Maharashtra State Board Class 12th Hindi Question Paper 2023 with Solutions Answers Pdf Download.
Class 12 Hindi Question Paper 2023 Maharashtra State Board with Solutions
विभाग – १ गद्य (अंक-२०)
कृति १ (अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)
संयोग से तभी उन्हें कहीं से तीन सौ रुपए मिल गए। वही पूँजी मेरे पास जमा करके उन्होंने मुझे अपने खर्च का बजट बना देने का आदेश दिया। जिन्हें मेरा व्यक्तिगत हिसाब रखना पड़ता है, वे जानते हैं कि यह कार्य मेरे लिए कितना दुष्कर है। न वे मेरी चादर लंबी कर पाते हैं; न मुझे पैर सिकोड़ने पर बाध्य कर सकते हैं; और इस प्रकार एक विचित्र रस्साकशी में तीस दिन बीतते रहते हैं।
पर यदि अनुत्तीर्ण परीक्षार्थियों की प्रतियोगिता हो तो सौ में से दस अंक पाने वाला भी अपने-आपको शून्य पाने वाले से श्रेष्ठ मानेगा।
अस्तु, नमक से लेकर नापित तक और चप्पल से लेकर मकान के किराए तक का जो अनुमानपत्र मैंने बनाया; वह जब निराला जी को पसंद आ गया, तब पहली बार मुझे अर्थशास्त्र के ज्ञान पर गर्व हुआ। पर दूसरे ही दिन से मेरे गर्व की व्यर्थता सिद्ध होने लगी। वे सवेरे ही पहुँचे ।
पचास रुपए चाहिए ….. किसी विद्यार्थी का परीक्षा शुल्क जमा करना है, अन्यथा वह परीक्षा में नहीं बैठ सकेगा। संध्या होते-होते किसी साहित्यिक मित्र को साठ देने की आवश्यकता पड़ गई। दूसरे दिन लखनऊ के किसी ताँगे वाले की माँ को चालीस का मनीऑर्डर करना पड़ा। दोपहर को किसी दिवंगत मित्र की भतीजी के विवाह के लिए सौ देना अनिवार्य हो गया। सारांश यह कि तीसरे दिन उनका जमा किया हुआ रुपया समाप्त हो गया और तब उनके व्यवस्थापक के नाते यह दान खाता मेरे हिस्से आ पड़ा।
(१) संजाल पूर्ण कीजिए: (२)
उत्तर:
(२) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में आए हुए विलोम शब्द लिखिए: (२)
(१) वियोग × ………..
उत्तर:
वियोग – संयोग
(२) उत्तीर्ण × ………..
उत्तर:
उत्तीर्ण – अनुत्तीर्ण
(१) नापसंद × ………..
उत्तर:
नापसंद – पसंद
(२) अज्ञान × ………..
उत्तर:
अज्ञान – ज्ञान
(३) ‘जीवन में मित्रों का महत्त्व’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
उत्तर:
विद्यार्थी जीवन महत्त्वपूर्ण समय होता है। इस अवस्था में मित्रता पर निर्भर होता है कि विद्यार्थी चाहे तो अच्छा इन्सान बन सकता है या बिगड़ भी सकता है। इस विकास की अवस्था में मित्रता का अच्छा-बुरा प्रभाव विद्यार्थी पर पड़ता है।
विद्यार्थी जीवन में मित्रता का रिश्ता सच्चा होता है। रिश्तेदारों से भी बढ़कर इस अवस्था में मित्र होते हैं। हमारे सारे रहस्य हम उनको बिना झिझक बता सकते हैं। सच्चे मित्र हमें अच्छे-बुरे में फर्क समझाते हैं। कठिन प्रसंग में सहायता करके हमें संकट से बाहर निकालते हैं। कभी-कभी उनके शब्दों का आधार भी औषधियों की तरह काम करता है।
इसलिए विद्यार्थी जीवन में अच्छे और सच्चे मित्र की जरूरत होती है। विद्यार्थी जीवन में इसी कारण ‘मित्रता का महत्त्व’ अनगिनत होता है।
(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए : (६)
सुनो सुगंधा ! तुम्हारा पत्र पाकर खुशी हुई। तुमने दोतरफा अधिकार की बात उठाई है, वह पसंद आई। बेशक, जहाँ जिस बात से तुम्हारी असहमति हो; वहाँ तुम्हें अपनी बात मुझे समझाने का पूरा अधिकार है। मुझे खुशी ही होगी तुम्हारे इस अधिकार प्रयोग पर। इससे राह खुलेगी और खुलती ही जाएगी। जहाँ कहीं कुछ रुकती दिखाई देगी वहाँ भी परस्पर आदान-प्रदान से राह निकाल ली जाएगी। अपनी-अपनी बात कहने-सुनने में बंधन या संकोच कैसा ?
