Maharashtra Board Class 10 Hindi Sample Paper Set 2 with Answers

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Maharashtra Board Class 10 Hindi Model Paper Set 2 with Answers

[Time: 2 Hours]
[Max Marks : 100]

सूचनाएँ :-
(1) सूचना के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन, भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
(2) सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
(3) रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
(4) शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।

विभाग 1 – गद्य : 20 अंक

प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
एक दिन तुम्हारे बाबू जी ने दुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की मजबूरियों को समझते हुए जब हमसे गहनों की माँग की तो क्षण भर के लिए हमें कुछ वैसा लगा और गहना देने में तनिक हिचकिचाहट महसूस हुई, पर यह सोचा कि उनकी प्रसन्नता में हमारी खुशी है, हमने गहने दे दिए। केवल टीका, नथुनी, बिछिया, नथ रख लिए थे। वे हमारे सुहाग वाले गहने थे। उस दिन तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर दूसरे दिन वे अपनी पीड़ा न रोक सके। कहने लगे – “तुम जब मिर्जापुर जाओगी और लोग गहनों के संबंध पूछेंगे तो क्या कहोगी ?
(1) नाम लिखिए –
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(2) पीड़ा शब्द के दो समानार्थी शब्द लिखिए-
(i) …………..
(ii) …………..

(3) गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए-
(i) प्रत्यययुक्तं शब्द-
(1) …………..
(2) …………..

(ii) ऐसे दो शब्द जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता-
(1) …………..
(2) …………..

(4) बाबू जी की चरित्रगत विशेषताओं पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार प्रकट करें।

(आ) पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
आश्रम किसी एक धर्म से चिपका नहीं होगा। सभी धर्म आश्रम को मान्य होंगे, अतः सामान्य सदाचार, भक्ति तथा सेवा का ही वातावरण रहेगा। आश्रम में स्वावलंबन हो सके उतना ही रखना चाहिए। सादगी का आग्रह होना चाहिए। आरम्भ में उद्योग या पढ़ाई की व्यवस्था भले ही न हो सके, लेकिन आगे चलकर उपयोगी उद्योग सिखाए जाएँ, पढ़ाई भी आसान हो। आश्रम शिक्षा संस्था नहीं होगी, लेकिन कलह और कुढ़न से मुक्त स्वतन्त्र वातावरण जहाँ हो ऐसा मानवतापूर्ण आश्रय स्थान होगा, जहाँ परेशान महिलाएँ बेखटके अपने खर्च से रह सकें और अपने जीवन का सदुपयोग पवित्र सेवा में कर सकें। ऐसा आसान आदर्श रखा हो और व्यवस्था पर समिति का झंझट न हो तो बहुत सुंदर तरीके से चला सके ऐसा एक बड़ा काम होगा। उनके उपर ऐसा बोझ नहीं आएगा जिससे कि उन्हें परेशानी हो।

(आ) (1) आकृति पूर्ण कीजिए
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(2) उत्तर लिखिए-
गद्यांश में उल्लेखित आश्रम की विशेषताएँ:
(1) …………..
(2) …………..

(3) (i) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द ढूंढ़कर लिखिए-
(1) सदुपयोग ___________
(2) सादगी ___________

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए-
1. किसी संस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए गठित संगठन
2. अपना काम स्वयं करना

(4) अपने देखे हुए किसी आश्रम की व्यवस्था पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए-

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(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
आज संपूर्ण विश्व में एक धर्म दूसरे धर्म का दुश्मन बन बैठा है। धर्म का उद्देश्य सिर्फ मानवता की रक्षा करना है। कर्म, भक्ति, ज्ञान इनके त्रिरत्न है। इनमें से किसी एक के न होने पर धर्म को सही अर्थ में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। आज धर्म के नाम पर विभाजन, संप्रदायवाद, सामाजिक बैर आम है। धर्म किसी से बैर करना नहीं सिखाता। धर्म सिर्फ जोड़ता है।

धर्म का आश्रय लेकर आज कुछ स्वार्थी लोग कुछ लोगों को पथभ्रष्ट कर रहे हैं। हमें कबीर की उक्ति हमेशा याद रखनी चाहिए-
कांकड़ पाथर जोड़ के मस्जिद लयी बनाय।।
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।

(1) उत्तर लिखिए –
धर्म की विशेषताएँ लिखिए।
(1) …………..
(2) …………..

