Maharashtra Board SSC Class 10 Hindi Question Paper 2024 with Answers Solutions Pdf Download.
SSC Hindi Question Paper 2024 with Answers Pdf Download Maharashtra Board
[Time: 2 Hours]
[Max Marks : 100]
सामान्य निर्देश :
1. सूचना के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन तथा भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
2. सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
3. रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है। शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
विभाग 1 – गद्य : 20 अंक
प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
टाँग से ज्यादा फिक्र मुझे उन लोगों की हुई जो हमदर्दी जताने मुझसे मिलने आएँगे। ये मिलने-जुलने वाले कई बार| इतने अधिक आते हैं और कभी-कभी इतना परेशान करते हैं कि मरीज का आराम हराम हो जाता है, जिसकी मरीज| को खास जरूरत होती है। जनरल वार्ड का तो एक नियम होता है कि आप मरीज को एक निश्चित समय पर आकर ही तकलीफ दे सकते हैं किंतु प्राइवेट वार्ड, यह तो एक खुला निमंत्रण है कि “हे मेरे परिचितो, रिश्तेदारो, मित्रो ! आओ, जब जी चाहे आओ, चाहे जितनी देर रुको, समय का कोई बंधन नहीं अपने सारे बदले लेने का यही वक्त है ।” बदले का बदला और हमदर्दी की हमदर्दी। मिलने वालों का खयाल आते ही मुझे लगा मेरी दूसरी टाँग भी टूट गई।
मुझसे मिलने के लिए सबसे पहले वे लोग आए जिनकी टाँग या कुछ और टूटने पर मैं कभी उनसे मिलने गया था, मानो वे इसी दिन का इंतजार कर रहे थे, कि कब मेरी टाँग टूटे और कब वे अपना एहसान चुकाएँ। इनकी हमदर्दी में यह बात खास छिपी रहती है कि देख बेटा, वक्त सब पर आता है।
दर्द के मारे एक तो मरीज को वैसे ही नींद आती, यदि थोड़ी-बहुत आए भी जाए तो मिलने वाले जगा देते हैं- खास कर वे लोग जो सिर्फ औपचारिकता निभाने आते हैं।
(1) निम्नलिखित वाक्य पूर्ण कीजिए: (2)
(i) मरीज का आराम हराम तब हो जाता है जब…………..
(ii) जब मिलने वालों का खयाल लेखक को आता है तब…………..
(2) उत्तर लिखिए: (2)
(i) हमदर्दी जताने वालों की फिक्र करने वाला-
(ii) लेखक को परेशान करने वाले-
(iii) मरीज को मिलने के संबंध में यहाँ समय का बंधन पाला जाता है-
(iv) मरीज को इसके कारण नींद नहीं आती-
(3) (i) गद्यांश में आई हुई एक समानार्थी शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए। (1)
(ii) गद्यांश में प्रयुक्त दो उर्दू शब्द ढूँढ़कर लिखिए: (1)
(1) …………..
(2) …………..
(4) ‘आराम हराम है’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (8)
अभी समाज में यह चल रहा है कि बहुत से लोग अपनी आजीविका शरीर श्रम से चलाते हैं और थोड़े बौद्धिक श्रम से। जिनके पास संपत्ति अधिक है, वे आराम में रहते हैं। अनेक लोगों में श्रम करने की आदत भी नहीं है। इस दशा में उक्त नियम का अमल होना दूर की बात है फिर भी उसके पीछे जो तथ्य है, वह हमें स्वीकार करना चाहिए भले ही हमारी दुर्बलता के कारण हम उसे ठीक तरह से न निभा सकें क्योंकि आजीविका की साधन सामग्री किसी-न-किसी के श्रम बिना हो ही नहीं सकती। इसलिए बिना शरीर श्रम किए उस सामग्री का उपयोग करने का न्यायोचित अधिकार हमें नहीं मिलता। अगर पैसे के बल पर हम सामग्री खरीदते हैं तो उस पैसे की जड़ भी अंत में श्रम ही है।
धनिक लोग अपनी ज्यादा संपत्ति का उपयोग समाज के हित में ट्रस्टी के तौर पर करें। संपत्ति दान यज्ञ और भूदान यज्ञ का भी आखिर आशय क्या है? अपने पास आवश्यकता से जो कुछ अधिक है, उसपर हम अपना अधिकार न| समझकर उसका उपयोग दूसरों के लिए करें।
यह भी बहस चलती है कि धनिकों के दान से सामाजिक उपयोग के अनेक बड़े-बड़े कार्य होते हैं जैसे कि अस्पताल, विद्यालय आदि।
(1) उत्तर लिखिए: (2)
(i) समाज में अपनी आजीविका बहुत से लोग इससे चलाते हैं-
(ii) समाज में अपनी अजीविका थोड़े लोग इससे चलाते हैं-
(iii) आराम में रहने वाले लोगों के पास यह अधिक है-
(iv) अनेक लोगों में इसकी आदत नहीं है-
(2) कृति पूर्ण कीजिए: (2)
(3) (i) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (1)
उपसर्गयुक्त शब्द | शब्द | प्रत्यययुक्त शब्द |
……………….. | ← श्रम → | ……………….. |
(ii) गद्यांश में प्रयुक्त शब्दयुग्म ढूँढ़कर उसका अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए। (1)
