Maharashtra Board SSC Class 10 Hindi Sample Paper Set 6 with Answers Solutions Pdf Download.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Model Paper Set 6 with Answers
Time: 3 Hours
Total Marks: 80
सूचनाएँ:
1. सूचनाओं के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन तथा भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
2. सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
3. रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
4. शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
विभाग 1 – गद्य : 20 अंक
प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [8]
अंजुना बीच नीले पानीवाला, पथरीला बहुत ही खूबसूरत है। इसके एक ओर लंबी सी पहाड़ी है, जहाँ से बीच का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। समुद्र तक जाने के लिए थोड़ा नीचे उतरना पड़ता है। नीला पानी काले पत्थरों पर पछाड़ खाता रहता है। पानी ने काट-काटकर इन पत्थरों में कई छेद कर दिए हैं। जिससे ये पत्थर कमजोर भी हो गए हैं। साथ ही समुद्र के काफी पीछे हट जाने से कई पत्थरों के बीच में पानी भर गया है। इससे वहाँ काई ने अपना घर बना लिया है। फिसलने का डर हमेशा लगा रहता है लेकिन संघर्षों में ही जीवन है, इसलिए यहाँ घूमने का भी अपना अलग आनंद है। यहाँ युवाओं का दल तो अपनी मस्ती में डूबा रहता है, लेकिन परिवार के साथ आए पर्यटकों का ध्यान अपने बच्चों को खतरों से सावधान। रहने के दिशानिर्देश देने में ही लगा रहता है। मैंने देखा कि समुद्र किनारा होते हुए भी बेनालियम बीच तथा अंजुना बीच का अपना-अपना सौंदर्य है बेनालियम बीच रेतीला तथा उथला है। यह मछुआरों की पहली पसंद है यहाँ सुबह-सुबह बड़ी मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं लेकिन मजे की बात यह है कि इतनी सारी | मछलियाँ स्थानीय बाजारों में ही बेची जाती है। इनका निर्यात बिलकुल भी नहीं होता है। इसके विपरीत अंजुना बीच गहरा और नीले पानीवाला है। यह बॉलीवुड की पहली पसंद है। यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग हुई है। दोनों बीच व्यावसायिक हैं पर मूल अंतर व्यवसाय की प्रकृति का है। इसके बाद हम लोग दिन भर पणजी शहर देखते रहे। |
1. संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
2. i. एक शब्द में उत्तर लिखिए:
1. यह बीच मछुआरों की पहली पसंद है –
2. स्थानीय बाजारों में इनका निर्यात बिलकुल भी नहीं होता –
ii. सही/ गलत पहचानकर गलत वाक्यों को सही करके पुनः लिखिए:
1. नदी तक जाने के लिए थोड़ा नीचे उतरना पड़ता है।
2. यहाँ वृद्धों का दल तो अपनी मस्ती में डूबा रहता है।
3. i. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द परिच्छेद में से खोजकर लिखिए:
1. बदसूरत
2. आगे
ii. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए:
1. मछुआरा
2. मछली
4. समुद्र से प्राप्त होने वाली प्राकृतिक संपदा के बारे में लिखिए।
(आ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [8]
एक दिन तुम्हारे बाबू जी ने दुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की मजबूरियों को समझाते हुए जब हमसे गहनों की माँग की तो क्षण भर के लिए हमें कुछ वैसा लगा और गहना देने में तनिक हिचकिचाहट महसूस हुई पर यह सोचा कि उनकी प्रसन्नता में हमारी खुशी है, हमने गहने दे दिए। केवल टीका, नथुनी, बिछिया रख लिए थे। वे हमारे सुहागवाले गहने थे। उस दिन तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर दूसरे दिन वे अपनी पीड़ा न रोक सके। कहने लगे-“तुम जब मिरजापुर जाओगी और लोग गहनों के संबंध में पूछेंगे तो क्या कहेंगी?”
हम मुसकराई और कहा – “उसके लिए आप चिंता न करें। हमने बहाना सोच लिया है। हम कह देंगी कि गांधीजी के कहने के अनुसार हमने गहने पहनने छोड़ दिए है इसपर कोई भी शंका नहीं करेगा।” तुम्हारे बाबू जी तनिक देर चुप रहे, फिर बोले- “तुम्हें यहाँ बहुत तकलीफ है, इसे मैं अच्छी तरह समझता हूँ। तुम्हारा विवाह बहुत अच्छे सुखी परिवार में हो सकता था, लेकिन अब जैसा है वैसा है। तुम्हें आराम देना तो दूर रहा, तुम्हारे बदन के भी सारे गहने उतरवा लिए।” हम बोलीं- “पर जो असल गहना है वह तो है। हमें बस वही चाहिए। आप उन गहनों की चिंता न करें। समय आ जाने पर फिर बन जाएँगे। सदा ऐसे ही दिन थोड़े रहेंगे। दुख सुख तो सदा ही लगा रहता है।” |
1. संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
2. i. कारण लिखिए: (1)
अम्मा ने सारे गहने बाबू जी को दे दिए
ii. एक शब्द में उत्तर लिखिए: (1)
1. बाबू जी ने अम्मा से किसकी माँग की?