(2) धर्म विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए-
उत्तर:
(अ) (1)
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(2) (i) (1) दुःख
(2) तकलीफ

(3) (ii) (1) खुशी
(2) पीड़ा

(4) बाबूजी एक सहृदय व्यक्ति थे। किसी भी मनुष्य की पीड़ा देखकर वह विचलित हो जाते थे। वह उनकी बराबर मदद किया करते थे। उन्हें मनुष्यता का बेहद अभिमान था । स्वयं कष्ट सहकर दूसरों को खुशी देना अपना परम कर्त्तव्य समझते थे ।

(आ) (1)
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(2) (i) किसी एक धर्म को मान्यता नहीं।
(ii) सभी धर्मों को समान महत्व।

(3) (i) (1) दुरुपयोग
(ii) (2) आडम्बर

(ii) (1) समिति
(ii) (2) स्वावलंबन

(4) अभी हाल ही में मुझे गोरेगाँव जाने का अवसर मिला। सनातन आश्रम में जाने का यह मेरा प्रथम अवसर था। आश्रम का वातावरण बहुत ही स्नेहिल व सादगी भरा था। सभी लोग उस शांत वातावरण में बेहद अनुशासित होकर कार्य कर रहे थे। आश्रम में छोटे-छोटे उद्योग स्थापित थे। जहाँ से बने हस्तनिर्मित सामान बाजार में बेचे जाते थे। सभी धर्मों के लोगों का वहाँ बसेरा था।
(1) (i) मानवता की रक्षा करना
(ii) धर्म की सही अर्थ में व्याख्या करना।

(2) धर्म का स्वभाव ही बेहद लचीला होता है। धर्म सभी मानव मूल्यों की पूँजी है। यह हमारी परंपराओं की रक्षक हैं। धर्म का स्वभाव ही सभी मानव को आपस में जोड़ना रहा है। धर्म ईश्वर की तरफ उन्मुख करने का एक अंतिम साधन है।

विभाग 2 – पद्य : 12 अंक

प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
यह बताओ तुम्हारे नोट कहाँ हैं?
परीक्षा से एक महीने पहले करूँगा तैयार
वे गरजकर बोले, हमारा मतलब आपकी मुद्रा से है
मैं लरज कर बोला,
मुद्राए आप मेरे मुख पर देख लीजिए,
वे खड़े होकर कुछ सोचने लगे
फिर शयन कक्ष में घुस गए
और फटे हुए तकिये की रुई नोचने लगे
उन्होंने टूटी अलमारी को खोला
रसोई की खाली पीपियों को टटोला
बच्चों की गुल्लक तक देख डाली
पर सब में मिला एक ही तत्व खाली….
कनस्तरों को, मटकों को ढूँढा सब में मिला शून्य – ब्रह्मांड।
(1) संजाल पूर्ण कीजिए।
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(2) (i) ऐसे शब्द जिनका अर्थ निम्न शब्द हो-
(1) गरजना
(2) सिक्का
(ii) वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए-
बच्चों की गुल्लक तक देख डाली।

(3) प्रस्तुत हास्य-व्यंग्य का भावार्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।

(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
फागुन के दिन चार होरी खेल मना रे।
बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झनकार रे।
बिनसुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे।।
सील संतोख की केसर घोली, प्रेम-प्रीत पिचकार रे।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे।।
घट के पट सब खोल दिए हैं, लोकलाज सब डार रे।
‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण कँवल बलिहार रे।।
(1) पद्यांश के आधार पर संबंध जोड़कर उचित वाक्य तैयार कीजिए-
(i) सुमन – कट
(ii) पैखुड़ी – गंध
उपवन
(1) …………..
(2) …………..