(4) ‘करोगे दान पाओगे समाधान’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)
(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (4)
सन् 1911 में, सत्येंद्रनाथ ने उच्चतर माध्यमिक की विज्ञान की परीक्षा दी और प्रथम आए। मेघनाथ साहा ने ढाका कॉलेज से परीक्षा दी थी और वरीयता क्रम में वे दूसरे स्थान पर थे। निखिल रंजन सेन ने इस परीक्षा में तीसरा स्थान| प्राप्त किया।
सत्येन, निखिल रंजन और मेघनाथ साहा ने विज्ञान स्नातक की पढ़ाई के लिए गणित को चुना। वार्षिक परीक्षा में सत्येंद्र प्रथम आए, मेघनाथ द्वितीय और निखिल रंजन तृतीय। सन् 1915 की विज्ञान स्नातकोत्तर की परीक्षा में भी ऐसा ही परिणाम आया।
जल्द ही सत्येन विश्वविद्यालय में ‘चौदह चश्मों वाले लड़के’ के रूप में मशहूर हो गए। वह अपना खाली समय अपने सहपाठियों और निचली कक्षाओं में पढ़ रहे मित्रों को पढ़ाने में व्यतीत करते थे वह उन्हें हरीश सिन्हा के घर| पर पढ़ाते थे। नीरेंद्रनाथ राय और दिलीप कुमार राय को इन कक्षाओं से बहुत लाभ हुआ। इसी दौरान सत्येन ‘सबूज पत्र’ नामक दल से सक्रिय रूप से जुड़ गए। दल के सदस्य प्रमथा चौधरी के घर पर इकट्ठे होते थे।
(1) उत्तर लिखिए: (2)
(2) ‘ज्ञान देने से ज्ञान बढ़ता है’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
(अ) (1)
(i) मरीज का आराम हराम तब हो जाता है जब मिलने-जुलने वाले इतने अधिक आते हैं और परेशान करते हैं।
(ii) जब मिलने वालों का खयाल लेखक को आता है तब उन्हें लगा उनकी दूसरी टाँग भी टूट गई।
(2) (i) हमदर्दी जताने वाले की फिक्र करने वाला – लेखक
(ii) लेखक को परेशान करने वाले लेखक के परिचित रिश्तेदार, मित्र
(iii) मरीज को मिलने के संबंध में यहाँ समय का बंधन पाला जाता है – जनरल वार्ड
(iv) मरीज को इसके कारण नींद नहीं आती – दर्द के मारे
(3) (i) समय – वक्त
(ii) (1) हमदर्दी
(2) तकलीफ
(4) हाँ, यह सच है कि आराम हमारा होता है। मनुष्य को निरंतर कर्म करते रहना चाहिए। कर्म करने से मनुष्य के मन में अच्छे विचार आते हैं। कर्मनिष्ठ रहने से मनुष्य का मन और शरीर दोनों निरोगी रहते हैं परंतु मनुष्य निरंतर आराम करता रहा तो उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। मनुष्य परावलंबी होता जाता है। इसलिए कहा जाता है – ‘आराम हराम है।’
आराम करना, हर काम में आलस करना खुद के लिए ही नुकसानदायक हो सकता है। कोई प्रतियोगिता हो या किसी भी प्रकार की परीक्षा हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। तैयारी करने की बजाय अगर हम आराम करते रहे तो परीक्षा में फेल हो जायेंगे। असफल होंगे। अगर हम कठिन परिश्रम करेंगे तो हर काम में सफल होंगे, हमारा विकास होगा तथा हम जीवन की इस आपाधापी में आगे बढ़ते जायेंगे।
(आ) (1) (i) समाज में अपनी आजीविका बहुत से लोग इससे चलाते हैं — शरीर श्रम
(ii) समाज में अपनी आजीविका थोड़े लोग इससे चलाते हैं – बौद्धिक श्रम
(iii) आराम में रहने वाले लोगों के पास यह अधिक है – संपत्ति
(iv) अनेक लोगों में इसकी आदत नहीं है – श्रम करने की
(2)
(3) (i) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
उपसर्गयुक्त शब्द | शब्द | प्रत्यययुक्त शब्द |
परिश्रम | ← श्रम → | श्रमिक |
(ii) साधन सामग्री
वाक्य प्रयोग – नेहा अपने प्रोजेक्ट के लिए साधन सामग्री खरीद रही हैं।
(4) ‘करोगे दान पाओगे समाधान’ – भारतीय परंपरा बिना दान-धर्म के अधूरी है। हर धर्म में दान का अपना महत्त्व होता है। दान करना बड़ा ही शुभ होता है। अन्नदान सबसे बड़ा दान होता है। वस्त्रदान, ज्ञानदान, धनदान, अभयदान यह सारे दान मुनष्य को पुण्यवान बनाते हैं। दान देने से मनुष्य को समाधान मिलता है।
दान करने से मिलने वाला मानसिक समाधान अमूल्य होता है। दान करने से दुःख तथा मोह से मनुष्य को ‘छुटकारा मिलता है। दान-धर्म करने से ग्रहों की पीडा से भी मनुष्य को मुक्ति मिलती है। मनुष्य संतुष्ट हो जाता है।
(इ) (1)
(2) ‘ज्ञान देने से ज्ञान बढ़ता है’ मनुष्य जीवन में ज्ञान के बिना विशिष्ट उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकते। दूसरों को ज्ञान बाँटने से घटता नहीं बल्कि बढ़ता जाता है। जो भी ज्ञान हमारे पास होता है उसे दूसरों को बना देना आवश्यक है। एक-दूसरे को ज्ञान देने से ज्ञान चारों तरफ बढ़ जाता है। लोगों का विकास होता है। अगर समाज में भी लोग शिक्षित तथा ज्ञानी हो गये तो समाज में व्याप्त बुराई तथा भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा।
