारे सामने आने लगी हैं। कई जीव-जंतु विलुप्त हो गए और कई विलुप्त होने की कगार पर पहुँच गए हैं। जलचक्र अनियमित हो गया है। इस कारण कहीं सूखा, तो कहीं बाढ़ आ रही है।
पर्यावरण की सुरक्षा हर व्यक्ति का सामाजिक दायित्व है और सभी को इसे निभाना चाहिए। यदि समय रहते पर्यावरण की सुरक्षा हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो मनुष्य के लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
अथवा
फटी पुस्तक की आत्मकथा
सुनिए… हाँ, मैं बोल रही हूँ!… एक फटी पुस्तक। आज में आपको अपनी अब तक की जीवनगाथा सुनाना चाहती हूँ। मैं बहुत प्रसन्न व भाग्यशाली हूँ कि आपने मेरा महत्त्व समझा और इस रद्दी की दुकान से उठाकर अपने छोटे-से ग्रंथालय में स्थान दिया । मेरी रचना एक बहुत ही बड़े विद्वान साहित्यकार ने की थी। मैं शुरुआती दौर में कुछ बिखरे हुए फटे-पुराने पन्नों का एक संग्रह थी। एक दिन उस विद्वान के एक प्रकाशक मित्र ने मुझे छापने का निवेदन किया। विद्वान भी तैयार हो गया। कुछ ही दिनों में मेरी छपाई शुरू हुई और मुझे एक सुंदर पुस्तक का रूप प्राप्त हुआ।
एक पुस्तक विक्रेता के यहाँ मैं अपनी तकरीबन सैकड़ों प्रतियों के साथ पहुँची। देखते-ही-देखते तीन-चार महीनों में मेरी सारी प्रतियाँ खत्म हो गई और अंत में एक दिन मुझे लेने भी एक पाठक पहुँचा। उसने मुझे खरीदा और अपने घर ले गया। वह हमेशा मुझे अपने सीने से लगाए रखता था।
आज भी मुझे याद है वह काली रात जब मेरा मालिक मुझे लेकर एक टैक्सी में बैठा और अपने मित्र के घर की ओर निकल पड़ा। वहाँ पहुँचकर मुझे बहुत खुशी हुई, क्योंकि मेरे मालिक का मित्र भी मेरे कुछ पन्ने पढ़कर मेरी तारीफ के पुल बाँध रहा था। थोड़ी देर बाद मेरे मालिक ने विदा ली। वह बाहर आकर टैक्सी का इंतजार कर रहा था कि अचानक जोरदार बारिश शुरू हो गई, हालाँकि जल्द ही टैक्सी मिल भी गई, लेकिन मैं और मेरे मालिक दोनों इस बेमौसम बरसात में भीग चुके थे। मेरे मालिक ने टैक्सी की सीट पर कुछ पन्ने खोलकर मुझे सूखने के लिए छोड़ दिया।
कुछ समय में घर आया। वारिश लगातार जारी थी मालिक जल्दबाजी में मुझे वहीं सीट पर भूलकर चले गए। टैक्सी चालक भी अपने घर पहुँच गया। उसने जब पीछे की सीट पर देखा, तो मैं भीगी भीगी सी शक्ल लिए वहीं पड़ी थी। उसने कुछ सोचा और मुझे उठाकर अपने घर लाया और। रद्दी कागजों के ढेर में पटक दिया। कुछ दिनों तक में वहीं पड़ी रही। फिर एक दिन वह कुछ और कागजों पुराने अखबारों, किताबों आदि के साथ मुझे रद्दी की दुकान पर बेच आया।
कई दिनों तक मैं उस दुकान में पड़ी अपनी किस्मत को कोस रही थी। अचानक एक दिन आपकी निगाहों ने मेरा महत्त्व समझा और मुझे आपने एक नया जीवन दिया। समाज में ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है और एक बार फिर मुझे यह मौका देने के लिए आपका धन्यवाद!