(2) (i) निम्नलिखित के लिए पद्मांश से शब्द ढूंढ़कर लिखिए-
(1) पेड़-पौधों का समूह………
(2) नई कोमल पत्तियाँ………
(ii) पद्यांश में आए ‘गंध’ शब्द के अलग-अलग अर्थ लिखिए-
(1) …………..
(2) …………..

(3) प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए-
उत्तर:
(अ) (1)

(2) (i) (1) जोर से कड़क कर बोलना
(2) मुद्रा
(ii) बच्चे की गुल्लक तक देख डाली

(3) लेखक के घर आयकर विभाग का छापा किसी गलत सूचना के आधार पर पड़ता है। यहाँ अधिकारियों द्वारा लेखक से तरह-तरह के सवाल पूछे जाते हैं, बेचारा लेखक अपने जीवन संबंधी समस्या को अधिकारियों द्वारा पूछे गये प्रश्न के जवाब हेतु प्रस्तुत करता है। फलतः एक हास्य-व्यंग्य की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

(आ) (1) सुमन किसी भी परिस्थिति में अपनी गंध नहीं खोता।
(2) फूल की पंखुड़ी काँटों के समीप रहकर भी खिलती है।
(i) (1) उपवन
(2) कोंपल

(ii) (1) महक
(2) बास

(3) मैंने अपने प्रिय से होली खेलने के लिए शील और संतोष रूपी केसर का रंग घोला है। मेरा प्रिय प्रेम ही होली खेलने की पिचकारी है। उड़ते हुए गुलाल से सारा आकाश लाल हो गया है। अब मुझे लोक-लज्जा का कोई डर नहीं है इसलिए मैंने हृदय रूपी घर के दरवाजे खोल दिए हैं। अंत में मीरा कहती हैं कि मेरे स्वामी गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले कृष्ण भगवान हैं। मैंने उनके चरण कमलों में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है।

विभाग 3 – पूरक पठन 8 अंक

प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
रूपा को अपनी स्वार्थपरता और अन्याय इस प्रकार प्रत्यक्ष रूप में कभी न दीख पड़े थे। वह सोचने लगी- हाय! कितनी निर्दयी हूँ। जिसकी संपत्ति से मुझे दो सौ रुपया वार्षिक आय हो रही है, उसकी यह दुर्गति! और मेरे कारण! हे दयामय भगवान! मुझसे बड़ी भारी चूक हुई है, मुझे क्षमा करो! आज मेरे बेटे का तिलक था। सैकड़ों मनुष्यों ने भोजन किया। मैं उनके इशारों की दासी बनी रही। अपने नाम के लिए सैकड़ों रुपये व्यय कर दिए, परन्तु जिसकी बदौलत हजारों रुपये खाए, उसे इस उत्सव में भी भरपेट भोजन न दे सकी। केवल इसी कारण कि वह वृद्धा असहाय है।

(1) लिखिए-
गद्यांश में उल्लेखित रूप की मानसिकताएं लिखिए-
(i) ……………………….
(ii) ……………………….

(2) रूपा की चरित्रगत विशेषताओं के आधार पर 25-30 शब्दों में अपने विचार लिखिए-

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(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
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(1) सूचनानुसार लिखिए-
(1) ऐसी पंक्ति जिसमें शिक्षा है-
………………….
(2) ऐसी पंक्ति जिसमें प्रेरणा है-
………………….
(2) कर्म ही जीवन है, अपने विचार 25-30 शब्दों में लिखिए।
रंग-बिरंगे रंग-संग लेकर आया फागुन।
उत्तर:
(अ) (1) (i) स्वार्थपरता
(ii) अन्यायी प्रवृत्ति

