Maharashtra Board Class 10 Hindi Sample Paper Set 1 with Answers

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Maharashtra Board Class 10 Hindi Model Paper Set 1 with Answers

[Time: 2 Hours]
[Max Marks : 100]

सूचनाएँ :-
(1) सूचना के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन, भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
(2) सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
(3) रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
(4) शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।

विभाग 1 – गद्य : 20 अंक

प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
तिवारी जी:
नागर जी, मैं आपको आपके लेखन के आरंभ काल की ओर ले चलना चाहता हूँ। जिस समय आपने लिखना शुरू किया, उस समय का साहित्यिक माहौल क्या था? किन लोगों से प्रेरित होकर आपने लिखना शुरू किया और क्या आदर्श थे आपके सामने?

नागर जी:
लिखने से पहले तो मैंने पढ़ना शुरू किया था। आरंभ में कवियों को ही अधिक पढ़ता था। सनेही जी, अयोध्यासिंह उपाध्याय की कविताएँ ज्यादा पढ़ीं। छापे का अक्षर मेरा पहला मित्र था। घर में दो पत्रिकाएँ मँगाते थे मेरे पितामह । एक ‘सरस्वती’ और दूसरी ‘गृहलक्ष्मी’ उस समय हमारे सामने प्रेमचंद का साहित्य था, कौशिक का था। आरंभ में बंकिम के उपन्यास पढ़े। शरतचंद्र को बाद में प्रभातकुमार मुखोपाध्याय का कहानी संग्रह ‘देशी और विलायती’ १९३० के आसपास पढ़ा। उपन्यासों में बंकिम के उपन्यास १९३० में ही पढ़ डाले। ‘आनंदमठ’, ‘देवी चौधरानी’ और एक राजस्थानी थीम पर लिखा हुआ उपन्यास, उसी समय पढ़ा था।

तिवारी जी:
क्या यही लेखक आपके लेखन के आदर्श रहे?

नागर जी:
नहीं, कोई आदर्श नहीं। केवल आनंद था पढ़ने का सबसे पहले कविता फूटी साइमन कमीशन के बहिष्कार के समय १९२८ – १९२९ में । लाठीचार्ज हुआ था। इस अनुभव से ही पहली कविता फूटी – ‘कब लौं कहाँ लाठी खाय’। इसे ही लेखन का आरंभ मानिए।
(1) नाम लिखिए-
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(2) लिखिए-
(i) लेखक ने शुरू में इन्हें पढ़ा …………………..
(ii) नागर जी के सामने इनका साहित्य था …………………..

(3) गद्यांश में ढूँढ़कर लिखिए-
(i) लिंग परिवर्तन ___________
(1) पितामही ___________
(2) सहेली ___________

(ii) परिच्छेद से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता-

(4) ‘वाचन व्यक्ति विकास का सोपान है’ अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।

(आ) पठित परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
सबसे पहले हम अंजुना बीच पहुँचे। गोवा में छोटे-बड़े करीब 40 बीच हैं, लेकिन प्रमुख सात या आठ ही हैं। अंजुना बीच नीले पानीवाला पथरीला बहुत ही खूबसूरत है। इसके एक ओर लंबी-सी पहाड़ी है, जहाँ से बीच का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। समुद्र तक जाने के लिए थोड़ा नीचे उतरना पड़ता है। नीला पानी काले पत्थरों पर पछाड़ खाता रहता है। पानी ने काट-काटकर इन पत्थरों में कई छेद कर दिए हैं जिससे ये पत्थर कमजोर भी हो गए हैं। साथ ही समुद्र के काफी पीछे हट जाने से कई पत्थरों के बीच में पानी भर गया है। इससे वहाँ काई ने अपना घर बना लिया है। फिसलने का डर हमेशा लगा रहता है, लेकिन संघर्षों में ही जीवन है, इसलिए यहाँ घूमने का भी अपना अलग आनंद है। यहाँ युवाओं का दल तो अपनी मस्ती में डूबा रहता है, लेकिन परिवार के साथ आए पर्यटकों का ध्यान अपने बच्चों को खतरों से सावधान रहने के दिशानिर्देश देने में ही लगा रहता है। मैंने देखा कि समुद्र किनारा होते हुए भी बेनालियम बीच तथा अंजुना बीच का अपना-अपना सौंदर्य है। बेनालियम बीच रेतीला तथा उथला है। यह मछुआरों की पहली पसंद है। यहाँ सुबह-सुबह बड़ी मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं, लेकिन मजे की बात यह है कि इतनी सारी मछलियाँ स्थानीय बाजारों में ही बेची जाती हैं।
(1) आकृति पूर्ण कीजिए-
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(2) उत्तर लिखिए-
गद्यांश में उल्लेखित बेनालियम बीच की विशेषताएँ-
(i) ……………
(ii) ……………