मैंने तो अधिकार की बात यों पूछी थी कि मैं उस बेटी की माँ हूँ जो जीवन में ऊँचा उठने के लिए बड़े ऊँचे सपने देखा करती है; आकाश में अपने छोटे-छोटे डैनों को चोड़े फैलाकर ।
धरती से बहुत ऊँचाई में फैले इन डैनों को यथार्थ से दूर समझकर भी मैं काटना नहीं चाहती। केवल उनकी डोर मजबूत करना चाहती हूँ कि अपनी किसी ऊँची उड़ान में वे लड़खड़ा न जाएँ। इसलिए. कहना चाहती हूँ कि ‘उड़ो बेटी, उड़ो, पर धरती पर निगाह रखकर ‘ कहीं ऐसा न हो कि धरती से जुड़ी डोर कट जाए और किसी अनजाने अवांछित स्थल पर गिरकर डैने क्षत-विक्षत हो जाएँ । ऐसा नहीं होगा क्योंकि तुम एक समझदार लड़की हो। फिर भी सावधानी तो अपेक्षित है ही ।
यह सावधानी का ही संकेत है कि निगाह धरती पर रखकर उड़ान भरी जाए। उस धरती पर जो तुम्हारा आधार है-उसमें तुम्हारे परिवेश का, तुम्हारे संस्कार का तुम्हारी सांस्कृतिक परंपरा का, तुम्हारी सामर्थ्य का भी आधार जुड़ा होना चाहिए। हमें पुरनी जर्जर रुढ़ियों को तोड़ना है, अच्छी परंपराओं को नहीं।
(१) आकृति पूर्ण कीजिए: (२)
उत्तर:
(२) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में आए हुए समानार्थी शब्द ढूँढ़कर लिखिए: (२)
(१) आनंद – ………..
उत्तर:
आनंद – खुशी
(१) नभ – ………..
उत्तर:
नभ – आकाश
(१) पुत्री – …………………..
उत्तर:
पुत्री – बेटी
(१) सजगता – ………….
उत्तर:
सजगता – सावधानी
(३) “वर्तमान पीढ़ी के युवक-युवतियों का जीवन के प्रति बदला दृष्टिकोण’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
उत्तर:
युवा वर्ग किसी भी समाज व देश के लिए आशा की किरण होता है। देशवासी युवाओं में देश का भविष्य देखते हैं । परंतु आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों को काट फेंकना चाहती है क्योंकि वह पश्चिमी संस्कृति के पीछे दीवानी हो रही है। युवा पीढ़ी कर्तव्य – पालन के समय अन्य देशों के उदाहरण दिया करती है। वहाँ युवक-युवती प्रारंभ से ही अपनी अलग गृहस्थी बसा लेते हैं। परंतु ये लोग इस तथ्य को नकार देते हैं कि वहाँ बहुत छोटी अवस्था से ही किशोर-किशोरी स्वावलंबी हो जाते हैं। वे अपने पोषण के लिए माता-पिता पर निर्भर नहीं करते। प्रत्येक संस्कृति के जीवन मूल्य अलग होते हैं। भारतीय युवाओं को यह तथ्य समझना चाहिए।
(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग ८० से १०० शब्दों में लिखिए (कोई दो) : (६)
(१) ‘आदर्श बदला’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
‘आदर्श बदला’ इस प्रस्तुत कहानी में लेखक ने ‘बदला’ इस शब्द को अलग ढंग से प्रस्तुत किया है। इस ‘बदला’ का अर्थ अच्छाई से सामने वाले को परिवर्तित करना है।
बैजू बावरा ने बाबा हरिदास से बारह वर्षों तक संगीत की शिक्षा पूरी ली। संगीत की हर प्रकार की बारीकियाँ सीखकर पूर्ण गंधर्व के रूप में तैयार हुआ।
अपने पिता को मृत्युदंड देने के पश्चात् बैजू विक्षिप्त हो गया था। उनके मन में बदला लेने की भूख थी। वह अपनी कुटिया में विलाप कर रहा था। तब बाबा हरिदास ने कुटिया में आकर उसका ढाँढस बँधाया। बाबा हरिदास ने बैजू को उस वक्त वचन दिया था कि वे उसे हथियार देंगे, जिससे वह अपने पिता की मौत का बदला ले सकता है। परन्तु संगीत की शिक्षा देते समय यह वचन भी ले लिया था कि ‘वह राग – विद्या या संगीत से किसी को हानि नहीं पहुँचाएगा।’
कुछ समय के पश्चात् जब बैजू आगरा की सड़कों पर गाता हुआ जा रहा था, तब वहाँ गाने के नियम के अनुसार उसे बादशाह के समक्ष पेश किया जाता है। शर्त के अनुसार तानसेन और बैजू बावरा के बीच संगीत प्रतियोगिता होती है। प्रतियोगिता में तानसेन बुरी तरह पराजित हो जाता है। तब तानसेन बैजू बावरा से अपने ज्ञान की भीख माँगता, उसके पैरों पर गिर जाता है। जब बैजू अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उसे प्राणदंड दिलवा सकता था ।
परन्तु बैजू बावरा ने बदला नहीं लिया उसकी जान बख्श दी। उसने कहा कि जो निष्ठुर नियम बनवाया है उस नियम को मिटा दिया जाये। जिसके अनुसार आगरा की सीमाओं में किसी को गाने और तानसेन की जोड़ का न होने पर मृत्युदंड दिया जाना था। इस प्रकार बैजू बाबरा ने तानसेन का गर्व नष्ट कर दिया। अनोखा बदला लेकर पराजित कर दिया था। यह एक आदर्श बदला था। इसलिए ‘आदर्श बदला’ यह शीर्षक इस कहानी के लिए उपयुक्त है।
(२) ‘पाप के चार हथियार’ पाठ का संदेश लिखिए।
उत्तर:
‘पाप के चार हथियार’ इस निबंध में लेखक कन्हैयालाल मिश्र जी ने प्रत्येक युग में समाज में होने वाली ज्वलंत समस्या और उसे दूर करने वाले समाज सुधारकों का वर्णन विचारात्मक रूप से किया है। हर युग में समाज में व्याप्त समस्याओं से समाज को बचाने के लिए दार्शनिक, विचारक, संत, महापुरुष जैसे- सुधारक जन्म लेते हैं। परन्तु समाज से यह विडंबना पूरी तरह समाप्त नहीं होती। क्योंकि लोग उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते। लोग उसकी अवहेलना, निंदा करते हैं। कई सुधारकों को अपनी जान तक गँवानी पड़ती है । मृत्यु के पश्चात् उसके विचारों और कार्यों का गुणगान करके उसके स्मरण में स्मारक और मंदिर बनाते हैं।
परन्तु पाप के चार हथियार इन विडंबनाओं को पूरी तरह मुक्त नहीं कर पाते। वे हथियार हैं- उपेक्षा, निंदा, हत्या और श्रद्धा इसी कारण समाज वैसे ही चलता जा रहा है। महान सुधारकों के कार्य में सक्रिय न होते हुए मृत्यु पश्चात् स्मारक बनवाने वाले उनके विचार आत्मसात नहीं करते। उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए तभी समाज में अच्छा परिवर्तन होगा। यही संदेश लेखक कन्हैयालाल मिश्र यहाँ देना चाहते हैं और तभी समाज में व्याप्त विडंबनाओं से समाज मुक्त होगा।
(३) ‘मनुष्य के स्वार्थ के कारण रिश्तों में आई हुई दूरी पर अपने विचार ‘कोखजाया’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
स्वार्थ इंसान को मतलबी बना देता है। स्वार्थी व्यक्ति को केवल अपना स्वार्थ दिखाई देता है। स्वार्थ लोभ को बढ़ाता है। स्वार्थी मनुष्य सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है, किस तरह से खुद का फायदा होगा, इसी सोच में वह डूबा रहता है। वह दूसरों के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचता ।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। रिश्ते सामाजिक संबंधों का आधार हैं। संस्कारों की कमी, निहित स्वार्थ और भौतिकवादी सोच व्यक्ति को क्रूर बना रहे हैं। पैसों की होड़, मनुष्य में काफी बदलाव आया है। मनुष्य के निजी स्वार्थ के कारण पारिवारिक रिश्तों में काफी गिरावट आई है।
दो लोगों के बीच में पारस्परिक हितों का होना, बनना और बढ़ना रिश्तों को न केवल जन्म देता है, बल्कि एक मजबूत नींव भी प्रदान करता है। जैसे ही पारस्परिक हित निजी हित या स्वार्थ में बदल जाता है। रिश्तों में ग्रहण लगना शुरू हो जाता है। पारस्परिक हित में अपने हित के साथ-साथ दूसरे के हित का भी समान रूप से ध्यान रखना चाहिए है।
(ई) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का मात्र एक वाक्य में उत्तर लिखिए (कोई दो) : (२)
(१) हिंदी के कुछ आलोचकों द्वारा महादेवी वर्मा को दी गई उपाधि का नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्दी के कुछ आलोचकों द्वारा महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा की उपाधि मिली है।
(२) आशारानी व्होरा जी के लेखन कार्य का प्रमुख उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
आशारानी व्होरा जी के लेखन कार्य का प्रमुख उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रही महिलाओं के जीवन संघर्ष को चित्रित करना और वर्तमान नारी वर्ग के सम्मुख उनके आदर्श प्रस्तुत करना है।
(३) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर जी’ के किन्हीं दो निबंध संग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर जी’ के दो निबंध संग्रहों के नाम हैं-
(१) जिंदगी मुस्कराई
(२) बाजे पायलिया के घुँघरू
(३) जिंदगी लहलहाई
(४) महके आँगन – चहके द्वार
(४) ‘कोखजाया’ कहानी के हिन्दी अनुवादक का नाम लिखिए।
उत्तर:
‘कोखजाया’ कहानी के हिन्दी अनुवादक का नाम बैद्यनाथ झा है।
विभाग – २ पद्य (अंक-२०)
कृति २
(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)
अपने हृदय का सत्य, अपने-आप हमको खोजना ।
अपने नयन का नीर, अपने आप हमको पोंछना ।
आकाश सुख देगा नहीं
धरती पसीजी है कहीं !
हर एक राही को भटककर ही दिशा मिलती रही।
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
बेकार है मुस्कान से ढकना हृदय की खिन्नता ।
आदर्श हो सकती नहीं, तन और मन की भिन्नता ।
जब तक बँधी है चेतना
जब तक प्रणय दुख से घना
तब तक न मानूँगा कभी, इस राह को ही मैं सही ।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं।
(१) उत्तर लिखिए: (२)
(i) हमें हृदय की इस बात को खोजना है..
