Maharashtra Board SSC Class 10 Hindi Composite Question Paper 2022 with Answers Solutions Pdf Download.
SSC Hindi Composite Question Paper 2022 with Answers Pdf Download Maharashtra Board
[Time: 2 Hours]
[Max. Marks: 50]
सामान्य निर्देश:
(1) सूचनाओं के अनुसार गद्य, पद्य तथा भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
(2) सभी आकृतियों के लिए पैन का ही प्रयोग करें।
(3) रचना विभाग (उपयोजित लेखन) में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
(4) शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
विभाग 1 – गद्य : 12 अंक
प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए : (6)
साँझ हो चली थी, डिब्बे की बत्तियाँ जलने लगी थीं, लोगों ने अपने-अपने होल्डॉल बिछाने शुरू कर दिए। मैंने भी थककर चूर हो जाने के कारण सिरदर्द की एक गोली खाई और लेटना चाहा।
सहयात्री ने देखा तो पूछा – “क्या आपको सिरदर्द हो रहा है?”
मैंने कहा – “जी हाँ।”
बोले -” आप ऐसी-वैसी गोलियाँ क्यों खाते हैं, इससे रिएक्शन हो सकता है। फिर पूछा “कल क्या खाया था। रास्ते में कहीं पूरी कचौड़ी तो नहीं खा ली? अरे! ये रेलवे ठेकेदार कल की वासी पूरी कचौड़ी को उबलती कड़ाही में डालकर ताजा के नाम पर बेचते हैं। कहेंगे हाथ लगाकर देख लो, गरम है कि नहीं। उन्हें तो अपनी जेब गरम करनी है।”
“मैं तो घर से पराँठे लेकर चलता हूँ। रास्ते में कोई और पराँठेवाला मिल जाता है तो दो और दो-चार मिलाकर खाने में मजा आ जाता है।”
फिर पूछा – “आपको सिरदर्द कितने समय से है? क्या यह पैतृक बीमारी है या केवल आपको ही है?”
मैंने कहा – “मेरे परिवार में सभी के सिर हैं, अतएव सबको सिरदर्द होना स्वाभाविक है।”
(1) उत्तर लिखिए:
(2) (i) गद्यांश में आए अंग्रेजी शब्द ढूँडकर लिखिए:
(1) (2)
(ii) निम्नलिखित शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:
रास्ता = (1) ………….
(2) ………….
(3) “रेल यात्रा पर जाने से पहले आरक्षण की आवश्यकता है” इस संदर्भ में 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
(आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
एक बार एक बहुरूपिये ने साधु का रूप बनाया – सिर पर जटाएँ, नंगे शरीर पर भस्म, माथे पर त्रिपुंड, कमर में लँगोटी। उसके रूप में कहीं कोई कसर नहीं थी और यह संसारत्यागी साधु ही लगता था । उसने नगर से बाहर | बड़े-से पेड़ के नीचे अपनी झोंपड़ी तैयार की, बगीचा लगाया और बैठकर तपस्या करने लगा। धीरे-धीरे सारे नगर में यह समाचार फैलने लगा कि बाहर एक बहुत पहुँचे हुए महात्मा ने आकर डेरा लगाया है। लोग उसके दर्शनों को आने लगे और धीरे-धीरे चारों तरफ साधु का यश फैल गया। सारे दिन उसके यहाँ भीड़ लगी रहती थी। लोग कहते| थे कि महात्मा जी के उपदेशों में जादू है और उनके आशीर्वाद से संसार के बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं अपनी इस कीर्ति से साधु को कभी-कभी बड़ा आश्चर्य होता और मन-ही-मन वह अपनी सफलता पर मुसकराया करता ।
उत्तर लिखिए:
(1) बहुरूपिये का साधु रूप ऐसा था:
(i) माथे पर ……………..
(ii) सिर पर ……………..
(iii) नंगे शरीर पर ……………..
(iv) कमर में ……………..
(2) (i) निम्नलिखित शब्दों के विलोमार्थक शब्द गद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए:
(1) महल × ……………..
(2) असफलता × ……………..
(ii) निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए :
(1) डेरा ……………..
(2) लँगोटी ……………..