(3) (i) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
(1 ) ऊपर ……………
(2) साहस ……………

(ii) गद्यांश में अंग्रेजी शब्द र लिखिए-
(1) ……………
(2) ……………

(4) अपने देखे हुए किसी पर्यटन स्थल की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन 25 से 30 शब्दों में कीजिए।

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(इ) निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
जहाँ कोयल की मीठी वाणी सबका मन मोह लेती है, वहीं कौए की कर्कश आवाज किसी को अच्छी नहीं लगती। मधुर वचन न केवल सुनने वाले को, बल्कि बोलने वाले को भी आत्मिक शांति प्रदान करते हैं। मनुष्य अपनी सद्भावनाओं का अधिकांश प्रदर्शन वचनों द्वारा ही करता है। मधुर वचन तप्त और दुःखी व्यक्ति का सही और सच्चा उपचार है। सहानुभूति के कुछ शब्द उसे इतना सुख देते हैं जितना संसार का कोई धनकोष नहीं दे पाता। मधुरभाषी शीघ्र ही सबका मित्र बन जाता है। लोग उसकी प्रशंसा करते हैं। यहाँ तक कि पराए भी अपने बन जाते हैं। इससे समाज में पारस्परिक सौहार्द की भावना पैदा होती है, लोग एक-दूसरे की सहायता के लिए तत्पर हो जाते हैं। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा और श्रद्धा का आधार भी मधुर वाणी ही है। मधुर वचन किसी के मन को ठेस नहीं पहुँचाते, बल्कि दूसरे के क्रोध को शांत करने में सहायक होते हैं। मधुर वाणी में ऐसा आकर्षण है जो बिना रस्सी के सबको बाँध लेती है। अतः याद रखना चाहिए-
(1) उत्तर लिखिए-
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए।
औरन को सीतल करे, आपहुँ सीतल होए॥
गद्यांश के आधार पर मधुर वचन की विशेषताएँ लिखिए-
(i) ……………
(ii) ……………

(2) ‘शब्द शस्त्र के समान होते हैं उनका सावधानी से उपयोग करना चाहिए’ वचन पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
(अ) (1)
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(2) (i) बंकिम के उपन्यास
(ii) प्रेमचन्द और कौशिक का

(3) (i) (1) पितामह
(2) मित्र
(ii) क्या, केवल

(4) वाचन एक कला है। ज्ञान का स्रोत है। तमाम जानकारियों का पुलिंदा है। वाचन व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में समग्र सहायक होता है। वाचन हमें आंतरिकता की तरफ ले जाता है।

(आ) (1)
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(2) (i) रेतीला और उथला।
(ii) मछुआरों की पहली पसंद।

(3) (i) (1) नीचे
(2) डर
(ii) (1) बीच
(2) गोवा

(4) मुंबई का नरीमन प्वांइट, दक्षिणी मुंबई का एक बहुत ही खूबसूरत क्षेत्र है। इसे ‘क्वीन्स नेकलेस’ के नाम से भी जाना जाता है। शाम से लेकर रात तक यह क्षेत्र अपने चरम उत्साह और आनंद में रहता है। युवा लोगों की यह पहली पसंद है। इसके ठीक सामने ही राजभवन है। इनकी प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है।

(इ) मधुर वचन की विशेषताएँ
(i) मधुर वचन सबका मन मोह लेते हैं।
(ii) मधुर वचन आत्मिक शांति प्रदान करते हैं।