उत्तर:
हमें हृदय की इस बात को खोजना है – सत्य ।
(ii) हर एक राही को भटककर मिलती है..
उत्तर:
हर एक राही को भटककर मिलती है- दिशा ।
(iii) इसे मुस्कान से ढकना बेकार है..
उत्तर:
इसे मुस्कान से ढकना बेकार है हृदय की खिन्नता ।
(iv) यह आदर्श नहीं हो सकती है…..
उत्तर:
यह आदर्श नहीं हो सकती है- तन और मन की भिन्नता
(२) निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निकालकर पद्यांश में आए हुए मूल शब्द ढूँढ़कर लिखिए: (२)
(१) सत्यता – …………
उत्तर:
सत्यता – सत्य
(२) सुखी – ………
उत्तर:
सुखी – सुख
(३) राही – ……….
उत्तर:
राही – राह
(४) मुस्कराहट –
उत्तर:
मुस्कराहट – मुस्कान
(३) ‘संघर्ष करने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफल होता है’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में
लिखिए। (२)
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने संघर्ष को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। कवि ने संघर्ष के बिना जीवन अधूरा मानकर संघर्ष को ही सच माना है। दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक वे जो सामान्य जीवन जैसा ही वैसे जीना पसंद करते हैं और आगे बढ़ने के लिए किए जाने वाले उठा-पटक को पसंद नहीं करते। दूसरे प्रकार के लोग संघर्ष का रास्ता चुनकर अपना निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने में लग जाते हैं।
इस प्रकार के लोगों का जीवन बहुत कठिन होता है। ऐसे लोग आने वाले संकट या रूकावट का सामना हँसते-हँसते कर लेते हैं।
जिस मनुष्य ने हार कर जीत लिया है, वही मनुष्य सच्चा कहलाता है । कवि के मतानुसार जो मनुष्य चुपचाप अपने मन से लड़ता रहता है, जो भी परिस्थितियाँ मिलें, काँटे चुभें उससे टूटता नहीं, वही सच्चा मनुष्य है। जो लक्ष्य प्राप्ति के लिए भटकता रहता है, उसे सही दिशा अवश्य प्राप्त होती है। अपनी निष्ठा के बल पर एक न एक दिन वह अवश्य सफल हो जाता है। जीवन यापन करते समय संघर्षों का सामना करेगा वही मनुष्य जीवन जीने लायक रहेगा और अपना लक्ष्य प्राप्त करेगा।
(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए : (६)
अंकुरित होने से ठूंठ हो जाने तक
आँधी-तूफान हो या कोई प्रतापी राजा-महाराजा
पेड़ किसी के पाँव नहीं पड़ता है,
जब तक है उसमें साँस
एक जगह पर खड़े रहकर
हालात से लड़ता है! जहाँ भी खड़ा हो
सड़क, झील या कोई पहाड़
भेड़िया, बाघ, शेर की दहाड़
पेड़ किसी से नहीं डरता !
हत्या या आत्महत्या नहीं करता है पेड़ ।
थके राहगीर को देकर छाँव व ठंडी हवा
राह में गिरा देता है फूल
और करता है इशारा उसे आगे बढ़ने का ।
पेड़ करता है सभी का स्वागत,
देता है सभी को विदाई !
(१) आकृति पूर्ण कीजिए : (२)
उत्तर:
(२) निम्नलिखित शब्दों के वचन पद्यांश में से ढूँढकर लिखिए: (२)
(१) आँधियाँ ________
उत्तर:
आँधियाँ – आँधी
(२) साँसें ________
उत्तर:
साँसें – साँस
(३) सड़कें ________
उत्तर:
सड़कें – सड़क
(४) हवाएँ ________
उत्तर:
हवाएँ – हवा
(3) पेड़ मनुष्य को प्रेरणा देता है’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए: (२)
उत्तर:
कवि डॉ. मुकेश गौतम जी ने ‘पेड़ होने का अर्थ ‘ इस कविता में पेड़ संबंधी जानकारी देकर वह मनुष्य के लिए मानवता परोपकार की प्रेरणा देता है, इस बात पर प्रकाश डाला है। पेड़ अनेक आँधी-तूफान आजाए उसका सामना करता है। मानव प्रतिकूल परिस्थिति आने पर या मनचाही सफलता न मिलने पर हौसला खो बैठता है । परन्तु पेड़ से हमें सीखना चाहिए कि वह घायल होकर टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है, परन्तु अपना हौसला नहीं छोड़ता है। पेड़ निर्भीक होते हैं।
पेड़ जहाँ खड़े हैं, वहाँ न डरते हुए संकट का सामना करते हैं। उनके पास हत्या, आत्महत्या बिल्कुल भटकती नहीं। पेड़ के इसी हौसले के कारण पेड़ की शाखा में स्थित घोंसले में चिड़िया और उसके छोटे बच्चे भयंकर तूफानी रात में भी सुरक्षित रहते हैं। इससे हमें सीखना चाहिए कि सचमुच पेड़ का हौसला बहुत बड़ा है।