(3) ‘हमें अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिए 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
(अ) (1)
(2) (i) (1) होल्डॉल, (2) रिएक्शन
(ii) रास्ता = (1) मार्ग, (2) पथ।
(3) रेल में यात्रा करना वास्तव में सभी को पसंद होता है। रेल का सफर सुखमय हो। इसलिए हमें यात्रा पर जाने से पहले सीट आरक्षित करना आवश्यक है। सीट आरक्षित करने से हमें कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता । हम निश्चित तारीख को निश्चित समय पर जाकर निश्चिंत होकर अपनी सीट पर बैठ सकते हैं। सफर का आनंद ले सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर आप सीट पर लेटकर भी यात्रा कर सकते हैं। कोई अन्य यात्री आपकी सीट नहीं ले पायेगा । यात्रा सुविधाजनक और आनंदपूर्ण रहेगी।
(आ) (1) (i) माथे पर त्रिपुंड।
(ii) सिर पर जटाएँ।
(iii) नंगे शरीर पर भस्म।
(iv) कमर में लँगोटी।
(2) (i) (1) महल × झोंपड़ी
(2) असफलता × सफलता
(ii) (1) डेरा : डेरे
(2) लंगोटी लैगोटियाँ
(3) हमें अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिये क्योंकि ईमानदारी ही सर्वोत्तम नीति है। व्यवसाय के प्रति ईमानदार होने से अभिप्राय है सभी संबंधित कार्यों को लगन से पूरा करना व उनमें किसी भी प्रकार की ढील न देना। आपको अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार देखकर लोगों के मन में आपकी अच्छी छवि बनती है। लोगों का आप पर विश्वास अधिक बढ़ जाता है, जिससे आपको लाभ ही होता है। आप स्वयं से संतुष्ट रहते हैं व आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। ईमानदारी के मार्ग पर चलने वाले का साथ सभी देते हैं।
विभाग 2 – पद्य : 8 अंक
प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (4)
सोंधी सोंधी-सी सुगंध, माटी से बोली,
बादल बरस गया, धरती ने आँखें खोलीं।
चारों ओर हुई हरियाली कहे मयूरा,
सदियों का जो सपना है हो जाए पूरा।
एक यहाँ पर नहीं अकेला, होगी टोली,
सोंधी-सोंधी-सी सुगंध, माटी से बोली।।
बाग-बगीचे, ताल तलैया सब मुस्काएँ,
झूम-घूमकर मस्ती में तरु गीत सुनाएँ।
मस्त पवन ने अब खोली है अपनी झोली,
सोंधी सोंधी-सी सुगंध, माटी से बोली।।
(1) संजाल पूर्ण कीजिए:
(2) पद्यांश को अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
धूरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरें अँगना, पग पैंजनि बाजति पीरी कछोटी।।
वा छबि को ‘रसखान बिलोकत, वारत काम कला निधि कोटी।
काग के भाग कहा कहिए, हरि हाथ सों लै गयो माखन रोटी।।
सोहत है चंदवा सिर मोर को तैसिय सुंदर पाग कसी है।
सय गोरज भाल बिराजत, जैसी हिये बनमाल लसी है।।
‘रसखान ‘ बिलोकत बौरी भई, दृग मूँदि कै ग्वालि पुकार हँसी है।
खोल घूँघट खोलौं कहा, वह मूरति नैननि माँझ बसी है।।
(1) आकृति में लिखिए:
(1) पग में = …………….
(2) सुंदर कसी हुई = …………….