(2) शब्द शस्त्र से भी घातक होते हैं। शब्द की शक्ति सभी शक्तियों में सर्वोपरि है। इनके उपयोग की कला हमें महान बना सकती है और दुरुपयोग से व्यक्ति हँसी का पात्र बन जाता है। अतः हमें शब्दों का इस्तेमाल सोच-समझकर व सही जगह करना चाहिए।

विभाग 2 – पद्य : 12 अंक

प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।
वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य संतान।
जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व हमारा प्यारा भारतवर्ष।
(1) संजाल पूर्ण कीजिए-
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(2) पद्यांश में ढूँढ़कर लिखिए-
(i) ऐसे शब्द जिनका अर्थ निम्न शब्द हो-
(1) पवित्र अर्थ के लिए प्रयुक्त शब्द …………………..
(2) गरीब अर्थ के लिए प्रयुक्त शब्द …………………..
(ii) वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए-
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।
………………………………..
(3) प्रस्तुत पद्यांश की किन्हीं दो पंक्तियों का भावार्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।

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(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों न कोई
जाके सिर मोर मुकट, मेरो पति सोई
छोड़ दई कुल की कानि, कहा करिहै कोई?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक लाज खोई।
अँसुवन जल सचि-सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आनँद फल होई॥
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलाई।
भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी ‘मीरा’ लाल गिरिधर तारो अब मोही॥

(1) पद्यांश के आधार पर संबंध जोड़कर उचित वाक्य तैयार कीजिए:
(i) तकिया गुल्लक
(ii) बच्चों शून्य
कई
(1) …………………..
(2) …………………..

(2) (i) निम्नलिखित के लिए पद्यांश से शब्द कर लिखिए-
(1) दही मथने का बरतन …………………..
(2) साजन …………………..
(ii) पद्यांश में आए ‘ढिग’ शब्द के अलग-अलग अर्थ लिखिए-
(1) …………………..
(2) …………………..

(3) प्रथम दो पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए-
उत्तर:
(अ) (1)
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(2) (i) (1) पूत
(2) विपन्न
(ii) वचनों में सत्य, हृदयों में तेज, प्रतिज्ञाओं में रहती थी टेव।

(3) हमारे संचय में था दान ………… प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।
कवि कहते हैं कि भारतवासी सदा संचय करते हुए दान देते आए हैं, अतिथियों को देव का दर्जा दिया है, हमेशा अपने वचनों में सत्यता का ख्याल रखा है, हमारे हृदय में असीम तेज है और हम अपनी प्रतिज्ञा का निर्वाह करने में हमेशा अटल रहते हैं।

(आ) (1) (i) मेरे तकिये में रूई भरी हुई है।
(ii) बच्चों को गुल्लक पसंद है।
(2) (i) (1) मथनियाँ
(2) पति
(ii) (1) पास
(2) निकट

(3) प्रस्तुत गद्यांश में कवयित्री कहती हैं कि गिरी को धारण करने वो गाय के पालक श्री कृष्ण के अतिरिक्त मेरा दूसरा और कोई नहीं है। जिस श्री कृष्ण भगवान ने सिर पर मोर मुकुट धारण किया है, वही मेरे पति हैं।

विभाग 3 – पूरक पठन 8 अंक

प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
बिना मजदूरी के पेट भर भात पर काम करने वाला कारीगर ! दूध में कोई मिठाई न मिले तो कोई बात नहीं किन्तु बात में जरा भी झाला वह नहीं बरदाश्त कर सकता।

सिरचन को लोक चटोर भी समझते हैं। तली बघारी हुई तरकारी, दही की कढ़ी, मलाईवाला दूध, इन सबका प्रबंध पहले कर लो, तब सिरचन को बुलाओ, दुम हिलाता हुआ हाजिर हो जाएगा। खाने-पीने में चिकनाई की कमी हुई कि काम की सारी चिकनाई खत्म! काम अधूरा रखकर उठ खड़ा होगा- “आज तो अब अधकपाली दर्द से माथा टनटना रहा हैं थोड़ा-सा रह गया है, किसी दिन आकर पूरा कर दूँगा।” किसी दिन मानें कभी नहीं!