2. कहाँ जाने पर लोग अम्मा से उनके गहनों के बारे में पूछेंगे?
3. i. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए: (1)
1. गहना
2. समय
ii. निम्नलिखित भिन्नार्थक शब्द के अर्थ लिखिए:
1. पर – अ. _________
ब. _________
4. ‘पर जो असल गहना है वह तो है’, इस वाक्य से अभिप्रेत भाव लिखिए। (2)
(इ) निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [4]
आचार्य चाणक्य महान राजा चंद्रगुप्त के गुरु थे। चंद्रगुप्त अपने गुरु का बहुत सम्मान करते थे। कहते हैं कि चंद्रगुप्त देखने में बहुत सुंदर व गोरे थे, जबकि चाणक्य कुरूप व काले थे। एक दिन चंद्रगुप्त ने चाणक्य से कहा, “गुरुदेव आप जैसा बुद्धिमान इस विश्व में कोई नहीं, लेकिन यदि ईश्वर ने थोड़ा सौंदर्य दिया होता तो आपका कोई अन्य विकल्प न होता” चंद्रगुप्त की बातें सुनकर चाणक्य समझ गए कि उन्हें अपनी सुंदरता पर अभिमान हो गया है। राजा होने के नाते चंद्रगुप्त को सोने के गिलास में पीने के लिए पानी दिया जाता था। एक दिन चाणक्य ने काली मिट्टी व सोने के एक-एक गिलास में पानी भरकर उनके पास रख दिया। जब चंद्रगुप्त को प्यास लगी तो जानबूझकर चाणक्य ने पहले मिट्टी का गिलास आगे कर दिया। चंद्रगुप्त ने उस गिलास का पानी पी लिया।
थोड़ी देर बार चंद्रगुप्त ने उस सोने के गिलास का पानी भी पी लिया। इसके बाद चाणक्य ने चंद्रगुप्त से कहा, “महाराज आपने दोनों पात्रों में रखा पानी पिया। अतः अब आप बताइए कि किस गिलास का पानी अधिक स्वादिष्ट था?” चंद्रगुप्त ने थोड़ा विचार कर कहा, “मिट्टी के पात्र में रखा जल अधिक शीतल व स्वादिष्ट था।” यह सुनकर चाणक्य ने कहा, “राजन जिस तरह पात्र की सुंदरता जल को शीतल व स्वादिष्ट नहीं बना सकती, उसी प्रकार व्यक्ति की सुंदरता उसे ज्ञानी नहीं बना सकती। सुंदरता अथवा कुरूपता से ज्ञान का कोई संबंध नहीं है। व्यक्ति को सम्मान उसके ज्ञान व गुण से मिलता है न कि सुंदरता से।” चंद्रगुप्त समझ गए कि उनके गुरु ने आज उन्हें एक नई शिक्षा दी है और गुरु-शिष्य दोनों मुस्कुराने लगे। |
1. संपूर्ण कीजिए: (2)
2. ‘गुरु एवं शिष्य का रिश्ता’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ) 1.
2. i. 1. बेनालियम
2. मछलियों
3. 1. गलत ; समुद्र तक जाने के लिए थोड़ा नीचे उतरना पड़ता है।
2. गलत ; यहाँ युवाओं का दल तो अपनी मस्ती में डूबा रहता है।
i. 1. मछुआरे
2. पीछे
ii. 1. खूबसूरत
2. मछलियाँ
4. समुद्र से प्राप्त होने वाली संपदाओं में खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, धातु, रसायन, मछली इत्यादि का समावेश है। खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस का उपयोग औद्योगिक कारखानों की मशीने चलाने व यातायात के साधनों के लिए किया जाता है। धातुओं से गहने, साज-सज्जा का सामान इत्यादि बहुत सारी कीमती चीजें बनाई जाती हैं। मछलियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। समुद्र से प्राप्त होने वाला मोती एक कीमती रत्न है, जिसे आभूषण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। समुद्र के खारे पानी से नमक बनाया जाता है।
(आ) 1.
2. i. एक दिन बाबू जी ने दुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की मजबूरियों को समझाते हुए अम्मा से गहनों की माँग की।
ii. 1. गहनों
2. मिरजापुर
3. i. 1. आभूषण
2. वक्त
ii. 1. अ. किंतु
ब. पंख
4. गहने स्त्रियों को बहुत प्रिय होते हैं, लेकिन सबसे अधिक प्रिय होता है उनका सुहाग अर्थात पति । हर भारतीय स्त्री का असली गहना तो उसका पति होता है । अपने पति के दुख-सुख में साथ देना हर स्त्री का कर्तव्य होता है। लेखक की अम्मा ने अपने पति लालबहादुर शास्त्री की मदद के लिए अपने सारे गहने दे दिए थे। इस पर जब शास्त्री जी को दुख हुआ तो लेखक की माँ ने ‘पर जो असल गहना है वह तो है’, यह कहकर उन्हें समझाया। इस वाक्य में लेखक की माँ का पति के प्रति अपार प्रेम व सम्मान दिखाई देता है।
(इ) 1.