(2) पद्यांश की प्रथम दो पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (2)
उत्तर:
(1)
(2) वर्षा ऋतु में चारों ओर आनन्द का प्रसार हो गया है। बादल के बरसने से बाग-बगीचों के वृक्ष प्रफुल्लित हो गए हैं। तालाब और छोटी-छोटी तलैयाँ पानी से लबालब भरकर प्रसन्न दिखाई दे रही हैं। बगीचे के वृक्ष हवा के झोकों से मस्ती में भरे हुए गुनगुनाते और गाते हुए से लगते हैं। लगता है हवा मस्ती में आकर अपना दिल खोल कर बह रही है। सौंधी-सौंधी-सी सुगंध मिट्टी से यह बात करती है।
(आ) (1)
(ii) (1) पग में = पैंजन।
(ii) सुंदर कसी हुई = पाग।
(2) कवि रसखान ने प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से बालकृष्ण का अत्यन्त मनोहारी वर्णन किया है। बालकृष्ण धूल से सने हुए अत्यंत मोहक लग रहे हैं। उनके सिर पर चोटी शोभायमान हो रही है। उन्होंने कमर में पीली धोती पहनी हुई है तथा पैरों में पैजनियाँ बज रही है। वे पूरे आँगन में खाते खेलते घूम रहे हैं।
विभाग 3 – भाषा अध्ययन (व्याकरण): 8 अंक
प्रश्न 3.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
(1) मानक वर्तनी के अनुसार सही शब्द छाँटकर लिखिए
(i) सुरक्शित, सुरक्षित, सूरक्षित, सुरक्षीत …………….
(ii) मन्त्रमुग्ध, मंत्रमुग्ध, मंत्रमुग्ध, मंत्रमुगद्ध …………….
(2) निम्नलिखित अव्यवों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए: (1)
(i) अथवा
(ii) आह!
(3) कृति पूर्ण कीजिए: (1)
संधि शब्द | संधि विच्छेद | संधि भेद |
हिमालय | ………………. | ………………. |
अथवा | ||
………………. | आशी: वाद | ………………. |
(4) अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए: (1)
(अंक में भरना, पिंड छुड़ाना)
भवन की तत्कालीन स्वामिनी ने मुझे गले लगाया।
अथवा
निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ लिखकर उचित वाक्य में प्रयोग कीजिए:
मौत के मुँह में चले जाना
(5) कालभेद पहचानना तथा काल परिवर्तन करना।
(i) निम्नलिखित वाक्य का कालभेद पहचानिए:
कहाँ तक चल रहे हैं?
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
(1) वे पास के कमरे में बैठे हैं। (सामान्य भविष्यकाल)
(2) मुझे अभिवादन का ध्यान आया। (पूर्ण भूतकाल)
(6) वाक्य के भेद तथा वाक्य परिवर्तन:
(i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए:
वह आदमी पागल नहीं हो सकता।
(ii) निम्नलिखित वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार परिवर्तन कीजिए:
इसका हमने तुम्हें न्योता दिया था। (प्रश्नार्थक वाक्य)
उत्तर:
(1)(i) सुरक्षित।
(ii) मंत्रमुग्ध।
(2) (i) अथवा – उस दिन गणेश कथा सुनने अथवा पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है।
(ii) आह! – आह! दैव कितने निर्दयी हैं।
(3)
संधि शब्द | संधि विच्छेद | संधि भेद |
हिमालय | हिम + आलय | दीर्घ स्वर संधि |
अथवा | ||
आशीर्वाद | आशी: वाद | विसर्ग संधि |
(4) भवन की तत्कालीन स्वामिनी ने मुझे अंक में भर लिया।
अथवा
मौत के मुँह में चले जाना-जान खतरे में या जोखिम में डालना।
वाक्य प्रयोग – सर्कस में काम करने वाले कलाकार पैसों की खातिर मौत के मुँह में जाकर अपने खेल दिखाते हैं।
(5) (i) अपूर्ण वर्तमान काल।
(ii) (1) वे पास के कमरे में बैठेंगे।
(2) मुझे अभिवादन का ध्यान आया था।
(6) (i) सरल वाक्य।
(ii) क्या इसका हमने तुम्हें न्योता दिया था?
विभाग 4 – रचना विभाग (उपयोजित लेखन) : 12 अंक
सूचना आवश्यकतानुसार परिच्छेदों में लेखन अपेक्षित है।
प्रश्न 4.