मोथी घास और पटरे की रंगीन शीतलपाटी, बाँस की तीलियों की झिलमिलाती चिक, सतरंगे डोर के मोढ़े, भूसी चुन्नी रखने के लिए मूँज की रस्सी के बड़े-बड़े जाले, हलवाहों के लिए ताल के सूखे पत्तों की छतरी टोपी तथा इसी तरह के बहुत से काम हैं जिन्हें सिरचन के सिवा गाँव में ओर कोई नहीं जानता। यह दूसरी बात है कि अब गाँव में ऐसे कामों को बेकाम का काम समझते हैं लोग बेकाम का काम जिसकी मजदूरी में अनाज या पैसे देने की कोई जरूरत नहीं। पेट भर खिला दो, काम पूरा होने पर एकाध पूराना-धुराना कपड़ा देकर विदा करो। वह कुछ भी नहीं बोलेगा।…….
(1) लिखिए-
गद्यांश में उल्लेखित सिरचन की पसंद की चीजें
(i) …………………..
(ii) …………………..

(2) ‘हस्तकला को बढ़ावा मिलना चाहिए’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।

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(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
अजी क्या कहिए, हाँ क्या कहिए।
जिस मिट्टी में लक्ष्मीबाई जी, जन्मी थीं झाँसी की रानी।
रजिया सुलताना, दुर्गावती, जो खूब लड़ी थीं मर्दानी।
जन्मी थी बीबी चाँद जहाँ, पद्मिनी के जौहर की ज्वाला।
सीता, सावित्री की धरती, जन्मी ऐसी-ऐसी बाला।
गर डींग जनाब उड़ाएँगे, तो मजबूरन ताने सहिए, ताने सहिए, ताने सहिए।
हम उस धरती की लड़की हैं….
यों आप खफा क्यों होती हैं, टंटा काहे का आपस में।
हमसे तुम या तुमसे हम बढ़-चढ़कर क्या रक्खा इसमें।

(1) सूचनानुसार लिखिए-
(i) ऐसी पंक्ति जिसमें लड़ाई का संदर्भ है।
…………………..
(ii) ऐसी पंक्ति जिसमें जौहर का संदर्भ है।
…………………..

(2) ‘देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
(अ) (1)
(i) मलाई का दूध।
(ii) खाने पीने में चिकनाई

(2) हस्तकला ग्रामीण जीवन का आर्थिक आधार है। यह ग्रामीण कलाकारों के पेट भरने का एक साधन है। हमें उन्हें उचित संरक्षण और प्रोत्साहन देना होगा ताकि यह कला जीवित रहे।

(आ) (1) (i) रजिया सुल्तान, दुर्गावती जो खूब लड़ी मर्दानी।
(ii) जन्मी थी बीबी चाँद जहाँ, पद्मिनी की जौहर की ज्वाला।

(2) नारी वैदिक काल से विश्व की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण का मजबूत आधार रही है। वैदिक से लेकर आधुनिक काल तक इनका त्याग, समर्पण, कला, चरित्र महान रहा है। विज्ञान, रक्षा, अंतरिक्ष, इत्यादि में भी इसकी अलग पहचान है। यह पूरा विश्व स्त्री शक्ति व इनकी सृजनता का हमेशा आभारी रहेगा।

विभाग 4 भाषा अध्ययन (व्याकरण) 14 अंक

प्रश्न 4.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए-
(1) अधोरेखांकित शब्द का भेद लिखिए-
इस वर्ष बड़ी भीषण गरमी पड़ रही थी।

(2) निम्नलिखित में से किसी एक अव्यय का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए-
(i) लेकिन
(ii) बहुत

(3) तालिका पूर्ण कीजिए – (दो में से एक)

संधि संधि विच्छेद भेद
विद्यालय ____ + ____
दु: + गति

(4) सहायक क्रियाएँ पहचानकर लिखिए – (दो में से एक)
(i) मैंने दरवाजा खोल दिया।
(ii) करामत अली की आँखों में आँसू उतर आए।

सहायक क्रिया मूल क्रिया
……………… ………………
……………… ………………

(5) ‘प्रथम’ तथा ‘द्वितीय’ प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए – (दो में से एक)

क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) काटना ……………… ………………
(ii) बोलना ……………… ………………