पेड़ बड़े परोपकारी होते हैं, इन्हें हमें बहुत बड़ा दाता कहना चाहिए। पेड़ की छाँव से थके राहगीर को ठंडी हवा मिल जाती है। वह अपने शरीर पर आए फूलों की बौछार मानव पर कर देता है। पेड़ की जड़, तना, शाखाएँ, पत्ती, फूल, फल, बीज आदि पेड़ के सभी हिस्से या भाग मानव के लिए उपयुक्त होते हैं। पेड़ जीवन भर देने का कार्य करते हैं। इतना ही नहीं, मानव के लिए कार्बन डाइऑक्साइड हानिकारक होता है, वह पेड़ शोषित करते हैं और हमें जीवनदान देने वाली ऑक्सीजन, शुद्ध हवा हमें देते हैं।
निर्दयी लोग जब उस पर कुल्हाड़ी चलाते हैं, तब भी पेड़ उसके साथ दुर्व्यवहार न करते हुए उसे भी सब देता है। वास्तविकता में पेड़ दधीचि है। वह बिना किसी स्वार्थ के मनुष्य का साथ देकर उसे जीवनभर देने का कार्य करता है।
(इ) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर ‘गुरुबानी’ कविता का रसा. स्वादन कीजिए: (६)
(१) रचनाकार का नाम (२)
उत्तर:
गुरुबानी ‘गुरुबानी’ कविता के रचनाकार का नाम गुरु नानक जी है। इस कविता की विधा परिचय ‘पद्’ है । पद् काव्य रचना की एक गेय शैली है।
गुरु नानक जी का कहना है, कि बिना गुरु के मनुष्य को ज्ञान नहीं मिलता। मनुष्य के अंतःकरण में अनेक प्रकार के मनोविकार होते हैं, जिनके वशीभूत होने के कारण उसे वास्तविकता के दर्शन नहीं होते। वह अहंकार में डूबा रहता है और उसमें गलत सही का विवेक नहीं रह जाता। ये मनोविकार दूर होता है गुरु से ज्ञान प्राप्त होने पर। यदि गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और उनमें पूरा विश्वास हो तो मनुष्य के अन्तःकरण के इन विकारों को दूर होने में समय नहीं लगता है। इस कविता में मेरी पसंद की पंक्ति है-
गगन में काल रविचंद दीपक बने ।
तारका मंडल जनक मोती।
धूप मलथान्लि, पवनु चँवरो करे,
सकल वनराई कुलंत जोति ।
कैसी आरती होई भव खंडना, तोरि आरती |
उननाहत शब्द बाजत भेरी ।।
यह पंक्तियाँ मुझे इस कारण पसंद हैं क्योंकि इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि संसार में दिन-रात महान आरती हो रही है। आकाश की थाली में सूर्य और चाँद के दीपक जल रहे हैं। हजारों तारे सितारे मोती बने हैं। मलय की खुशबूदार हवा का धूप महक रहा है। वायु चैंबर से हवा कर रही है। जंगल के सभी वृक्ष फूल चढ़ा रहे हैं। हृदय में अनहद नाद का ढोल बज रहा है। हे मनुष्य! इस महान आरती के होते हुए तेरी आरती की क्या आवश्यकता है, क्या महत्व है ? अर्थात, भगवान की असली आरती तो मन से उतारी जाती है और श्रद्धा ही भक्त की सबसे बड़ी भेंट है।
कविता की केन्द्रिय कल्पना यह है कि प्रस्तुत दोहों तथा पदों में गुरु नानक का यह कथन है कि मनुष्य के जीवन को उदात्त और अहंकार रहित होना चाहिए।
(२) पसंद की पंक्तियाँ (२)
उत्तर:
चरित्रवान बनाने में गुरु का मार्गदर्शन, मनुष्य के उत्तम कार्य और सच्ची शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान रहता है। गुरु नानक ने गुरु की महिमा, कर्म की महानता, सच्ची शिक्षा आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। संसार मनुष्य की जाति का नहीं अपितु उसके उत्तम कर्मों का सम्मान करता है। मनुष्य का श्रेष्ठत्व उसके अच्छे कर्मों से सिद्ध होता है न कि उसकी जाति वर्ग से प्रस्तुत कविता में गुरु नानक ने कर्मकांड और बाह्य आडंबर का घोर विरोध किया है। इस प्रकार यह दाहे मुझे अति प्रिय हैं।
(३) पसंद आने के कारण (२)
उत्तर:
आने के कारण- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने स्पष्ट किया है कि, पेड़ संत के समान है, सदैव परोपकार की भावना रखते हैं। पेड़ दधीचि है । जिस प्रकार दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए बज्रास्त्र हेतु जीते जी अपनी अस्थियाँ भी दान कर । उसी प्रकार पेड़ निःस्वार्थ होकर जीवन भर हमें प्राणवायु देते हैं।
(४) कविता की केंद्रीय कल्पना (२)