सूचनाओं के अनुसार लिखिए: (12)
(अ) (1) पत्रलेखन: (4)
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर पत्रलेखन कीजिए:
कोपरी रहिवासी संघ, ए – 111, कोपरी, विलास भवन, ठाणे (पश्चिम) से मंडल आयुक्त, जोन-3, महानगरपालिका, कोपरी, ठाणे (पश्चिम) को क्षेत्र में फैली गंदगी के संबंध में शिकायत पत्र लिखते हैं।
अथवा
औरंगाबाद में रहने वाला/वाली सोहम शर्मा/सीमा शर्मा अपना/अपनी मित्र/सहेली, मोहन/मोहिनी पांडे को ‘व्यायाम का महत्त्व’ समझाते हुए पत्र लिखता/लिखती है।
(2) कहानी लेखन :
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर 60 से 70 शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए तथा सीख लिखिए:
एक मजदूर – दिन भर श्रम करना – बनिया की दुकान से रोज चावल खरीदना – बनिया द्वारा बचत की सलाह – मजदूर की उपेक्षा करना – बनिया द्वारा मजदूर के चावलों में से थोड़ा-थोड़ा चावल अलग करना – पंद्रह दिन बाद मजदूर के हाथ में दो किलो चावल – मजदूर आश्चर्यचकित – बनिया का बचत की बात बताना – मजदूर को बचत का महत्त्व समझना सीख।
अथवा
गद्य आकलन प्रश्न निर्मिति :
विख्यात गणितज्ञ सी. वी. रमण ने छात्रावस्था में ही विज्ञान के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सिक्का देश में ही नहीं विदेशों में भी जमा लिया था।
रमण का एक साथी छात्र ध्वनि के संबंध में कुछ प्रयोग कर रहा था । उसे कुछ कठिनाइयाँ प्रतीत हुईं, संदेह हुए। वह अपने अध्यापक जोन्स साहब के पास गया परन्तु वह भी उसका संदेह निवारण न कर सके। रमण को पता चला तो उन्होंने उस समस्या का अध्ययन मनन किया और इस संबंध में उस समय के प्रसिद्ध लॉर्ड रेले के निबंध पढ़े और उस समस्या का एक नया ही हल खोज निकाला। यह हल पहले हल से सरल और अच्छा था। लॉर्ड रेले को इस बात का पता चला तो उन्होंने रमण की प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा की। अध्यापक जोन्स भी प्रसन्न हुए और उन्होंने रमण से इस प्रयोग के संबंध में लेख लिखने को कहा। रमण ने लेख लिखकर श्री जोन्स को दिया, पर जोन्स उसे जल्दी लौटा न सके। कारण संभवतः यह था कि वह उसे पूरी तरह आत्मसात न कर सके।
(आ) निबन्ध लेखन: (4)
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 60 से 70 शब्दों में निबंध लिखिए:
(1) मेरा प्रिय नेता
(2) मोबाइल की उपयोगिता।
उत्तर:
(अ) (1) पत्र – लेखन:
दिनांक ०८/०४/२०२२
प्रति,
मंडल आयुक्त,
जोन-३ महानगरपालिका, कोपरी,
ठाणे (पश्चिम)
विषय क्षेत्र में फैली गंदगी के संबंध में।
महोदय,
मैं कोपरी रहिवासी संघ का अध्यक्ष होने के नाते आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि हमारे क्षेत्र में बहुत दिनों से गंदगी फैली हुई है, पालिका के लोग इस गंदगी की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस कारण हमारे क्षेत्र में बहुत प्रदूषण हो रहा है।
गंदगी के कारण मच्छर हो रहे हैं और बीमारियों को निमंत्रण मिल रहा है। लोगों में टाईफाईड, मलेरिया, जैसी बीमारियाँ फैल रही है। लोगों में वायरल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ रहा है। गंदगी के कारण आवारा कुत्ते भी हमारे क्षेत्र में बढ़ रहे हैं। जिनसे छोटे बच्चों को खतरा हो सकता है।
यह बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है। इससे कई तरह की अन्य स्वास्थ्य संबंधी हानियाँ हो सकती हैं। आशा है आप इस समस्या के समाधान के लिए उचित कार्यवाही करेंगे और तुरंत पालिका के लोग इस गंदगी को साफ करेंगे।
धन्यवाद!