(6) निम्नलिखित में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए-
(i) फूट-फूटकर रोना
(ii) दृष्टि फेरना

अथवा

अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरे का चयन कर वाक्य फिर से लिखिए-
(सराहना करना, बोलबाला होना)
सुमधुर गायन सुनकर श्रोताओं ने गायक की प्रशंसा की

(7) निम्नलिखित वाक्य में किसी एक वाक्य में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए-
(i) कितने दिनों की छुट्टियाँ है?
(ii) अखबार में यह समाचार छपा है।

(8) वाक्य में यथास्थान विरामचिह्नों का प्रयोग कीजिए-
मैंने कराहते हुए पूछा मैं कहाँ हूँ

(9) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए-
(i) सादगी का आग्रह हुआ! (सामान्य भविष्यकाल)
(ii) गाड़ी अपनी गति से बढ़ रही थी। (सामान्य भूतकाल)
(iii) मैं पैसे लाया हूँ। (पूर्ण भूतकाल)

(10) (i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के अनुसार भेद लिखिए-
ये काम अकेले मेरे लिए कर पाना संभव नहीं है।
(ii) सूचना के अनुसार एक वाक्य का परिवर्तन कीजिए-
(1) तुम्हें अपना ख्याल रखना चाहिए। (आज्ञार्थक वाक्य )
(2) मास्टर जी ने पुस्तकें लाने के लिए पैसे दिए। (प्रश्नवाचक)

(11) वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए- (तीन में से दो)
(i) एक दीन श्याम का वक्त था।
(ii) मैं मेरा देश को प्रेम करता हूँ।
(iii) राम ने हिरण का शिकार की।
उत्तर:
(1) (i) गुणवाचक विशेषण।
(2) (i) चाँद निकला लेकिन शीतलता नहीं मिली।
(ii) प्रयाग बहुत थक गया था।

(3)

संधि संधि विच्छेद भेद
(i) विद्यालय विद्या + आलय दीर्घ संधि
(ii) दुर्गति दुः + गति दीर्घ संधि

(4)

सहायक क्रिया मूल क्रिया
(i) दिया देना
(ii) जाय आना

(5)

क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक रूप द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) काटना कटना कटवाना
(ii) बोलना बुलाना बुलवाना

(6) (i) जोर-जोर से रोना – परीक्षा में असफल होने पर श्याम फूट-फूट कर रोने लगा
(ii) नेताजी ने तोताओं पर दृष्टि फेर ली।

अथवा

बोलवाला होना – मराठी नाटकों का महाराष्ट्र में फिल्मों की अपेक्षा अधिक बोलबाला है।
सराहना करना – सुमधुर गायन सुनकर श्रोताओं ने गायक की सराहना की

(7) (i) संबंध कारक
(ii) अधिकरण कारक

(8) मैंने कराहते हुए पूछा, मैं कहाँ हूँ?

(9) (i) सादगी का आग्रह होगा।
(ii) गाड़ी अपनी गति से बढ़ गयी।
(iii) मैं पैसे लाया था।

(10) (i) संयुक्त वाक्य।
(ii) (1) तुम अपना ख्याल रखो।
(2) क्या मास्टर जी ने पुस्तकें लाने के लिए पैसे दिए?

(11) (i) एक दिन शाम का वक्त था।
(ii) मैं अपने देश से प्रेम करता हूँ।
(iii) राम ने हिरन का शिकार किया।

विभाग 5- उपयोजित लेखन : 26 अंक

प्रश्न 5.
(अ) (1) पत्र लेखन:
निम्नलिखित जानकारी पर आधारित पत्र लेखन कीजिए-
अमेय/अमेया त्रिवेदी, 9, मयूर कॉलोनी, नाशिक से अपने मित्र/सहेली समीर/समीरा पाटील 3/37 आनंद नगर, संगमनेर को उसके जन्मदिन के कार्यक्रम में शामिल न होने का कारण बताते हुए पत्र लिखता / लिखती है।

अथवा

शिवाजी विद्यालय, रत्नागिरी, विद्यार्थी प्रतिनिधि के नाते ‘स्वच्छ गाँव, सुन्दर गाँव’ योजना के अन्तर्गत लेख प्रकाशित करने हेतु, संपादक, ‘जागृति’, रत्नागिरी को पत्र लिखिए।