2. गुरु अपने शिष्य को ज्ञान देकर एक अच्छा और सच्चा इंसान बनाता है। गुरु के साथ शिष्य का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है। शिष्य अपने गुरु को अभिभावक की तरह सम्मान देता है। गुरु भी शिष्य से अपने पुत्र की तरह प्यार करता है। वह अपने शिष्य के सुख-दुख को समझता है और उसकी कमियों को दूर करने का प्रवास करता है। गुरु हमेशा अपने शिष्य का मार्गदर्शन करते हुए उसे सही राह दिखाता है। गुरु का उद्देश्य यही होता है कि उसका शिष्य हमेशा सफलता प्राप्त करे। जब कोई शिष्य जीवन में किसी बड़े पद पर पहुँच जाता है, तो गुरु को बहुत खुशी और गर्व होता है। इसी कारण कहा जाता है कि गुरु व शिष्य का रिश्ता अनमोल होता है।
विभाग 2 – पद्य : 12 अंक
प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [6]
हाथ में संतोष की तलवार ले जो उड़ रहा है, जगत में मधुमास, उसपर सदा पतझर रहा है, दीनता अभिमान जिसका, आज उसपर मान कर लूँ। उस कृषक का गान कर लूँ।। चूसकर श्रम रक्त जिसका, जगत में मधुरस बनाया, एक-सी जिसको बनाई, सृजक ने भी धूप-छाया, मनुता के ध्वज तले, आह्वान उसका आज कर लूँ। उस कृषक का गान कर लूँ।। |
1. i. आकृति पूर्ण कीजिए: (1)
ii. आकृति पूर्ण कीजिए: (1)
2. i. निम्नलिखित शब्दों के लिए पद्यांश में प्रयुक्त शब्द लिखिए: (1)
1. निर्माता
2. पताका
ii. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग करके नए शब्द बनाइए: (1)
1. दीनता
2. श्रमिक
3. पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [6]
नियों को है मौज रात-दिन हैं उनके पौ-बारे, दीन दरिद्रों के मत्थे ही पड़े शिशिर दुख सारे। वे खाते हैं हलुवा – पूड़ी, दूध- मलाई ताजी, इन्हें नहीं मिलती पर सूखी रोटी और न भाजी। वे सुख से रंगीन कीमती ओढ़ें शाल-दुशाले, पर इनके कंपित बदनों पर गिरते हैं नित पाले। वे हैं सुख साधन से पूरित सुघर घरों के वासी, इनके टूटे-फूटे घर में छाई सदा उदासी। पहले हमें उदर की चिंता थी न कदापि सताती, माता सम थी प्रकृति हमारी पालन करती जाती।। |
1. उत्तर लिखिए:
जीवन शैली में अंतर स्पष्ट कीजिए: (2)
2. i. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए: (1)
1. धनी
2. दुख
ii. प्रत्यय जोड़कर नए शब्द लिखिए: (1)
1. घर
2. सम
3. पद्यांश की प्रथम दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
(अ)
1.
2. i. 1. सृजक
2. ध्वज
ii. 1. दीन
2. श्रम
3. कवि किसान की दुर्दशा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि किसान के हाथों में संतोष की तलवार अर्थात वह संतोषी स्वभाव का है। एक तरफ जहाँ पूरा जगत मधुमास अर्थात वसंत की भाँति फल- फूल रहा है और खुशियाँ मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ किसान का जीवन गरीबी के पतझर में दुखों से घिरा हुआ है। वही गरीबी उस कृषक का अभिमान है । ऐसे कृषक पर कवि आज गर्व करते हुए और उसके सम्मान में गीत गाना चाहते हैं ।
(आ) 1.