अध्यक्ष,
कोपरी रहिवासी संघ,
ए-१११, कोपरी
विलासभवन ठाणे (पश्चिम)
अथवा
दिनांक ०८/०४/२०२२
मोहन पांडे
प्रिय मित्र मोहन,
सस्नेह नमस्कार।
तुम्हारा पत्र पढ़कर बहुत दुःख हुआ कि तुम्हारा स्वास्थ्य इन दिनों खराब हैं। तुम्हारे गिरते हुए स्वास्थ्य का समाचार सुनकर चिंता हो रही है।
प्यारे मित्र मोहन, जीवन में पढ़ाई का महत्व आवश्यक है, परन्तु हमारा स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है। व्यानाम स्वास्थ्य रक्षा के लिए महत्वपूर्ण औषधि है। प्रतिदिन व्यायाम से शरीर सुंदर, सुदृढ और संगठित बनता है इसलिए सुबह जल्दी उठकर बगीचे या पार्क में जाकर कम से कम ८० मिनट तक टहलना चाहिए। इससे हमें ताजगी मिलती है, हमारे तन-मन को चुस्ती-फुर्ती मिलती है।
‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।’ व्यायाम से मन एकाग्र होता है। पढ़ाई में मन लगता है। प्रतिदिन दंड बैठक, कुछ आसन अवश्य करना चाहिए।
आशा करता हूँ कि तुम शीघ्र ही व्यायाम शुरू कर दोगे क्योंकि स्वास्थ्य ही असली संपत्ति होती है। अपना ख्याल रखना।
तुम्हारा मित्र,
सोहम शर्मा
औरंगाबाद – ४३१००५
(2) कहानी लेखन:
एक गाँव में एक मजदूर रहता था। वह अपना और अपने परिवार का निर्वाह करने हेतु दिनभर दूसरों के खेतों में श्रम करता था। वह मेहनत करके कष्ट सहकर जो भी कमाता था। उससे बनिये की दुकान से रोज चावल खरीदता था। रोज काम तो करता, परन्तु उससे आने वाले सारे पैसे वह खान-पान में ही लगा देता था।
एक दिन मजदूर हर रोज की तरह चावल खरीदने के लिए बनिये की दुकान पर आया और मजदूरी के पूरे पैसों से चावल खरीदा। उस दिन बनिए ने मजदूर को बताया कि रोज जो चावल ले जाते हो उसी में से थोड़े-थोड़े चावल अलग करके रख दिया करो। थोड़े दिनों के बाद अलग किए हुए चावल देखो, तुम्हारे पास इतने चावल इकट्ठे हुए होंगे कि तुम्हें चार-पाँच दिन के चावल के पैसे बचे होंगे। धीरे-धीरे तुम्हारे पास थोड़े पैसे बचे होंगे, जिससे तुम अपनी दूसरी जरूरतों को पूरा कर सकते हों । परन्तु मजदूर को बनिए की सलाह बकवास लगी। मजदूर ने उसकी सलाह की उपेक्षा करते हुए, बचत की बात को अस्वीकार किया।
इस पर बनिया खुद ही मजदूर के चावलों में से थोड़ा-थोड़ा चावल अलग करके रखने लगा । ऐसा करते-करते पंद्रह दिन बीत गए। पंद्रह दिनों बाद बनिए ने अलग रखे चावल तौल के देखे तो 2 किलो चावल हुए। वह चावल बनिए ने मजदूर को दिए। तब मजदूर को आश्चर्य हुआ कि उसे रोज के चावल के साथ उस दिन दो किलो चावल और मिले। तब बनिये ने मजदूर को बचत की बात बतायी। बनिए ने कहा कि पंद्रह दिनों में बचत से उसे दो किलो चावल मिलें। इससे उसके अगले दो किलो चावल के पैसे भी बच गए। बनिए की बात से मजदूर की आँखें खुल गई। मजदूर को बचत का महत्व समझ में आ गया। उस दिन से मजदूर ने भी बचत करने की बात मन में ठान ली।
सीख – रोज थोड़ा-थोड़ा बचत करके एक दिन बड़ी रकम या धन जमा होता है। इस बचत से हम अपना लक्ष्य पा सकते हैं।
शीर्षक – बचत का महत्व।
अथवा
(1) विख्यात गणितज्ञ सी. वी. रमन ने कौन-से क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सिक्का देश-विदेशों में जमा किया था?
(2) रमण का साथी छात्र किस संबंध में कुछ प्रयोग कर रहा था?
(3) रमण की प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा किसने की?
(4) रमण के लेख को भी जोन्स क्यों जल्दी लौटा न सके?