(2) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर परिच्छेद में एक-एक वाक्य में हों।
आज के युग में विद्यार्थी उस प्रकार अपने गुरु का सान्निध्य नहीं पाता, स्नेह तथा वात्सल्य नहीं पाता, जैसा प्राचीन काल में पाता था और निर्देश देने के लिए भी गुरु के पास कुछ नहीं है। आज की स्थिति सुखद नहीं है। हमारे विद्यार्थी कहाँ जाएँगे, क्या करेंगे- हम नहीं जानते । अध्यापकों ने, जो बन सका आपको योग्यता दी। आप अपना कर्म क्षेत्र बना सकते हैं, लेकिन एक बात आज भी हम देंगे। वह जो यज्ञ की ज्वाला हुआ करती थी, उसके प्रतीक रूप में आपके हृदय में हम वह ज्वाला जगा देना चाहते हैं जो जीवन की होती है, जो वास्तव में जीवन को गढ़ती है, नया जीवन देती है। वह ज्ञान की ज्वाला हम अपनी समस्त शुभकामनाओं के साथ, आज भी आपको दे सकते हैं।

हमारा अत्यंत प्राचीन देश है और हमारी संस्कृति भी अत्यंत प्राचीन है। प्राचीन संस्कृति वाले देशों के सामने समस्याएँ कुछ दूसरी हुआ करती हैं। जिनकी संभाव्यता कुछ ही युगों की है, कुछ ही वर्षों की है, नवीन है, उनके पास बहुत कुछ खाने बदलने को नहीं है और खाने बदलने से उनकी कुछ हानि भी नहीं होती।

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(आ) (1) वृत्तांत लेखन:
समता विद्यालय, फुले नगर में मनाए गए ‘बालिका दिवस समारोह का लगभग 60 से 80 शब्दों में वृत्तांत लेखन कीजिए। (वृत्तांत में स्थल, काल, घटना का होना अनिवार्य है।)
कहानी लेखन:

अथवा

निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर लगभग 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखिए-
एक गाँव ______________ कुटिया बनाकर ______________ वह जब भी नाचता ______________ गाँव के लोगों को ______________ तो वे नदी किनारे ______________ जब वे नाचने लगते ______________ ।

कुछ दिन बाद ______________ किसी साधु के नाचने ______________। शहरी पढ़ाई-लिखाई ______________ चुनौती दे दी ______________ | यदि हमारे ______________ तो साधु के नाचने ______________। वह तुम ______________ रहा है। फिर क्या था ______________ लड़कों ने ______________।

(2) विज्ञापन लेखन:
‘आदर्श विद्यालय’, औरंगाबाद में आयोजित विदेशी भाषा संभाषण वर्ग के सम्बन्ध में लगभग 60 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
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(इ) निबंध लेखन:
निम्नलिखित विषयों में किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए-
(1) यदि इंटरनेट (अंतरजाल) न होता ………….
(2) विद्यार्थी और अनुशासन
(3) आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।
उत्तर:
(अ) (1) पत्र लेखन
दिनांक : 08/07/20XX
प्रति,
समीर/समीरा पाटील,
3/37, आनंद नगर,
संगमनेर।
प्रिय समीर/समीरा पाटील,
मुझे दुःख है कि अति आवश्यक पारिवारिक कारणों से मैं तुम्हारे जन्मदिवस पर उपस्थित नहीं हो पाया / पायी। आशा है, तुम मेरी मजबूरी समझोगे/समझोगी अगले जन्मदिन पर मैं जरूर आऊँगा / आऊँगी। अपने माता-पिता को मेरा चरण – स्पर्श कहना । तुम्हारा / तुम्हारी अभिन्न मित्र/सहेली,
हस्ताक्षर
(अमेय / अमेया त्रिवेदी),
9, मयूर कॉलोनी, नाशिक।