विभाग 2- पद्म 12 अंक
प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (6)
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं।
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।
वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य संतान।
जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।
(1) उत्तर लिखिए: (2)
(2) (i) गद्यांश से विलोम शब्द की जोड़ी हूँढकर लिखिए: (1)
………………….. × …………………..
(ii) निम्नलिखित शब्दों के वचन पहचानकर लिखिए: (1)
(i) भारत – …………………..
(ii) भुजाएँ – …………………..
(3) उपर्युक्त पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (6)
घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा॥
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं॥
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ॥
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के वचन संत सह जैसे॥
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी॥
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई॥
(1) निम्नलिखित विधान सत्य अथवा असत्य पहचानकर लिखिए: (2)
(i) उपर्युक्त पद्यांश में शिशिर ऋतु का वर्णन किया है → ………….
(ii) श्री राम जी का मन डर रहा है → ………….
(iii) दुष्ट व्यक्ति का प्रेम स्थिर नहीं होता है → ………….
(iv) सद्गुण एक-एक करके अपने आप सज्जन व्यक्ति के पास आ जाते हैं → ………….
(2) (i) निम्नलिखित शब्दों के लिए पद्यांश में प्रयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) दुष्ट –
(2) विद्यमान –
(ii) निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) बूँद –
(2) गिरि –
(3) उपर्युक्त पद्यांश से क्रमशः किन्हीं दो पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (2)
उत्तर :
(अ) (1)
(2) (i) संपन्न × विपन्न
(ii) (i) भारत – एकवचन
(ii) भुजाएँ – बहुवचन
(3) अंतिम चार पंक्तियों का अर्थ – प्रस्तुत कविता जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित है। कविता में कवि ने भारतमाता की गौरवगाथा का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि आज भी हमारे अंदर उन्हीं पूर्वजों का रक्त संचार है। शरीर में वैसा ही साहस है तथा शक्ति है, भारत देश वैसा ही है, हम उन्हीं महान आर्यों की संतान हैं और हम अपना जीवन भारतवर्ष को समर्पित कर प्रसन्न व गौरवान्वित हैं। हम अपने प्यारे देश भारत पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए सदैव तत्पर हैं।
(आ) (1) (i) असत्य
(ii) सत्य
(iii) सत्य
(iv) सत्य
(2) (i) (1) दुष्ट – खल
(2) विद्वान – नवहिं
(ii) (1) बुँद – स्त्रीलिंग
(2) गिरि – पुल्लिंग
(3) किन्हीं दो पंक्तियों का सरल अर्थ – प्रस्तुत कविता गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित है। प्रस्तुत कविता में कवि वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए कहते हैं कि आकाश में बादल घुमड़-घुमड़कर घोर गर्जना कर रहे हैं। सीताजी के बिना श्रीरामजी का मन डर रहा है। बिजली की चमक बादलों में ठहरती नहीं । जैसे दुष्ट की प्रीति अर्थात् प्रेम स्थिर नहीं रहता है।
विभाग 3 – पूरक पठन 8 अंक
प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (4)
इस वर्ष बड़ी भीषण गरमी पड़ रही थी। दिन तो अंगारे से तपे रहते ही थे, रातों में भी लू और उमस से चैन नहीं मिलता था। सोचा इस लिजलिजे और घुटनभरे मौसम से राहत पाने के लिए कुछ दिन पहाड़ों पर बिता आएँ। अगले सप्ताह ही पर्वतीय स्थल की यात्रा पर निकल पड़े। दो-तीन दिनों में ही मन में सुकून सा महसूस होने लगा था। वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य, हरे-भरे पहाड़ गर्व से सीना ताने खड़े, दीर्घता सिद्ध करते वृक्ष, पहाड़ों की नीरवता में हल्का-सा शोर कर अपना अस्तित्व सिद्ध करते झरने, मन बदलाव के लिए पर्याप्त थे।
उस दिन शाम के वक्त झील किनारे टहल रहे थे। एक भुट्टेवाला आया और बोला – “साब, भुट्टा लेंगे।| गरम-गरम भूनकर मसाला लगाकर दूँ। सहज ही पूछ लिया- “कितने का है?”