उत्तर:
कविता की केन्द्रीय कल्पना सब कुछ दूसरों को देकर जीवन की सार्थकता सिद्ध करना। पेड़ मनुष्य का बहुत बड़ा शिक्षक है। पेड़ मनुष्य का हौसला बढ़ाता है। वह उसे समाज के प्रति जिम्मेदारी का निर्वाह करना सिखाता है। पेड़ ने भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है और उसने मानव को संस्कारशील बनाया है।
अथवा
आम आदमी की पीड़ा को समझते हुए ‘चुनिंदा शेर’ कविता का रसास्वादन कीजिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता ‘चुनिंदा शेर’ के कवि का नाम कैलाश सेंगर है। इस कविता की विधा शेर है । गजल को गढ़ने में शेरों की अहम भूमिका रही है।
प्रस्तुत कविता में कवि अपनी जिंदगी में आई परेशानियों से अप्रभावित हुए बिना उनका इस प्रकार सामना करते रहे कि वहीं से मानो उजाले फूट पड़े। सारी परेशानियाँ इस प्रकार समाप्त हो गई मानो कभी थीं ही नहीं। हर सुबह हमारे लिए एक नया संदेश लेकर आती है। रात्रि के घोर अंधकार में जुनून द्वारा फैलाए गए हल्के से प्रकाश में भी आशा की एक किरण छिपी होती है। इस कविता में मुझे पसंद आने वाली पक्तियाँ हैं-
वह आसमाँ पे रोज एक ख्वाब लिखता था ।
उसे पता न था वह इनक्लाब लिखता था ।
प्रस्तुत पंक्तियों का यह अर्थ है कि कवि नित्य नया स्वप्न देखता था, जागती आँखों के सपने। वह नहीं जानता था कि उसके सपनों में उसके विचारों में क्रांति का बीज छिपा है। उसके द्वारा आसमान पर लिखे गए सपने एक दिन क्रांति का रूप ले लेंगे।
वह जो मजदूर मरा है, वह निरक्षर था मगर,
अपने भीतर वह रोज, एक किताब लिखता था ।
इन पंक्तियों का अर्थ है कि कल भूख और बीमारी के कारण जिस मजदूर की साँसें बंद हो गईं, जो इस निर्मोही दुनिया को छोड़कर चला गया, वह अनपढ़ था, निरक्षर था। परंतु उसके भी अनगिनत सपने थे। सपने देखने के लिए किसी भी प्रकार की साक्षरता की आवश्यकता नहीं होती। वह रोज अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं को मानो किताब में लिखता रहता था प्रस्तुत कविता की केन्द्रीय कल्पना यह है कि प्रस्तुत शेरों में सामाजिक अव्यवस्था और विडंबना को विभिन्न चित्र शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
विवशताओं के कारण आम आदमी अपनी पीड़ा अभिव्यक्त करने में स्वयं को असमर्थ पाता है, ये शेर उन्हीं विवशताओं को व्यक्त करने का माध्यम बन जाता है मनुष्य की इस विवशता को समाप्त करने के प्रयासों को कवि ने वाणी प्रदान की है। इस कारण मुझे यह कविता बहुत प्रिय है।
(ई) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का केवल एक वाक्य में उत्तर लिखिए। (कोइ दो) (२)
(१) त्रिलोचन जी के दो काव्य संग्रहों के नाम-
उत्तर:
त्रिलोचन के दो काव्य संग्रहों के नाम-
(१) धरती
(२) दिगंत
(२) वृंद जी की प्रमुख रचनाएँ-
उत्तर:
वृंदजी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं-
(१) वृंद सतसई
(२) समेत शिखर छंद
(३) भाव पंचाशिका
(४) पवन पचीसी
(५) हितोपदेश संधि
(६) यमक सतसई
(७) वचनिका
(८) सत्य स्वरूप
(३) गजल इस भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है-
उत्तर:
गजल उर्दू भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है।
(४) लोकगीतों के दो प्रकार-
उत्तर:
लोकगीतों के दो प्रकार हैं-
(१) कजरी
(२) सोहर
विभाग – ३ विशेष अध्ययन (अंक-१०)
कृति ३
(अ) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)
यह आम्रवृक्ष की डाल
उनकी विशेष प्रिय थी
तेरे न आने पर
सारी शाम इसपर टिक
उन्होंने वंशी में बार-बार
तेरा नाम भरकर तुझे टेरा था-
आज यह आम की डाल
सदा-सदा के लिए काट दी जाएगी
क्योंकि कृष्ण के सेनापतियों के
वायुवेगगामी रथों की
गगनचुंबी ध्वजाओं में
यह नीची डाल अटकती है
और यह पथ के किनारे खड़ा
छायादार पावन अशोक वृक्ष
आज खंड-खंड हो जाएगा तो क्या-
यदि ग्रामवासी, सेनाओं के स्वागत में
तोरण नहीं सजाते
तो क्या सारा ग्राम नहीं उजाड़ दिया जाएगा ?