अथवा

दिनांक : 06 जून 20XX
लेवा मैं.
संपादक महोदय,
जाति, रत्नागिरि,
महाराष्ट्र।

विषयः ‘स्वच्छ गाँव सुंदर गाँव’ योजना के तहत लेख प्रकाशित करने के संबंध में।

महोदय,
नम्र निवेदन है कि जिला परिषद, रत्नागिरि की तरफ से उपर्युक्त विषय पर आयोजित किये जाने वाले दिनांक 08 जून, 20XX के कार्यक्रम के संदर्भ से यदि आपके सम्मानित समाचार पत्र में लेख छापा जाए तो पूरा रत्नागिरि क्षेत्र इससे बेहद लाभान्वित होगा।

आशा है आप इसे प्रमुखता से अपने समाचार-पत्र में स्थान देकर हम सभी को कृतज्ञ करेंगे।
आदर सहित उत्तर की प्रतीक्षा में।
भवदीय,
हस्ताक्षर
अमेय पाटील,
विद्यार्थी प्रतिनिधि,
शिवाजी विद्यालय, रत्नागिरि।

(2) गद्य आकलन
(1) आज के विद्यार्थी और शिक्षक में क्या अन्तर है?
(2) विद्यार्थी और शिक्षकों के संबंधों की स्थिति आज कैसी है?
(3) नया जीवन कौन देता है?
(4) हमारा देश कैसा है?

(आ) (1) वृत्तांत लेखन
दिनांक 05 जून, 20XX को, समता विद्यालय, फुले नगर में, ‘बालिका दिवस’ का सफलतापूर्वक आयोजन, विद्यालय प्रबंधन के द्वारा किया गया इस ‘बालिका दिवस’ के शुभ अवसर पर महिला सशक्तिकरण उत्थान जैसे संवेदनशील मुद्दे पर अतिथि वक्ताओं ने अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किये। एक ‘संकल्प पत्र’ भी पारित हुआ जिसमें बाल-विवाह, विधवा-विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने हेतु शपथ ली गयी। इस कार्यक्रम को उपस्थित सभी दर्शकों ने बेहद सराहा।

अथवा

कहानी
साधु की सीख
एक गाँव के समीप नदी किनारे कुटिया बनाकर एक साधु रहा करता था। वह जब भी नाचता तो बारिश होती थी। अतः गाँव के लोगों को जब भी बारिश की जरूरत होती थी, तो वे नदी किनारे साधु की कुटिया में जाते और उनसे अनुरोध करते की वे नाचें और जब वे नाचने लगते तो बारिश जरूर होती।

कुछ दिनों बाद चार लड़के गाँव में घूमने आये जब उन्हें यह बात मालूम हुई कि किसी साधु के नाचने से बारिश होती है तो उन्हें यकीन न हुआ। शहरी पढ़ाई-लिखाई के घमंड में उन्होंने गाँव वालों को चुनौती दे दी कि हम भी नाचेंगे और बारिश होगी। यदि हमारे नाचने से बारिश नहीं हुई तो साधु के नाचने से भी नहीं होगी। वह तुम अज्ञानी लोगों को मूर्ख बना रहा है। फिर क्या था, अगले दिन सुबह-सुबह ही गाँव वाले नदी किनारे साधु की कुटिया पर पहुँच गये।

साधु को सारी बात बताई गई। लड़कों ने एक-एक कर नाचना शुरू किया। वे आधे घण्टे में ही थककर बैठ गये। उसके बाद साधु ने नाचना शुरू किया। एक घंटा, दो घण्टा बीत गए पर बारिश नहीं हुई, शाम हो गई और रात भी गहराने लगी। अचानक बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी, बिजली चमकी और बारिश होने लगी। तब लड़कों को अपनी असफलता का एहसास हुआ और वह साधु के समक्ष नतमस्तक होकर पूछने लगे कि बाबा, “ऐसा क्यों हुआ कि हमारे नाचने से बारिश नहीं हुई और आपके नाचने से बारिश हो गई।

तब साधु ने उन्हें ज्ञान दिया कि जब मैं नाचता हूँ तो यही सोचता हूँ कि बारिश होगी और मैं तब तक नाचता रहूँगा जब तक बारिश न हो जाए।

उन चारों घमंडी लड़कों को वहीं से ज्ञान मिला कि यदि सफलता चाहते हो तो उस चीज को तब तक करते रहो जब तक कि उसमें सफल न हो जाओ।