“पाँच रुपये का।”
“क्या? पाँच रुपये में एक भुट्टा। हमारे शहर में तो दो रुपये में एक मिलता है, तुम तीन ले लो।”
(1) संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
(2) प्रकृति मन की प्रसन्न करती है’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (4)
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा।
भीतरी कुंठा
आँखों के द्वार से
आई बाहर।
खारे जल से
धुल गए विषाद
मन पावन।
(1) उचित जोड़ियाँ मिलाइए
‘अ’ | ‘आ’ |
(i) खिलखिलाता फूल | विषाद |
(ii) भीतरी | जल |
(iii) खारा | प्रेरणा |
(iv) पावन | कुंठा |
मन |
(2) ‘काँटों के बीच खिलनेवाला फूल प्रेरणा देता है’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार कीजिए। (2)
उत्तर:
(अ) (1)
(2) प्रकृति मन को प्रसन्न करती है’ प्रकृति और मनुष्य के बीच गहरा संबंध है। प्रकृति मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त है। जब हमारा मन उदास होता है तो प्रकृति का सौंदर्य, बड़े-बड़े वृक्ष, पर्वत, पहाड़, झरने देखने के बाद मन की उदासी दूर हो जाती है तथा मन को प्रसन्नता मिलती है। प्राकृतिक सौंदर्यता देखकर हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता है प्राकृतिक सौंदर्य देखने से बीमार व्यक्ति भी चहक उठता है। प्रकृति में उपस्थित फल-फूल भी प्रकृति की मिली देन है, इसलिए प्रकृति के विनाश को रोकने के लिए हमें इसे स्वच्छ रखना होगा।
(आ) (1)
‘अ’ | ‘आ’ |
(i) खिलखिलाता फूल | प्रेरणा |
(ii) भीतरी | कुंठा |
(iii) खारा | जल |
(iv) पावन | मन |
(2) ‘काँटों के बीच खिलने वाला फूल प्रेरणा देता है ‘काँटो के बीच खिलने वाला फूल है, गुलाब गुलाब का फूल काँटों बीच भी हँसता है तथा खिलखिलाता है। गुलाब का फूल हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट में घबराना नहीं चाहिए। जीवन में समस्याओं से बिना डरे उसका सामना करना चाहिए। समस्याओं पर जीत हासिल करनी चाहिए। अतः काँटो के बीच खिलने वाला फूल कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना करने की प्रेरणा देता है।
विभाग 4 – भाषा अध्ययन (व्याकरण) 14 अंक
प्रश्न 4.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (14)
(1) निम्नलिखित वाक्य में अधोरेखांकित शब्द का शब्दभेद पहचानकर लिखिए: (1)
क्या तुम कॉलेज में पढ़ी हो?