धनी | दीन-दरिद्र |
1. शिशिर में धनियों की मौज है। | दीन-दरिद्रों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ता है। |
2. धनी हलुवा पूड़ी और दूध मलाई खाते हैं। | दीन-दरिद्र सूखी रोटी और भाजी को तरसते हैं। |
3. शिशिर में धनी रंगीन व कीमती शाल-दुशाले ओढ़ते हैं। | दीन-दरिद्र अपने ठिठुरते खुले बदन पर ओलों की मार झेलते हैं। |
4. धनी सुविधा संपन्न महलों में निवास करते हैं। | दीन-दरिद्र टूटे-फूटे घरों में रहते हैं। |
2. i. 1. निर्धन
2. सुख
ii. 1. घरवाला
2. समता
3. कवि कहते हैं कि शिशिर ऋतु की ठंड गरीबों के लिए परेशानी और अमीरों के लिए खुशी लेकर आती है। अमीर दिन-रात मौज-मस्ती करते हुए इस ऋतु का आनंद उठाते हैं। वहीं गरीब शिशिर की ठंड में दुख उठाने को मजबूर होते हैं।
विभाग 3 – पूरक पठन : 8 अंक
प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [4]
मन-ही-मन इसी प्रकार का विचार कर वह बुलाने की प्रतीक्षा करने लगीं। उन्हें एक-एक पल, एक-एक युग के समान मालूम होता था। धीरे-धीरे एक गीत गुनगुनाने लगीं। उन्हें मालूम हुआ कि मुझे गाते देर हो गई। क्या इतनी देर तक लोग भोजन कर ही रहे होंगे। किसी की आवाज नहीं सुनाई देती। अवश्य ही लोग खा-पीकर चले गए। मुझे | कोई बुलाने नहीं आया। रूपा चिढ़ गई है, क्या जाने न बुलाए । सोचती हो कि आप ही आएँगी, वह कोई मेहमान तो नहीं जो उन्हें बुलाऊँ । बूढ़ी काकी चलने के लिए तैयार हुई। यह विश्वास कि एक मिनट में पूड़ियाँ और मसालेदार तरकारियाँ सामने आएँगी, उनकी स्वादेद्रियों को गुदगुदाने लगा। उन्होंने मन में तरह-तरह के मनसूबे बाँधे, पहले तरकारी से पूड़ियाँ खाऊँगी, फिर दही और शक्कर से कचौड़ियाँ रायते के साथ मजेदार मालूम होंगी। चाहे कोई बुरा माने चाहे भला मैं तो मांग-मांगकर खाऊँगी, लोग यही न कहेंगे कि इन्हें विचार नहीं? कहा करें, इतने दिन के बाद पूड़ियाँ मिल रही है तो मुँह जूठा करके थोड़े ही उठ जाऊँगी। |
1. कृति पूर्ण कीजिए: (2)
2. ‘एक-एक पल, एक-एक युग के समान लगना, इस संदर्भ में अपने विचार लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
बातों का जनाब, शऊर नहीं, शेखी न बघारें, हाँ चुप रहिए। हम उस धरती की लड़की हैं, जिस धरती की बातें क्या कहिए। अजी क्या कहिए. हाँ क्या कहिए। जिस मिट्टी में लक्ष्मीबाई जी जन्मी थीं झाँसी की रानी। रजिया सुलताना, दुर्गावती, जो खूब लड़ी थीं मर्दानी| जन्मी थी बीबी चाँद जहाँ पद्मिनी के जौहर की ज्वाला। सीता, सावित्री की धरती, जन्मी ऐसी-ऐसी बाला। गर डींग जनाब उड़ाएँगे, तो मजबूरन ताने सहिए, ताने सहिए, ताने सहिए। हम उस धरती की लड़की हैं….. |
1. संपूर्ण कीजिए: (2)
2. ‘देश की प्रगति में महिलाओं की भूमिका’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ) 1.
2. जब हमें अपने जीवन में कुछ पाने की इच्छा होती है, तब हम उसके लिए बहुत प्रयास करते हैं। उस प्रयास में हम सफल हुए या असफल, यह परिणाम जानने के लिए अंतिम क्षणों में हमारी उत्सुकता बढ़ जाती है। जब परिणाम जानने में थोड़ी भी देरी होती है, तो मन और व्याकुल हो जाता है। मन में तरह- तरह के विचार आने लगते हैं। उदाहरण के लिए बोर्ड की परीक्षा देने के लिए विद्यार्थी दिन-रात मेहनत करता है। फिर वह अच्छी तरह परीक्षा देता है । इसके बाद जब उस परीक्षा का परिणाम घोषित होने का दिन आता है, तो विद्यार्थी की उत्सुकता बढ़ जाती है। उसका एक-एक पल बहुत मुश्किल से कटता है।
(आ) 1.