(१) कारण लिखिए: (२)
(१) आम्रवृक्ष की डाल सदा के लिए काट दी जाएगी-
उत्तर:
आम्र वृक्ष की डाल हमेशा के लिए काट दी जाएगी – क्योंकि कृष्ण के सेनापतियों के वायु वेग से दौड़ने वाले रथों की ऊँची-ऊँची गगनचुम्बी ध्वजाओं में यह नीची डाल अटकती है।
(२) छायादार अशोक वृक्ष खंड-खंड हो जाएगा-
उत्तर:
छायादार अशोक वृक्ष खंड-खंड हो जाएगा- क्योंकि अब यह युद्ध इतना प्रलयंकारी बन चुका है कि सेना के स्वागत में यदि ग्रामवासी तोरण नहीं सजाएँगे तो कदाचित् यह ग्राम भी उजाड़ दिया जाएगा।
(२) उचित मिलान कीजिए: (२)
tableee 1
(1) वृक्ष टहनी
(2) ग्राम राह
(3) पथ गाँव
(4) डाल पेड़
उत्तर:
(१) वृक्ष – पेड़
(२) ग्राम – गाँव
(३) पथ – राह
(४) डाल – टहनी
(३) ‘युदध के दुष्परिणाम’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)
उत्तर:
युद्ध का परिणाम दोनों पक्षों को भुगतना पड़ता हैं। दोनों पक्षों का इसमें नुकसान होता है । परन्तु आने वाली स्थिति युद्ध करने के कारण होती है। युद्ध के परिणाम भयानक होते हैं, इस कारण युद्ध कोई नहीं चाहता। युद्ध में दोनों पक्षों को लड़ाई के उपकरण और अस्त्रों-शस्त्रों की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसमें आर्थिक क्षति का सामना दोनों पक्षों को झेलना पड़ता है। अनेक सैनिक मृत्युमुखी पड़ते हैं, उनके घर-परिवार उजड़ जाते हैं। आर्थिक क्षति के कारण देश का आर्थिक नुकसान होता है। आने वाली पीढ़ी को भी इस आर्थिक क्षति और युद्ध के परिणाम अनेक वर्षों तक भोगने पड़ते हैं।
शांति सभी के लिए महत्वपूर्ण है। देश, समाज, प्रत्येक व्यक्ति के लिए शांति का समय विकास का समय होता है। युद्ध में होने वाला अनावश्यक खर्च अगर देश के विकास में लग जाए तो इससे अच्छी दूसरी बात नहीं है। इस देश की जनता को इस लाभ से फायदा मिलता है। उन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। लोग सम्पन्न होते हैं। शासक और शासित दोनों खुशहाल होते हैं। शांति से विकास की ओर कदम पड़ते हैं तो युद्ध से विनाश और क्षति, अधोगति होती है। इस प्रकार शांति और युद्ध परस्पर विरोधी हैं।
(आ) निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर ८० से १०० शब्दों में लिखिए।: (४)
(1) ‘कवि ने राधा के माध्यम से वर्तमान मनुष्य की पीड़ा को व्यक्त किया है’, इस कथन के संबंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर:
महाभारत युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई कनुप्रिया हिंदी साहित्य की अत्यंत चर्चित कृति रही है। कनुप्रिया आधुनिक मूल्यों की काव्य रचना है। इसकी मूल संवेदना आधुनिक धरातल पर व्यक्त हुई है। मिथकों के द्वारा राधा और कृष्ण के प्रेम को महाभारत के युद्ध से सम्बन्ध कर व्याख्यायित किया गया है। राधा की दृष्टि में प्रेम ही जीवन का आधार है, वही जीवन का सत्य है। प्रेम को त्याग कर युद्ध का वरण करना राधा को निरर्थक लगता है।
कवि धर्मवीर भारती का मानना है कि हम बाह्रय जगत को जीते रहते हैं और उसी का अनुभव करते रहते हैं। किंतु कुछ क्षण ऐसे भी होते हैं जब हमें महसूस भी होता है कि जीवन में महत्व बाह्य घटनाओं के उद्योग से चरम तन्मयता के क्षण का अधिक है, जिसे हम जीते हैं तथा जिसे अपने अंतरमन में महसूस करते हैं। यह क्षण बाह्य क्षण से अधिक मूल्यवान और सार्थक होता है। ऐसा ही आग्रह राधा अपने प्रियतम कृष्ण से करती है। वह तन्मयता के क्षणों को जीना चाहती है तथा उन्हीं क्षणों को कृष्ण की लीलाओं के माध्यम से महसूस करना चाहती है।
कनुप्रिया महाभारत युद्ध की समस्या पर अपने स्तर पर विचार करती है। वह जो संशय करती है, जो जिज्ञासा प्रकट करती है, जो भाव जागृत करती है, उसी को लेकर वह कृष्ण से जय-पराजय, युद्ध का उद्देश्य, युद्ध में संहार आदि विषयों पर कृष्ण से संवाद के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त करती है।
(२) राधा की दृष्टि से जीवन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