(2) रूपा आम भारतीय नारी की तरह है। वह ईश्वर में आस्था तो रखती है परन्तु मनुष्य के कुछ अवगुण जैसे स्वार्थपरता, निर्दयी, अन्यायी इत्यादि से भी परे नहीं है। वह एक सामान्य गृहणी है जो अंत में अपनी करनी पर ईश्वर से क्षमा माँगती है और अपनी गलती सुधार लेती है।

(आ) (1) (i) करते जाओ। पाने की मत सोचो। जीवन सारा।
(ii) काँटों के बीच खिलखिलाता फूल देता प्रेरणा।

(2) कर्म ही जीवन का आधार है। मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल की प्राप्ति होती है। जीवन में कर्म की ही प्रधानता है। यही कर्म हमारे संपूर्ण जीवन को परिभाषित करता है एवं उसे एक नया आयाम प्रदान करता है।

विभाग 4 – भाषा अध्ययन (व्याकरण) 14 अंक

प्रश्न 4.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
(1) निम्नलिखित वाक्य में अधोरेखांकित शब्द का शब्द-भेद पहचानकर लिखिए।
मैं अपने आप पुस्तक पढ़ लूँगा।

(2) निम्नलिखित में से किसी एक अव्यय का अपने वाक्य में प्रयोग करें।
(i) धीरे-धीरे
(ii) सामने

(3) तालिका पूर्ण कीजिए – (दो में से एक)

संधि संधि – विच्छेद भेद
———– दया + आनंद, ———–
नरेन्द्र ———– ———–

(4) निम्नलिखित में से एक वाक्य में सहायक क्रियाएँ पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए-
(i) तीन वार चोर बस से कूद पड़े।
(ii) मीठी हवा ने उन्हें सुला दिया।

सहायक क्रिया मूल क्रिया
___________ ___________

(5) किन्दी दो में से एक शब्द में प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए

क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) छिपना ___________ ___________
(ii) मिलना ___________ ___________

(6) निम्नलिखित मुहावरों में से एक मुहावरे का अर्थ लिखकर अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए-
(1) आँख का तारा
(2) कमर कसना

अथवा

अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरे का चयन कर वाक्य फिर से लिखिए।
(मुँह फेर लेना, विष का घूँट पीना)
परीक्षा में असफल होने पर राम ने श्याम से दूरी बना ली

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(7) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य में प्रयुक्त कारक चिह्न पहचानकर उसका भेद लिखिए-
(i) मुझे शेर को मारना है।
(ii) लक्ष्मी ने चारा खा लिया है।

(8) निम्नलिखित वाक्य में यथास्थान उचित विराम चिह्नों का प्रयोग करें-
मैंने कहा वाह बहुत अच्छे

(9) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए-
(i) रोने की आवाज से दिशाएँ गूँज उठती है। (सामान्य भूतकाल)
(ii) नक्शों से यह फायदा होता है। (सामान्य भविष्य काल)
(iii) मैं फल खा रहा हूँ। (अपूर्ण भूतकाल)

(10) (i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए-
विनय ने कहा था कि वह मुम्बई जाएगा।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए-
(1) विनय घर आएगा। (प्रश्नार्थक वाक्य)
(2) रमजानी चुप खड़ी आंगतुक की बातें सुनती रही। (संयुक्त वाक्य)

(11) निम्नलिखित में से दो वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए-
(i) राम एक गरिब लड़का है।
(ii) सीता एक अमिर लड़की है।
(iii) लक्ष्मी की आँख में आँसू आई।
उत्तर:
(1) (i) निजवाचक सर्वनाम।
(2) (i) बस धीरे-धीरे चलती है।
(ii) स्कूल के सामने एक बगीचा है।

(3)

संधि संधि – विच्छेद भेद
दयानंद दया + आनंद, दीर्घ संधि
नरेन्द्र नर + इन्द्र गुण संधि

(4)

सहायक क्रिया मूल क्रिया
(i) पड़े पड़ना
(ii) दिया देना

(5)

क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) छिपना छिपाना छिपवाना
(ii) मिलना मिलाना मिलवाना

(6) (i) (1) बहुत दुलारा – नीलम अपने पिता की आँख का तारा है।
(2) तैयार होना- अकाल का मुकाबला करने के लिए लोगों ने कमर कस ली।

अथवा

परीक्षा में असफल होने पर राम ने श्याम से मुँह फेर लिया।

(7) (i) कर्म कारक।
(ii) कर्त्ता कारक

(8) मैंने कहा, वाह! बहुत अच्छे!