(2) निम्नलिखित अव्ययों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए: (1)
(i) धीरे-धीरे
(ii) लेकिन
(3) कृति पूर्ण कीजिए: (1)
शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
महा + आत्मा | |
अथवा
शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
दुस्साहस |
(4) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य की सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए: (1)
(i) हम आगे बढ़ गए।
(ii) मैंने दरवाजा खोल दिया।
सहायक क्रिया | मूल किया |
………………….. | ………………… |
(5) निम्नलिखित में से किसी एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए: (1)
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
चलना | ………………….. | ………………….. |
मिलना | ………………….. | ………………….. |
(6) निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए: (1)
(i) टाँग अड़ाना
(ii) गला फाड़ना
अथवा
अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए:
(काँप उठाना; हाथ फेरना)
रोते हुए बच्चे को गोद में उठाकर माँ स्नेह करने लगी।
(7) निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारकों में से कोई एक कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए: (1)
(i) मकान पर मकान लदे हैं।
(ii) रामस्वरूप इशारे के लिए खाँसते हैं।
(8) निम्नलिखित वाक्य में यथास्थान उचित विराम चिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए: (1)
हाँ मेरे पास बहुत से पत्र आते हैं।
(9) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए: (2)
(i) मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जाता हूँ।
(सामान्य भविष्यकाल)
(ii) दोनों ही देर तक फूट-फूटकर रोते रहे।
(अपूर्ण भूतकाल)
(iii) वे पुस्तक शांति से पढ़ते हैं।
(पूर्ण वर्तमानकाल)
(10) (i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए: (1)
मोटे तौर पर दो वर्ग किए जा सकते हैं।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए: (1)
(1) परिचय के बिना किसी को दाखिल करना चाहिए। (निषेधार्थक वाक्य)
(2) थोड़ी बातें हुईं। (प्रश्नार्थक वाक्य)
(11) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए: (2)
(i) घर में तख्त के रखे जाने का आवाज आता है।
(ii) करामत अली के आँखों में आँसू उतर आई।
(iii) ठीख उसी समय रूपा की आँखें खुला।
उत्तर:
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम
(2) (i) धीरे-धीरे नेहा धीरे-धीरे साईकिल चलाती है।
(ii) लेकिन – नितिन बुद्धिमान है, लेकिन पढ़ाई नहीं करता है।
(3) कृति पूर्ण कीजिए:
शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
महात्मा | महा + आत्मा | स्वर संधि |
अथवा
शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
दुस्साहस | दु: + साहस | विसर्ग संधि |
(4) (i) हम आगे बढ़ गए।
(ii) मैंने दरवाजा खोल दिया।
सहायक क्रिया | मूल किया |
(i) गए | जाना |
(ii) दिया | देना |
(5) एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप-
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
चलना | चलाना | चलवाना |
मिलना | मिलाना | मिलवाना |
(6) (i) टाँग अड़ाना – बाधा डालना।
कुछ लोगों को अच्छे कामों में टॉंग अड़ाने की आदत होती है।
(ii) गला फाड़ना – जोर-जोर से चिल्लाना।
राधा गला फाड़कर रो रही थी।
अथवा
रोते हुए बच्चे को गोद में उठाकर माँ ने हाथ फेरा।
(7) (i) पर अधिकरण कारक
(ii) के लिए – संप्रदान कारक
(8) हाँ, मेरे पास बहुत से पत्र आते हैं।
(9) (i) मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जाऊँगा।
(ii) दोनों ही देर तक फूट-फूटकर रो रहे थे।
(iii) उन्होंने पुस्तक शांति से पढ़ा है।
(10) (i) मोटे तौर पर दो वर्ग किए जा सकते हैं। – सरल वाक्य
(ii) (1) परिचय के बिना किसी को दाखिल नहीं करना चाहिए।
(2) कितनी बातें हुई?
(11) (i) घर में तख्त के रखे जाने की आवाज आती है।
(ii) करामत अली के आँखों में आँसू आ गए।
(iii) ठीक उसी समय रूपा की आँखे खुलीं।
विभाग 5 – रचना विभाग (उपयोजित लेखन) : 26 अंक
सूचना: आवश्यकतानुसार परिच्छेद में लेखन अपेक्षित है।
प्रश्न 5.
सूचनाओं के अनुसार लेखन कीजिए: (26)
(अ) (1) पत्रलेखन: (5)
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर पत्रलेखन कीजिए:
राजेश/रजनी शर्मा, मातोश्री छात्रालय, चिचेवड से अपने छोटे भाई सुयश शर्मा ‘नंदनवन’ कालोनी, नांदेड को योग का महत्व समझाने हेतु पत्र लिखता लिखती है।
अथवा
अनिकेत/अनिशा सोनवणे, गांधी मार्ग, सांगली से मा. व्यवस्थापक, मीरा स्पोर्ट्स, आझाद चौक, सातारा को क्रिकेट खेल सामग्री की माँग करने हेतु पत्र लिखता/लिखती है।
(2) गद्य आकलन प्रश्ननिर्मिति: (4)
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों:
वाणी ईश्वर द्वारा मनुष्य को दी गई एक बड़ी देन है। वह मनुष्य के चिंतन का फलित है और उसका साधन भी। चिंतन के बगैर वाणी नहीं और वाणी के बगैर चिंतन नहीं और दोनों के बगैर मनुष्य नहीं।
मनुष्य के जीवन का समाधान वाणी के संयम और उसके सदुपयोग पर निर्भर है। मनुष्य के सारे चिंतनशास्त्र वाणी पर आधारित हैं। दर्शनों का सारा प्रयास विचारों को वाणी में ठीक से पेश करने के लिए रहा है। वाणी विचार का शरीर ही है। कोई खास विचार किसी खास शब्द में ही समाता है। इसलिए गंभीर चिंतन करने वाले निश्चित वाणी की खोज करते रहते हैं।
पतंजलि के बारे में कहते हैं कि उसने चित्तशुद्धि के लिए योगसूत्र लिखे, शरीरशुद्धि के लिए वैद्यक लिखा और वाक्शुद्धि के लिए व्याकरण महाभाष्य लिखा।
(आ) (1) वृत्तांत लेखन: (5)
गुरुकृपा विद्यालय, बीड में मनाए गए ‘स्वतंत्रता दिन’ समारोह का 70 से 80 शब्दों में वृत्तांत लेखन कीजिए।
(वृत्तांत में स्थल, काल, घटना का उल्लेख होना अनिवार्य है)
कहानी लेखन:
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए तथा सीख लिखिए:
एक गाँव — होशियार लड़कियाँ — गाँव में पानी का अभाव — लड़कियों का घर के कामों में सहायता करना — दूर — से पानी लाना — पढ़ाई के लिए कम समय मिलना — लड़कियों का पानी की समस्या पर चर्चा करना — समस्या सुलझाने का उपाय — गाँव वालों की सहायता से प्रयोग करना — सफलता पाना — ।
(2) विज्ञापन लेखन: (5)
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर 50 से 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए:
(इ) निबंध लेखन: (7)
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए:
(1) किसान की आत्मकथा
(2) हमारी सैर
(3) यदि पुस्तकें न होतीं …………..