2. देश को आजाद कराने से लेकर देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान सराहनीय रहा है। आज हमारे समाज में महिलाओं को पुरुषों के बराबर का सम्मान व अधिकार प्राप्त है। अपनी योग्यता और मेहनत के दम पर महिलाएँ अपने परिवार, समाज व देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। गृहणी के रूप में परिवार की देखभाल हो या सैनिक के रूप में देश की सुरक्षा, हर जगह महिलाएँ अपनी जिम्मेदारियाँ सफलतापूर्वक निभा रही हैं। आर्थिक, राजनीतिक, चिकित्सा, शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर महिलाओं ने अपनी एक जगह बना ली है । इससे सिद्ध होता है कि देश के विकास में महिलाओं की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
विभाग 4 — भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 14 अंक
प्रश्न 4.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
1. अधोरेखांकित शब्द का भेद लिखिए: (1)
खूबसूरत समुंदर देखते ही मैं उससे जाकर लिपट गया।
2. निम्नलिखित अव्ययों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए: (1)
i. यहाँ
ii. तथा
3. तालिका पूर्ण कीजिए: (दो में से कोई एक) (1)
संधि शब्द | संधि विच्छेद | भेद |
i. ________ | दीप + अवली | ________ |
ii. मनोरम | ________ | ________ |
4. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य की सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए: (1)
i. असंख्य लोगों को यातनाएँ सहन करनी पड़ी।
ii. मुझे हर सप्ताह एक पत्र मिलना चाहिए।
5. निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए: (1)
i. बोलना ________
ii. चढ़ना ________
6. निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए: (1)
i. टाँग अड़ाना
ii. दो चार होना
अथवा
अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए:
(दाद देना, मुँह फुलाना)
राज्य स्तर पर दौड़ में प्रथम आने पर मुख्यमंत्री ने अर्नव की प्रशंसा की।
7. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य में प्रयुक्त कारक चिह्न पहचानकर उसका भेद लिखिए: (1)
i. सोनाबाई के बच्चे शरारती थे।
ii. कुर्सी पर धूल है।
8. निम्नलिखित वाक्य में उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए: (1)
सभी रिश्तेवालों ने कुछ न कुछ दिया था
9. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए: (2)
i. तुम्हारा विवाह बहुत अच्छे और सुखी परिवार में हो सकता था (सामान्य भविष्य काल)
ii. उस समय क्रांतिकारी आंदोलन भी हो रहे थे। (सामान्य भूत काल)
iii. उनके गाँव भी गया। (सामान्य वर्तमान काल)
10. i. निम्नलिखित वाक्य का रचना के अनुसार भेद लिखिए: (1)
नेत्रहीनों के चमत्कार हमने बहुत देखे हैं।
ii. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए: (1)
1. वे गला फाड़-फाड़कर रोती थीं। (निषेधार्थक वाक्य)
2. उसने अपना स्वभाव बदल लिया। (विस्मयार्थक वाक्य)
11. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए:
i. वह अपना काम मैं लग गया।
ii. छापे का अक्शर मेरा पहला मितृ था।
iii. उमा पान कि तस्तरी अपने पिता को देती है।
उत्तर:
(अ)
1. समुंदर – संज्ञा
2. i. यहाँ सभी लोग अपना-अपना काम कर रहे हैं।
ii. मुझे नवरात्रि तथा दशहरा पर्व मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
}दो में से कोई एक
3.
संधि शब्द | संधि विच्छेद | भेद |
i. दीपावली | दीप + अवली | स्वर संधि |
ii. मनोरम | मन : +रम | विसर्ग संधि |
}दो में से कोई एक
4. i. पड़ीं (पड़ना)
ii. चाहिए (चाहना)
}दो में से कोई एक
5.
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
i. बोलना | बुलाना | बुलवाना |
ii. चढ़ना | चढ़ाना | चढवाना |
}दो में से कोई एक
6. i. टाँग अड़ाना – बाधा डालना।
वाक्य : दूसरों के काम में टाँग अड़ाना बुरी बात होती है।
ii. दो चार होना – जूझना।
वाक्य हर मनुष्य को जीवन में समस्याओं से दो चार होना पड़ता है।
}दो में से कोई एक
अथवा
राज्य स्तर पर दौड़ में प्रथम आने पर मुख्यमंत्री ने अर्नव की दाद दी।
7. i. के – संबंध कारक
ii. पर – अधिकरण कारक
}दो में से कोई एक
8. सभी रिश्तेवालों ने कुछ-न-कुछ दिया था।
9. i. तुम्हारा विवाह बहुत अच्छे और सुखी परिवार में हो सकेगा।
ii. उस समय क्रांतिकारी आंदोलन भी हुए।
iii. उनके गाँव भी जाता हूँ।
}तीन में से कोई दो
10. i. सरल वाक्य
ii. 1. वे गला फाड़-फाड़कर नहीं रोती थीं।
2. सचमुच! उसने अपना स्वभाव बदल लिया।
}दो में से कोई एक
11. i. वह अपने काम में लग गया।
ii. छापे का अक्षर मेरा पहला मित्र था।
iii. उमापान की तश्तरी अपने पिता को देती है।
}तीन में से कोई दो
विभाग 5 – उपयोजित लेखन : 26 अंक
प्रश्न 5.