(9) (i) रोने की आवाज से दिशाएँ गूँज उठीं।
(ii) नक्शों से यह फायदा होगा।
(iii) मैं फल खा रहा था।

(10) (i) मिश्रित वाक्य।
(ii) (1) विनय घर कब आएगा?
(2) रमजानी चुप खड़ी थी ओर आगंतुक की बातें सुन रही थी।

(11) (i) राम एक गरीब लड़का है।
(ii) सीता एक अमीर लड़की है।
(iii) लक्ष्मी की आँखों में आँसू आए।

विभाग 5- उपयोजित लेखन : 26 अंक

प्रश्न 5.
(अ) (1) पत्र लेखन
निम्नलिखित जानकारी पर आधारित पत्र लेखन कीजिए-
अमर कुमार, 20/A, मुंबई साऊथ से, बी. एम. सी. आयुक्त श्री अशोक मेहता 30/204, सी.एस.टी. स्टेशन के पास मुंबई को शहर में जलभराव से संबंधित एक औपचारिक पत्र लिखें।
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(2) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों-
सफलता या असफलता जीवन के दो पहलू हैं। व्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसी के अनुसार उसे फल मिलता है। मेहनतकश इंसान जीवन को सफल बना सकता है। आलसी व्यक्ति इस पृथ्वी पर एक बोझ की तरह होता है। अतः व्यक्ति को सदा कर्म पर ही ध्यान देना चाहिए। अच्छे कर्म से व्यक्ति को परम आनन्द की प्राप्ति होती है। ऐसे व्यक्ति परोपकारी होते हैं। समाज में परोपकारी व्यक्ति को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

(आ) (1) वृत्तांत लेखन-
केन्द्रीय विद्यालय, भांडुप में मनाए गए ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर लगभग 70-80 शब्दों में वृत्तांत लेखन कीजिए-
(वृतांत में स्थल, काल, घटना का होना अनिवार्य है।)

अथवा

कहानी लेखन-
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए तथा सीख लिखिए-
एक आदमी _________ भगवान _________ वरदान दिया _________ जन्म लिया। छोटा _________ हवा का झोंका _________ रात _________ तारे अच्छे लगते _________ बातें _________ दोनों की दोस्ती _________ फलदाय पेड़ _________ फल _________ तारे को भेजा, _________ प्रसन्न हुआ _________ खुश रहने लगे _________ मित्रता इसी प्रकार निभानी चाहिए।

(2) विज्ञापन लेखन-
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर केन्द्रीय विद्यालय, कोलीवाड़ा में आयोजित शुल्क रहित आँख की जाँच से संबंधित लगभग 50-60 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन बनायें।
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(इ) निबंध लेखन-
निम्नलिखित विषयों में किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों में निबंध लिखिए-
(1) यदि मैं प्रधानमंत्री होता।
(2) जल संचयन।
(3) मेरा प्रिय त्योहार।
उत्तर:
(अ) (1) पत्र – लेखन।
दिनांक : 02 जुलाई, 20XX
सेवा में,
माननीय आयुक्त,
बी. एम. सी. कार्यालय,
सी. एस. टी स्टेशन के पास,
मुंबई – 400020.
महाराष्ट्र।

विषय : मुंबई शहर में जल भराव की समस्या के संबंध में।

महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मुंबई शहर में हर एक साल अति वर्षा होने के कारण जगह-जगह जलभराव की समस्या हो गयी है, जिससे आम लोगों को काफी तकलीफ हो रही है।