उत्तर:
(अ) (1) पत्रलेखन
दिनांक : 03 अप्रैल, 2024
प्रिय सुयश
‘नंदनवन’ कॉलोनी
नांदेड
विषय – योग का महत्व समझाने हेतु पत्र
सस्नेह आशीर्वाद।
माँ का पत्र मिला। उस पत्र से तुम्हारी अस्वस्थता का समाचार मिला। तुम आए दिन बीमार पड़ रहे हो, जिस कारण तुम विद्यालय रोज नहीं आ पा रहे हो। परीक्षा नजदीक आ रही हैं। इस बात से माँ और पिताजी दोनों चिंतित हैं। तुम्हारा शरीर कमजोर हो गया है। तुम्हें रोज योग करने की आवश्यकता है। योग करने से मन और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहते हैं। योग द्वारा कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है। अगर तुम्हें अपनी पढ़ाई तथा किसी और बात की चिंता हैं तो वो भी दूर हो जाएगी योग से मन प्रसन्न और स्फूर्तिदायक बन जाता है।
जीवन में योग अपनाओ बीमारियों को भगाओ और स्वस्थ व तंदुरुस्त रहो। ईश्वर तुम्हें जल्द से जल्द स्वस्थ करे। माताजी-पिताजी तथा दीदी को प्रणाम। तुम्हें ढेर सारा प्यार। मुझे तुम्हारे पत्र का इंतजार रहेगा।
तुम्हारा भाई
राजेश शर्मा,
मातोश्री छात्रालय,
चिचेवड|
[email protected]
अथवा
दिनांक : 4 अप्रैल, 2024
प्रति,
मा. व्यवस्थापक,
मीरा स्पोर्ट्स
आझाद चौक,
सातारा।
विषय – खेल सामग्री की माँग करने हेतु पत्र।
महोदय,
मैं अनिकेत सोनवणे एक क्रिकेट टीम का कप्तान हूँ। मैं कक्षा दसवीं का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय के छात्रों ने टीम बनायी है परंतु हमारी टीम के लिए क्रिकेट की सामग्री की कमी की वजह से हम प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि क्रिकेट खेलने के लिए आवश्यक सामग्री की आप जल्द व्यवस्था कीजिए। खेल सामग्री की सूची अग्रलिखित हैं:-
क्रम संख्या | सामग्री | संख्या |
1 | बैट | 03 |
2 | बॉल | 05 |
3 | स्टंप | 02 सेट |
4 | ग्लव्स | 08 |
मुझे आशा है कि आप जल्द से जल्द खेल साम्रगी भेजने की कृपा करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
अनिकेत सोनवणे
गाँधी मार्ग, सांगली
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(2) गद्य आकलन – प्रश्ननिर्मिति
(1) ईश्वर द्वारा मनुष्य को कौन-सी देन मिली है?
(2) किन दो बातों के बगैर मनुष्य अधूरा है?
(3) मनुष्य के जीवन का समाधान किस पर निर्भर है?
(4) मनुष्य की कौन-सी बात वाणी पर आधारित है?