सूचनाओं के अनुसार लिखिए:
(अ)
1. पत्र- लेखन: [5]
निम्नलिखित जानकारी का उपयोग कर पत्र लिखिए:
प्रबंधक, मार्केटिंग विभाग, विश्व आयुर्वेद संस्थान, हरिद्वार को विजय / विजया सिंह पत्र लिखकर आवश्यक सामग्रियाँ मंगवाता/मंगवाती है।
अथवा
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर पत्र लिखिए:
2. गद्य – आकलन (प्रश्न निर्मिति): (4)
निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर उस पर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों:
जीवन में अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें सतत आगे बढ़ते रहना चाहिए। किसी भी लक्ष्य की राह आसान नहीं होती है। जब परिस्थितियाँ विपरीत हो जाती हैं, तब हमारा मन घबराने लगता है जब ऐसा होने लगे तब हमें अपने मन को मजबूत बनाने की आवश्यकता होती है। हमें इन परिस्थितियों का विश्लेषण करना चाहिए। किसी अन्य को दोष देना व्यर्थ है। दुर्बलता स्वयं में ही होती है। अपनी विफलता के लिए हर समय परिस्थितियों को दोष देना उचित नहीं है। अतः अपनी कमियों का अवलोकन कर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। इसके लिए संबंधित पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। अपने से बड़ों की सलाह और मित्रों का सहयोग लेना चाहिए। हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए दृढ़ इच्छाशक्ति से परिस्थितियाँ भी अनुकूल हो जाती हैं। निरंतर प्रयत्न करने से ही विपरीत परिस्थितियों से जूझने और उनसे ऊपर उठने की शक्ति मिलती है। |
(आ)
1. वृत्तांत लेखन: (70 से 80 शब्द) (5)
नीचे दिए गए विषय पर वृत्तांत लिखिए:
अथवा
कहानी-लेखन:
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर 70 से 80 शब्दों में एक रोचक कहानी गठित कीजिए और कहानी को उचित शीर्षक देते हुए कहानी से प्राप्त सीख का उल्लेख कीजिए:
‘घने जंगल में खूँखार डाकू का डेरा -लूटना व मारना महात्मा का आना-जाते समय जंगल की ओर से जाना महात्मा का डाकू को शिक्षा देना- डाकू को पछतावा होना सीख।
2. विज्ञापन – लेखन: (50 से 60 शब्द) (5)
सुंदरी साबुन का आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
(इ) निबंध लेखन: (7)
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए:
1. मैं हिमालय बोल रहा हूँ…
2. डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
3. विज्ञान के चमत्कार
उत्तर:
(अ)
1. 16 अगस्त, प्रति,
2023
सम्माननीय प्रबंधक,
मार्केटिंग विभाग,
विश्व आयुर्वेद संस्थान,
हरिद्वार।
[email protected]
विषयः आवश्यक सामग्री मँगवाने हेतु।
महोदय,
मैं आपका पुराना ग्राहक हूँ। मैं अपने घर के लिए आवश्यक सामग्री आपके यहाँ से ही मँगवाता हूँ। आपके यहाँ की सामग्री की गुणवत्ता काफी अच्छी है, इसलिए मैंने अपनी जरूरत के अनुसार आवश्यक सामग्रियाँ आपके यहाँ से मँगवाने के लिए यह पत्र लिखा है। सामग्रियों का विवरण निम्नलिखित है:
सामग्री | मात्रा |
1. पाचक चूर्ण | 1/2 किग्रा |
2. दंतमंजन | 200 ग्राम |
3. केश तेल | 13 शीशी |
मैं इस सूची के साथ सामग्रियों की कुल कीमत भेज रहा हूँ । यदि आप सामग्रियों पर कुछ छूट देते हैं, तो छूट के पैसे सामग्रियों के साथ ही भेज दीजिएगा। आशा है आप सामग्रियाँ जल्द-से-जल्द भेजने की कृपा करेंगे।
धन्यवाद!
भवदीय,
विजय
विजय सिंह,
दीपायन,
जलगाँव।
[email protected]
अथवा
16 अगस्त, 2023
[email protected]
पूज्य नाना जी,
सादर प्रणाम।
आपका स्नेहपूर्ण पत्र, शब्दकोश और घड़ी मिली। अपने जन्मदिन पर आपकी शुभकामनाओं के साथ ये उपहार पाकर मैं बहुत खुश हूँ। नाना जी आपकी भेजी हुई घड़ी मुझे बहुत पसंद है। सच कहूँ तो मैं कई दिनों से ऐसी घड़ी खरीदना चाह रही थी। आपका यह उपहार मुझे आपकी सीख ‘समय के साथ चलो वरना पीछे रह जाओगे’ याद दिलाती है।
नाना जी जन्मदिन के समारोह में मेरी सभी सहेलियाँ आई थीं। सभी ने मेरी घड़ी की बहुत तारीफ की। इसका सिल्वर बेल्ट तो सबको बहुत पसंद आया। शब्दकोश भी मेरी आवश्यकता थी। इस अवसर पर आप और नानी जी आते तो और आनंद आता। छुट्टियों में आप लोग सूरत अवश्य आइए। एक वार फिर इतने अच्छे उपहार के लिए धन्यवाद। आपको और नानी जी को मेरा प्रणाम।
आपकी प्यारी,
रमा
रमा चौबे
बरछा रोड,
सूरत।
[email protected]
2. 1. जीवन में अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए?