(आ) (1) मेरा प्रिय नेता
मेरे प्रिय नेता हैं महात्मा गाँधी। महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गाँधी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था। इनका विवाह 15 वर्ष की आयु में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम कस्तुरबा गाँधी था। गाँधी जी ने बैरिस्टर बनने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से कानून की पढ़ाई की।
“अंग्रेजो भारत छोड़ो” ये बापू का नारा था लेकिन बापू हिंसा के खिलाफ थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संपूर्ण भारत उन्हें संबोधित करने लगा। बापू साधारण जीवन जीना पसंद करते थे। वे चरखा चलाकर सूत बनाते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।
विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गाँधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। गाँधीजी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों और मुफ्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस विषय पर वकालत करने वाले पहले व्यक्ति थे। उनका मानना था कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे व किसी भी वर्ग का हो।
हिंदू-मुसलमान के बीच दंगों को रोकने के लिए गाँधीजी का प्रयत्न सफल साबित हुआ। इसके फलस्वरूप हजारों हिंदू-मुसलमान एक साथ गा उठे ‘ईश्वर – अल्लाह तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान।’ इस भजन द्वारा दो परस्पर विरोधी धर्मों का समन्वय करके गाँधीजी एक महान समन्वयकारी महापुरुष सिद्ध हुए।
दुनिया का संदेश सुनाने वाले कुछ महापुरुषों में महात्मा गाँधी एक थे। महात्मा गाँधी का देहांत 30 जनवरी, 1948 को हुआ। महात्मा गाँधी ‘हे राम’ कहते हुए अमर हो गए। उनकी समाधि राजघाट समाज सेवियों का तीर्थस्थल है।
(2) मोबाइल की उपयोगिता
वर्तमान में तकनीकी प्रगति ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। आज, एक मोबाइल फोन की मदद से हम दुनिया भर में किसी से भी आसानी से बात कर सकते हैं मोबाइल फोन आज के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। आज तो सबके दिन की शुरुआत भी मोबाइल फोन से होती है और अंत भी।
मोबाइल से पूरे विश्व की दूरियाँ मानो समाप्त हो गई हैं। पहले मोबाइल पर सिर्फ बातचीत ही हो सकती थी, परन्तु अब मोबाइल में कम्प्यूटर की कई सुविधाएँ संजो दी गई है। कैमरा, घड़ी जैसी रोजमर्रा की जरूरतें भी इससे पूरी होने लगी हैं। इतना ही नहीं ट्रेन, हवाई जहाज और बस आदि का आरक्षण भी इससे घर बैठे संभव हो गया है।
स्मार्ट फोन के कारण अब हम दूर बैठे किसी से बातचीत करते समय उसके चेहरे को देख भी सकते हैं। इसमें दिन-ब-दिन संशोधन होता जा रहा है। चलते-फिरते वह कम्प्यूटर का काम करने लगे और उसका आकार भी छोटा हो गया है। अब तो मोबाइल की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। रोजमर्रा की वस्तुओं की खरीदारी पर उसकी पेमेंट भी मोबाइल द्वारा करने पर सरकार द्वारा बल दिया जा रहा है।
मोबाइल पर से ही ऑनलाईन कपड़ों की खरीदारी हो रही है, अन्य उपयोगी वस्तुएँ भी हम मोबाइल के द्वारा मँगा सकते हैं और मोबाइल के द्वारा ही पेमेंट कर सकते हैं। इस प्रकार के आदान-प्रदान से कैश-लेस संस्कृति का प्रसार हो रहा है, जिससे ब्लैकमनी को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। इस मोबाइल के प्रसार और प्रचार के लिए उपयोग के लिए लोगों को प्रशिक्षित करना बहुत जरूरी है।
विद्यार्थी भी इंटरनेट की मदद से पढ़ाई के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि आजकल तो सभी स्मार्टफोनों में यह सुविधा उपलब्ध रहती हैं। इस प्रकार विद्यार्थी, बच्चे, बूढ़े, युवा सभी के लिए मोबाइल की उपयोगिता दिन-ब-दिन बढ़ गई हैं परन्तु हर एक वस्तु या सुविधा के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं अतः जरूरी है कि इसके अत्यधिक और गलत प्रयोग से बचा जाये।