(आ) (1) वृत्तांत लेखन
गुरुकृपा विद्यालय बीड में संपन्न स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त, 2023 को विद्यालय के प्रांगण में बड़ी धूम-धाम से मनाया गया था। विद्यालय के चारों तरफ भारत माता के झंडे लगाकर सजाया गया।
‘स्वतंत्रता दिन’ समारोह सुबह 8 बजे से आरंभ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी श्री श्रीकांत वर्मा थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अध्यक्ष के रूप में विराजमान थे। उनके करकमलों द्वारा झंडा फहराया गया। उसके बाद सबने मिलकर राष्ट्रगान गाया।
इस समारोह में सभी ने देशभक्ति गीत गाये। शहीदों और देश के सैनिक जवानों को याद किया गया। छात्रों द्वारा ‘स्वतंत्रता दिवस’ पर एक नाटक प्रस्तुत किया गया। अध्यक्षजी ने अपने भाषण में स्वतंत्रता का महत्व समझाया। इस प्रकार गुरुकृपा विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ।
अथवा
कहानी लेखन
एकता में शक्ति – चाँदपुर नामक एक गाँव था। गाँव के लोगों में गजब की एकता थी। गाँव वाले लोग लड़का-लड़की में भेद नहीं करते थे। लड़का-लड़की दोनों को पढ़ाई का समान अधिकार उन्होंने दिया था। आजकल हम देखते हैं कि लड़कों की तुलना में लड़कियों पढ़ाई में आगे हैं। इस गाँव की स्थिति भी ऐसी ही थी गाँव में अनेक प्रकार की सुविधा थी परंतु पानी का अभाव था लड़कियाँ पढ़ाई के साथ घर के कामों में भी सहायता करती थीं। उन्हें बहुत दूर से पानी लाना पड़ता था। इस कारण लड़कियों को पढ़ाई के लिए बहुत कम समय मिलता था।
एक दिन सभी लड़कियाँ एकजुट होकर इस परेशानी को सुलझाने के लिए चर्चा कर रही थीं। सभी पानी की समस्या को सुलझाने का उपाय खोजने लगीं। चर्चा करते हुए उनमें से एक ने कहा, यदि हमारे गाँव में तालाब होता तो हमें पानी लाने दूर तक नहीं जाना पड़ता। अतः मेरे विचार से हमें गाँव में ही एक बड़े से तालाब की खुदाई करवानी चाहिए जिसमें बारिश का पानी एकत्रित होगा और उस पानी का उपयोग हम लंबे समय तक कर सकते हैं। तालाब के कारण गाँव की जमीन में भी पानी का स्तर धीरे-धीरे बढ़ जाएगा। जिसका उपयोग गाँव वाले भविष्य में भी कर सकते हैं। सभी लड़कियों को यह उपाय बहुत ही अच्छा लगा और उन्होंने यह उपाय गाँव वालों को बताया।
गाँव के सभी लोगों को भी यह तालाब खोदने का उपाय सही लगा। गाँव वालों की सहायता से सभी लड़कियाँ इस अनोखे प्रयोग में जुट गई और जल्द ही गाँव वालों के कठोर परिश्रम से गाँव में एक बड़े से तालाब की खुदाई पूरी हुई। अब सब लोगों को बारिश के दिनों का इंतजार था।
कुछ ही दिनों में वर्षा ऋतु की शुरुआत हो गई और उस साल झमाझम बारिश हुई। गाँव का वह तालाब लबालब भरकर बहने लगा। गाँव वाले लोग अब पानी की समस्या से मुक्त हो गए। अगले तीन वर्षों के बाद गाँव की धरती के जलस्तर में भी काफी सुधार आया। इसके बाद गाँव में एक सार्वजनिक नलकूप लगवाया गया। सारा गाँव खुशहाल हो गया क्योंकि लड़कियों का प्रयोग सफल हुआ।
सीख – एकजुट होकर काम करने से कोई भी मुश्किल काम आसान हो जाता है।
(2) विज्ञापन लेखन
(इ) निबंध लेखन
(1) किसान की आत्मकथा — हमारा भारत देश गाँवों का देश है। मैं उन्हीं गाँव में रहने वाला एक किसान हूँ। लोग मुझे अन्नदाता किसान, भूमिपुत्र जैसे कई नामों से जानते हैं सभी मेरा बहुत सम्मान करते हैं। सभी लोग मेरे द्वारा उगाया गया अन्न ग्रहण करते हैं। हम किसानों का पूरा जीवन धरती माँ की सेवा करने में गुजर जाता है। हमारा इतिहास बहुत पुराना है। सभ्यता के विकास से लेकर आज की सदी तक मैं अपने खेती व्यवसाय से जुड़ा हुआ हूँ।
मेरा नाम गिरिधर है। शिवपुर नाम के एक छोटे से गाँव में में रहता हूँ मैं एक किसान हूँ जीवन के सभी संघर्षों और सफलताओं के बावजूद मैं एक संतुष्ट और गर्वमय किसान बना हूँ।