(2) विज्ञापन लेखन
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(इ) निबंध लेखन
(1) यदि इंटरनेट न होता – कमाल हो जाता यदि इन्टरनेट नहीं होता कारण साफ है, हम विश्व में होने वाले तमाम परिवर्तनों को तुरंत नहीं समझ पाते। ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, कला, अंतरिक्ष, वानिकी, सामुद्रिक जीवन की जानकारी आज सिर्फ एक बटन के माध्यम से तुरंत उपलब्ध है, वह न हो पाती।

इंटरनेट आधुनिक युग की युगांतकारी घटना है। इसने हमारे सामाजिक-आर्थिक परिवेश को भी बदल दिया है। सूचना तंत्र का जा बिछाकर त्वरित सूचना तंत्र विकसित कर इसने जीवन को एक अलग ही आयाम दिया है। इसलिए इंटरनेट का होना नितांत आवश्यक है।

जीवन में इंटरनेट का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। यदि हम ऐसा करापाए तो हमारा जीवन सार्थक होगा।

(2) विद्यार्थी और अनुशासन – अनुशासन ही जीवन को महान बनाता है। यदि व्यक्ति ज्यादा ज्ञानी न भी हो, परन्तु अनुशासित हो तो उसे सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता।

अनुशासन से मन, कर्म व वचन पर संयम रखने में मदद मिलती है। सही-गलत, आचार-विचार इत्यादि पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

यह हमें निबलता से सबलता की ओर अग्रसर करता है। हमारे जीवन के आयामों को सही दिशा देकर उन्हें परिभाषित करता है। हमें अनुशासन का पाठ बचपन से ही पढ़ना होगा और जीवन के समस्त क्षेत्रों में इसका अनुकरण करना होगा।

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(3) समय बड़ा बलवान – समय की शक्ति से सभी भली-भाँति परिचित हैं। बड़े-बड़े विजेताओं की भी समय के सामने एक सही चल पाई। कईयों को चित करने वाले पहलवान समय के सामने चित हो गये। बहुतों को शुभ मुहूर्त बताने वाले ज्योतिषाचार्य अपना अशुभ मुहूर्त न टाल सके। सचमुच समय के बल को कोई जान नहीं पाया। इसीलिए कबीर ने ‘पल में प्रलय होय’ कहकर लोगों को आवश्यक कार्य समय रहते कर लेने की सुनहरी सलाह दी है।

राजाओं की सेना देखी जा सकती है। सेना की शक्ति हथियार और मनुष्य बल के रूप में देखी जा सकती है। परन्तु समय की शक्ति तो इनसे भी परे है। इसकी सेना किसी को भी नजर नहीं आती। इसके बल का आंकलन नहीं किया जा सकता। पर यह कब, कहाँ और कैसे आक्रमण करेगा, इसे जानना किसी के बस की बात नहीं।

यदि समय से लड़ने की शक्ति होती तो सिकन्दर का विश्व विजय करने का सपना अधूरा नहीं रह जाता। यदि समय को जीतने की शक्ति होती तो हिटलर को पराजित होकर एकान्त में मृत्यु स्वीकार न करनी पड़ती। जिनको समय ने साथ दिया वे ही सफल हुए। कहावत है कि ‘वक्त मेहरबान तो गधा पहलवान।’ समय राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है। समय व्यक्ति को अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुँचा देता है। समय का साथ पाकर जर्रा भी सितारा बन जाता है। कपूत’ समय के साथ ‘सपूत’ बन जाते हैं। गुमनामी के अन्धकार में जीने वाले प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँच जाते हैं। कितने कवियों को समय ने महाकवि, वीरों को महावीर और अज्ञानी को ज्ञानी बना दिया।

अगर समय बलवान है तो सबको लाभ मिला है। समय के सामने कईयों ने घुटने टेके, कई नतमस्तक हुए इसलिए समय का सत्कार करें दुत्कार नहीं। समय का सदुपयोग करें दुरुपयोग नहीं, समय की महत्ता को स्वीकार करें।

SSC Maharashtra Board Hindi Question Paper with Answers

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