बी. एम. सी. द्वारा किये गए उपाय नाकाफी हैं। अतः श्रीमान इस मुद्दे पर विशेष संज्ञान लेकर समस्या का जड़वत निराकरण करने की कृपा करें।
धन्यवाद!
भवदीय,
हस्ताक्षर
अमर कुमार,
20/A, साउथ मुंबई|

अथवा

सेवा में,
संपादक,
टाइम्स ऑफ इंडिया, मुंबई।

विषय : ‘पर्यावरण दिवस’ पर लेख प्रकाशित करने के संबंध में।

महोदय,

नम्र निवेदन है कि दिनांक 8 जून, 20XX को विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में यदि आपके सम्मनित समाचार पत्र से लेख प्रकाशित हो जाए तो यह सभी वर्ग के लोगों के लिए लाभप्रद साबित होगा।

पर्यावरण की स्थिति के मद्देनजर, सार्थक लेख जन-भागेदारी को बढ़ाकर पर्यावरण संरक्षण में काफी मददगार साबित होगा। आपके उत्तर की प्रतीक्षा में।
आदर सहित।
भवदीय,
हस्ताक्षर
अमेय गिरासे,
विद्यार्थी प्रतिनिधि,
लॉ कॉलेज, चर्चगेट, मुंबई

(2) गद्य आकलन – प्रश्न निर्मिति
(i) जीवन के दो पहलू कौन-कौन-से हैं?
(ii) व्यक्ति को किसके अनुसार फल मिलता है?
(iii) कौन जीवन को सफल बना सकता है?
(iv) कौन व्यक्ति पृथ्वी पर बोझ की तरह होता है?

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(आ) (1) वृत्तांत लेखन-
आज दिनांक 5 जून, 20XX को केन्द्रीय विद्यालय, भांडुप में, सुबह 11 बजे प्रधानाध्यापक महोदय की उपस्थिति में, ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती सुवि अग्रवाल, मेयर भांडुप ने अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किये। इस अवसर पर उपस्थित सभी मुख्य अतिथि एवं विद्यालय के सभी शिक्षकों सहित छात्र – छात्राओं ने पर्यावरण बचाने के शपथ ली।

अथवा

कहानी लेखन मित्रता
बात बहुत पुरानी है, एक आदमी ने पेड़ बनने हेतु घोर तपस्या की, भगवान प्रसन्न हो गए, भगवान ने उसे वरदान दिया, कुछ समय बाद उसने एक पौधे के रूप में जन्म लिया, छोटा सा पौधा, जब भी हवा का थोड़ा सा झोंका आता सकपका जाता, परन्तु वह हार नहीं मानता, रात होते ही वह बहुत प्रसन्न हो जाता, क्योंकि रात के तारे उसे बहुत अच्छे लगते, वह इन तारों से ढ़ेर सारी बातें कहता, तारे भी बहुत प्रसन्न होते। इस तरह दोनों की दोस्ती परवान होती गयी, समय बीता, पौधा अब बहुत फलदायक पेड़ बन गया। उसने अपना फल सबसे पहले अपने मित्र तारे को भेजा, तारा फल पाकर बेहद प्रसन्न हुआ, दोनों बेहद खुश रहने लगे, हमें भी अपनी मित्रता इसी प्रकार निभानी चाहिए।
सीख – सदैव सच्ची मित्रता निभानी चाहिए।

(2) विज्ञापन लेखन-
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(इ) निबंध लेखन
(1) यदि मैं प्रधानमन्त्री होता-
सभी का सपना होता है कि वह कुछ-न-कुछ बने और कुछ व्यक्ति तो साधारण पद पाकर भी खुशी से फूले नहीं समाते हैं और प्रधानमंत्री पद की तो बात ही क्या, वह सम्पूर्ण देश का राजा कहा जाता है तथा भाग्यवान लोग ही इस पद को प्राप्त करते रहे हैं।