पिताजी और दादाजी ने मुझे खेती का महत्व समझाया। मैंने जब खेती का काम शुरु किया तो मुझे पता चला कि यह काम आसान नहीं है। हम किसानों को धूप, मिट्टी और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। जीवन की मुश्किल समय में भी अपने-आप को मजबूत करना पड़ता है। मेरी लगन और मेहनत ने मुझे सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने का सामर्थ्य दिया।
मैंने नई तकनीकों का इस्तेमाल किया, बाजार की ताकत को समझा और फसल की कीमतों को नियंत्रित किया। धीरे-धीरे मैंने अपनी खेती में विदेशी तकनीकों का प्रयोग करके अधिक उत्पादन की संभावनाएँ प्राप्त की।
खेती मेरे लिए एक अद्वितीय अनुभव है जब मैं अपनी मेहनत कर फल को अपनी आँखों से देखता हूँ तो उस खुशी कोई सीमा नहीं होती। प्रकृति के साथ मेरी एकता मिट्टी के संग मेरे जीवन की एकता है। यह मुझे सुंदर और मूल्यवान जीवन का आनंद देती है।
(2) हमारी सैर गर्मी की छुट्टियों में इस बार मैंने अपने परिवार के साथ मिलकर किसी ऐतिहासिक स्थल की सैर का कार्यक्रम बनाया। साँची एक प्रसिद्ध स्थल है, इसलिए हमने साँची जाने का निश्चय किया।
रेलगाड़ी द्वारा भोपाल होकर मैं अपने माता-पिता के साथ साँची पहुँची । अध्यात्म-कला और इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों को साँची हमेशा आमंत्रित करती रही है। सुबह 9 बजे हम साँची पहुँचे और टिकट लेकर हमने स्तूपों पर चढ़ाई की। सुनहरी धूप, खुशनुमा मौसम और आसपास की हरियाली देखकर लगा कि महात्मा बुद्ध के संदेशों का प्रचार-प्रचार करने के लिए सम्राट अशोक का इस जगह का चुनाव करना उपयुक्त था।
पत्थर के भव्य द्वार पर तीन मुखी शेरों वाला चिन्ह जिसे लायन केपिटल कहते हैं यहाँ की कथा कहता हुआ प्रतीत हुआ। पत्थरों का कलात्मक निर्माण वास्तुकला और शिल्पकला की दृष्टि से साँची का स्तूप बहुत अनुपम है। उसके बाद हम विजय मंदिर देखने गए। इस अदभुत और भव्य मन्दिर को प्राचीन वास्तुकला का चमत्कार कहा जा सकता है इस मंदिर को भारत का दूसरा ‘सूर्य मंदिर’ भी कहते हैं।
यहाँ का दृश्य देखने के बाद हम बेतवा नदी के पुल से गुजरते हुए उदयगिरी पहुँचे। इस भव्य पहाड़ी के निकट ही गुलाब का एक आकर्षक उद्यान भी है। उदयगिरी के गुफाओं के होटल में नाश्ता कर हम ऐतिहासिक हेलियोडोरेस का स्तंभ देखने पहुँचे। फिर यहाँ से लगभग 30 किमी दूर वट का एक प्राचीन वृक्ष देखने गए। जिसकी सौ से भी अधिक शाखाएँ लगभग आधा किमी. क्षेत्रफल में फैली हुई है। इसे देखने के बाद हम साँची वापस आ गए। रात को होटल में विश्राम किया और अगले दिन हमने घर के लिए ट्रेन पकड़ी।
ऐतिहासिक स्थल की ये सैर हमारी यादगार सैर रहेगी। इस सैर से हमें अनेक प्रकार की जानकारियाँ भी प्राप्त हुई हैं।
(3) यदि पुस्तकें न होतीं ……………. – यदि पुस्तकें न होतीं, तो हमारी संस्कृति, शिक्षा और कल्पना का संसार ही बहुत सीमित होता। पुस्तकें न केवल ज्ञान का भंडार है बल्कि ये हमारे विचारों और कल्पनाओं को नई उड़ान भी देती हैं। वे हमें इतिहास से जोड़ती हैं, भविष्य के सपने दिखाती हैं। पुस्तकों के बिना, हमारा जीवन बहुत ही रंगहीन और उबाऊ होता।
पुस्तकें हमें उस संस्कृति से परिचित कराती हैं, जिन्हें हमने कभी अनुभव नहीं किया होता। वे हमें दूसरों के जीवन का अनुभव करने की क्षमता देती हैं, जिससे हमें सहानुभूति और समझ की गहराई मिलती है। इसके अलावा, पुस्तकें हमें समस्या समाधान की कला सिखाती हैं और हमें नई-नई तकनीकों और विचारों से परिचित कराती हैं।
अगर पुस्तकें न होती तो हम ज्ञान और विवेक के उस स्तर तक कभी नहीं पहुँच पाते जो आज हमें प्राप्त है। पुस्तकें हमारी शिक्षा की नींव हैं और हमें विचारशील, जिज्ञासु और संवेदनशील बनाती हैं वे हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाती हैं तथा हमें एक बेहतर इंसान बनाने की प्रेरणा देती हैं। अतः पुस्तकें न सिर्फ हमारे ज्ञान का स्त्रोत है बल्कि हमारे अस्तित्व का एक अनिवार्य हिस्सा भी हैं।