2. हमारा मन कब घबराने लगता है?
3. हमें अपनी कमियों को कैसे दूर करना चाहिए?
4. हमें किसकी सलाह और सहयोग लेना चाहिए?
(आ)
1. स्वच्छता अभियान संपन्न
मुंबई। गुरुनानक विद्यालय में 2 अक्टूबर 2022 को ‘स्वच्छता अभियान’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन विद्यालय के सभी शिक्षकों व विद्यार्थियों द्वारा किया गया था। सुबह 7.30 बजे विद्यालय के मैदान में कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित समाजसेवक श्री अरिहंत शुक्ल का विद्यालय के मुख्याध्यापक ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया व उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी दी।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री रमेश कनोजिया ने अपने संबोधन से सभी को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। उसके बाद सभी शिक्षकों ने विशेष रूप से बीस-बीस विद्यार्थियों का समूह बनाकर उन्हें संगमवाड़ी क्षेत्र में साफ-सफाई के लिए भेजा। विद्यार्थियों ने भी पूरे उत्साह के साथ स्वच्छता अभियान में अपना योगदान दिया और पूरे क्षेत्र को स्वच्छ बना दिया।
पूरे क्षेत्र की सफाई के बाद सुबह 11 बजे सभी विद्यालय के मैदान में फिर एकत्रित हुए। फिर श्री शुक्ल ने विद्यार्थियों व शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने विद्यालय द्वारा किए गए इस कार्य की बहुत प्रशंसा की और आगे भी ऐसे कार्य करने के लिए प्रेरित किया। अंत में विद्यालय के मुख्याध्यापक ने अतिथि महोदय के प्रति आभार व्यक्त किया और राष्ट्रगान के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।
अथवा
महात्मा का उपदेश
किशनगढ़ नामक एक गाँव था। उसके पड़ोस में रामगढ़ गाँव था। दोनों गाँवों के बीच एक नदी थी, जिसके कारण लोगों को बहुत दूर से घूमकर एक गाँव से दूसरे गाँव में जाना पड़ता था। इसके अलावा एक जंगल का भी रास्ता था। उस जंगल में एक खूँखार डाकू रहता था, इसलिए लोग जंगल के रास्ते नहीं जाते थे। डाकू जंगल से गुजरने वाले लोगों को पकड़कर उन्हें लूटता और उनके हाथों की उँगलियाँ काँट लेता था।
एक दिन एक महात्मा किशनगढ़ गाँव में पहुँचे। उपदेश देने के बाद वे जंगल के रास्ते रामगढ़ जाने लगे। यह देखकर गाँववालों ने उन्हें डाकू के बारे में बताया सबकुछ जानकर भी वे जंगल की ओर बढ़ गए। जंगल में डाकू ने महात्मा को देखा। उसने महात्मा को पकड़ लिया, लेकिन उनके पास पैसा या कोई कीमती सामान नहीं था। वह गुस्सा हो गया। इस पर महात्मा ने कहा, “यदि आप मेरी एक विनती सुन लें, तो मैं आपको बहुत धन दे सकता हूँ।” डाकू उनकी बात मानने के लिए तैयार हो गया। महात्मा ने उससे कहा, “तुम एक पेड़ से पाँच पत्तियाँ तोड़ लाओ ।” जब डाकू पत्तियाँ लाया तब महात्मा ने कहा, “तुम वापस जाकर इन पत्तियों को उसी पेड़ से जोड़ दो।” महात्मा की बात सुनकर डाकू ने कहा, “तोड़ी पत्तियाँ पेड़ में दोबारा कैसे जोड़ी जा सकती हैं?” महात्मा ने कहा, “जिस प्रकार टूटी पत्तियाँ दोबारा पेड़ से जुड़ नहीं सकतीं, उसी प्रकार जिसे तुमने मार दिया, उन्हें वापस जिंदा भी नहीं किया जा सकता है। तुमने जब इंसान को बनाया नहीं, तो उन्हें मारने का हक तुम्हें किसने दिया?” महात्मा की बात सुनकर डाकू को अपने किए पर पछतावा हुआ। उसने उनसे माफी माँगी और गलत काम नहीं करने का वचन दिया।
सीख : दूसरों को कष्ट पहुँचाना सबसे बड़ा पाप है।
2.