फिर भी, यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो अपने देश की समस्याओं पर मसलन गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, आन्तरिक एवं बाह्य खतरे पर जबरदस्त काम करता, देश की नदियों को जोड़ने का काम करता, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधा का जाल बिछा देता।

यह बिल्कुल नहीं है कि सरकार इस पर काम नहीं करती, परन्तु उनके काम करने का तरीका सिर्फ वोट बैंक तक ही सीमित है और यह परंपरा किसी भी देश के लिए बेहद खतरनाक है। मैं ऐसे तत्वों को बढ़ावा देता जो हमारे देश के संविधान के कभी खिलाफ नहीं होते, मैं वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर देश की जनता को बता देता कि काम करना किसे कहते हैं।

काश! ऐसा हो पाता तो देश ही नहीं मेरा भी मन प्रफुल्लित हो जाता, परन्तु मैंने सोचा है कि मैं देश के लिए अपना योगदान आगे चलकर जरूर दूँगा, आप भी मुझे दुआ दीजिए ताकि यह कठिन काम मैं कर सकूँ।

(2) जल संचयन-
जल ही जीवन का आधार है। प्रकृति की तमाम प्यास सिर्फ जल ही बुझाता है। जल प्रकृति में संतुलन हेतु एक आवश्यक व अनिवार्य घटक है। यह हमारी सभ्यता का उद्गम बिन्दु है।

आज विश्व जल संकट से जूझ रहा है। प्राकृतिक रचनाओं का मानव ने इस प्रकार शोषण किया है कि आज जल स्रोत की सिर्फ कमी ही नहीं हुई अपितु उपलब्ध जल भी प्रदूषण की मार झेल रहा है।

विश्व व समाज की प्राथमिकता अब जल संचयन की तरफ अग्रसर है। सरकार व नागरिक इस बारे में ठोस पहल कर रहे हैं। आगे आने वाले समाज के लिए इसकी महत्ता और बढ़ गयी है। अतः हमें इसके संचयन के साथ ही विवेकपूर्ण उपयोग पर बल देना होगा।

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(2) मेरा प्रिय त्योहार-
दीपावली मेरा प्रिय त्योहार है। इसे दीपों का त्योहार भी कहा जाता है। यह कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पाँच दिन धनतेरस, छोटी दीवाली, दीवाली, अन्नकूट और भाईदौज तक मनाया जाता है।

इस त्योहार के आने से 2-3 महीने पहले से ही लोग अपने घरों की सफाई शुरू कर देते हैं। सुन्दर तरीके से घरों को सजाया जाता है। घर के लिए नई-नई वस्तुएँ खरीदी जाती हैं। नये कपड़े व जूते खरीदे जाते हैं। लोग इस त्योहार को हर्ष और उमंग के साथ मनाते हैं।

इस त्योहार को मनाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके सीताजी व लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आये थे। तब अयोध्यावासियों ने खुशी में पूरे नगर को दीपकों और फूलों से सजाया था। इसीलिए आज भी लोग अपने घरों को दीपकों और फूलों से सजाते हैं साथ ही विद्युत झालरों से भी सजाते हैं। चतुर्दशी को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था इसीलिए छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाते हैं। इसी दिन गौतम बुद्ध एवं महावीर स्वामी ने लम्बी तपस्या के बाद निर्वाण प्राप्त किया था।

इस दिन गणेश जी व लक्ष्मी जी की रात के समय खील, बताशे एवं मिठाई से पूजा होती है। मित्रों रिश्तेदारों को उपहार व मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं। दीपावली हर्ष उमंग का त्योहार है। अतः इसे प्रेम व भाइचारे से मनाना चाहिए। कुछ लोग जुआ खेलकर इस त्योहार की छवि खराब करते हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। प्रकाश का यह त्योहार सभी के जीवन में प्रकाश बनाये रखे और हमें यही प्रयत्न करना चाहिए।

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