(इ)
1. मैं हिमालय बोल रहा हूँ…
पृथ्वी के साथ ही मेरी भी उत्पत्ति हुई है और सृष्टि के अंत के साथ ही मेरा अस्तित्व समाप्त होगा। मेरी सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट है। मेरा नाम हिमालय है। संसार के सभी पर्वतों का राजा मैं ही तो हूँ।
युगों-युगों से योगी, तपस्वी, ऋषि-मुनि मेरी ही कंदराओं में व चोटियों पर तप व साधना में लीन रहे हैं। मेरे अँचल में स्थित केदारनाथ, बद्रीनाथ व अमरनाथ आदि तीर्थस्थल न केवल भारत में अपितु संपूर्ण विश्व में अपने धार्मिक महत्त्व के कारण प्रसिद्ध हैं। विश्व के कोने-कोने से पर्यटक मेरे धार्मिक महत्त्व, प्राकृतिक सौंदर्य व वैज्ञानिक रहस्य को जानने-समझने प्रतिवर्ष आते रहते हैं। धर्म और विज्ञान का केंद्र मैं ही तो हूँ।
संसारभर से पर्वतारोही पर्वतारोहण के लिए मेरी ही पर्वत शृंखलाओं का चुनाव करते हैं। संसार के कुछ गिने-चुने पर्वतारोही ही मेरी सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट तक पहुँच सके हैं। मेरी वादियों में लोग घूमने-फिरने व आइस स्केटिंग, स्कीइंग, आइस हॉकी जैसे बर्फीले खेल खेलने आते हैं।
मैं भारत के लिए वरदान हूँ। मैं ही पूर्वी तथा दक्षिणी आर्द्र मानसूनी हवाओं को रोककर भारत में वर्षा करवाता हूँ। मुझसे ही निकलने वाली गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ हर मौसम में लोगों की प्यास बुझाती रहती हैं। मुझ पर औषधीय वनों का भंडार है।
आज कभी व्यापार तो कभी पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर मेरी प्राकृतिक संपदा व सौंदर्य को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। मेरी गोद में बसे जंगलों को लगातार काटा जा रहा है। पशु-पक्षियों का शिकार किया जा रहा है । यदि मनुष्य मेरी रक्षा नहीं करेगा, तो उसे आने वाले समय में बहुत नुकसान हो सकता है।
अथवा
2. डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक थे। इनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुल अबदीन अब्दुल कलाम है। उनके कारनामे पूरी दुनिया में विख्यात हैं। कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ । इनकी प्रारंभिक शिक्षा तिरुचिरापल्ली में हुई। इसके बाद मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी में इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। डॉ. कलाम के पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और आजीविका के लिए नावों को किराए पर दिया करते थे। डॉ. कलाम के पिता ही उनके आदर्श थे।
डॉ. कलाम ने शिक्षा पूरी कर भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। डॉ. कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एस. एल. वी. 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रोहिणी उपग्रह के सफल प्रक्षेपण का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है। वैज्ञानिक और प्रोफेसर के कार्यों का संचालन करते हुए ही इन्होंने भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में 18 जुलाई, 2002 में पदभार सँभाला और 25 जुलाई, 2007 तक वह इस पद पर बने रहें।
डॉ. कलाम को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए 1981 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। डॉ. कलाम को वर्ष 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। 27 जुलाई, 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर व्याख्यान दे रहे थे। उसी समय दिल का दौरा पड़ने से भारत का यह अनमोल रत्न हमेशा के लिए हमसे छिन गया।
अथवा
3. विज्ञान के चमत्कार
विज्ञान एक ऐसी शक्ति है, जो हमेशा नए-नए आविष्कार करती है। अगर हम उस शक्ति से मानवकल्याण के कार्य करें, तो वह वरदान है और अगर उसका प्रयोग विनाश के लिए करें, तो वह अभिशाप है।
विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने यातायात, शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग हर क्षेत्र में विकास किया है। विज्ञान के चमत्कारों से यह युग ‘बटन युग’ बन गया है। बटन दबाते ही गर्म और ठंडी हवा चलने लगती है। नल से ठंडा अथवा गर्म पानी गिरने लगता है। कहीं सादा प्रकाश तो कहीं रंगीन रोशनी हो जाती है। बस, गाड़ी, वायुयान आदि वाहन समय पर मंजिल तक पहुँचा देते हैं। टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट ने पूरे विश्व को नजदीक कर दिया है।
मनुष्य ने जहाँ विज्ञान से सुख के साधन जुटाएँ हैं, वहीं मुसीबतों को भी न्योता दिया है। विज्ञान के द्वारा हमने अणुबम परमाणु बम तथा अन्य विध्वंसकारी हथियारों का निर्माण कर लिया है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण की समस्या बहुत बुरी तरह फैल रही है, जिससे नित नए असाध्य रोग पैदा होते जा रहे हैं, जो आधुनिकता का ही दुष्परिणाम है।
यदि मनुष्य विज्ञान का प्रयोग सोच समझकर सबके हित के लिए करता है, तो मानवजाति का विकास निश्चित है। इसके विपरीत यदि वह स्वार्थ में अँधा होकर सिर्फ अपने लाभ के लिए विज्ञान का प्रयोग करता है, तो यह संपूर्ण मानवजाति के लिए खतरनाक हो सकता है। अतः विज्ञान को वरदान या अभिशाप बनाना मानव के हाथ में है।