‘कनुप्रिया’ डॉ. धर्मवीर भारती द्वारा रचित नायिका प्रधान काव्य है। जिसमें राधा के मन में श्रीकृष्ण और महाभारत के पात्रों को लेकर चलने वाला पात्र है। राधा के लिए प्रेम जीवन में सर्वोपरि है। युद्ध उसके मतानुसार निरर्थक है। श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध का अवलंब करते हैं। फिर भी राधा श्रीकृष्ण का साथ देती हैं। वह जीवन की घटनाओं को और व्यक्तियों को केवल प्यार की कसौटी पर ही कसती हैं।
राधा ने कान्हा के साथ सदैव तन्मयता के क्षणों को जिया है। कृष्ण के कर्म, स्वधर्म, निर्णय तथा दायित्व जैसे शब्दों को राधा समझ नहीं पाती है। श्रीकृष्ण से उसने सिर्फ प्रणय के ही शब्द सुने थे। राधा का प्रेम कनु के कारण व्यथित और दुखी हुआ है फिर भी कनु को चाहिए कि वह अपना दुख छिपाए। राधा महाभारत के युद्ध महानायक कृष्ण को संबोधित करते हुए कहती है कि ‘मैं तो तुम्हारी वही बावरी सखी हूँ, तुम्हारी मित्र हूँ। मैंने तुमसे सदा स्नेह ही पाया है, और मैं स्नेह की ही भाषा समझती हूँ।
इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से यही ज्ञात होता है कि राधा की दृष्टि से जीवन की सार्थकता ‘प्रेम की पराकाष्ठा में है’।
विभाग – ४ व्यावहारिक हिंदी, अपठित गदयांश एवं पारिभाषिक शब्दावली (अंक-२०)
कृति ४
(अ) निम्नलिखित का उत्तर लगभग १०० से १२० शब्दों में लिखिए: (६)
(१) ‘नर हो, न निराश करो मन को, इस उक्ति का पल्लवन कीजिए।
उत्तर:
‘नर हो, न निराश करो मन को ‘
यह सार्वभौमिक सत्य है कि मनुष्य संसार का सबसे अधिक गुणवान और बुद्धि संपन्न प्राणी है। वह अपनी अद्भुत बुद्धि एवं अपने कौशल के बल पर इस संसार में महान से महान कार्य कर अपने साहस और सामर्थ्य का परिचय दे चुका है। शांति, सद्भाव और समानता की स्थापना के लिए वह प्रयासरत रहा है। इन सबके पीछे उसका आंतरिक, मानसिक बल ही था। चूँकि मनुष्य विधाता की सर्वोत्कृष्ट एवं सर्वाधिक गुणसंपन्न कृति है। अतः उसे अपने जीवन से कभी निराश नहीं होना चाहिए। यह तो मनुष्य का जीवन है कि जहाँ उसके जीवन में सुख है, वहाँ दुःख भी है, लाभ है तो हानि भी है, सफलताएँ हैं तो असफलताएँ भी हैं। यदि उसका मन ही पराजित हो जाएगा तो इस धरा को स्वर्ग सा कैसे बना पाएगा? उसके मन की इसी संकल्प – विकल्पमयी, साहसिक शक्ति को उसका मनोबल कहा जाता है जो उसे हर समय श्रेष्ठ बनने हेतु कर्म के लिए प्रेरित करता है।
अथवा
परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: अच्छे मंच संचालन के लिए आवश्यक है- अच्छी तैयारी। वर्तमान समय में संगीत संध्या, बर्थ डे पार्टी या अन्य मंचीय कार्यक्रमों के लिए मंच संचालन आवश्यक हो गया है। मैंने भी इस तरह के अनेक कार्यक्रमों के लिए सूत्र संचालन किया है। जिस तरह का कार्यक्रम हो, तैयारी भी उसी के अनुसार करनी होती है। मैं भी सर्वप्रथम यह देखता हूँ कि कार्यक्रम का स्वरूप क्या है? सामाजिक, शैक्षिक, राजनीतिक, कवि सम्मेलन, मुशायरा या सांस्कृतिक कार्यक्रम ! फिर उसी रूप में मैं कार्यक्रम का संहिता लेखन करता हूँ।
इसके लिए कड़ी साधना व सतत् प्रयास आवश्यक है। कार्यक्रम की सफलता सूत्र संचालक के हाथ में होती है। वह दो व्यक्तियों, दो घटनाओं के बीच कड़ी जोड़ने का काम करता है। इसलिए संचालक को चाहिए कि वह संचालन के लिए आवश्यक तत्वों का अध्ययन करे। सूत्र संचालक के लिए कुछ महत्वपूर्ण गुणों का होना आवश्यक है। हँसमुख, हाजिरजवाबी, विविध विषयों का ज्ञाता होने के साथ-साथ उसका भाषा पर प्रभुत्व होना आवश्यक है। कभी – कभी किसी कार्यक्रम में ऐन वक्त पर परिवर्तन होने की संभावना रहती है। यहाँ सूत्र संचालक के भाषा प्रभुत्व की परीक्षा होती है।
पूर्व निर्धारित अतिथियों का न आना, यदि आ भी जाएँ तो उनकी दिनभर की कार्य व्यस्तता का विचार करते हुए कार्यक्रम पत्रिका में संशोधन / सुधार करना पड़ता है। आयोजकों की ओर से अचानक मिली सूचना के अनुसार संहिता में परिवर्तन कर संचालन करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाना ही सूत्र संचालक की विशेषता होती है।
(१) संजाल पूर्ण कीजिए : (२)
उत्तर:
(२) निम्नलिखित विधान ‘सत्य’ हैं या ‘असत्य’ लिखिए: (२)
(१) कार्यक्रम की सफलता वक्ता के हाथ में होती है।
उत्तर:
सत्य
(२) सूत्र संचालक दो व्यक्तियों, दो घटनाओं के बीच कड़ी जोड़ने का काम करता है।
उत्तर:
सत्य
(३) कार्यक्रम में ऐन वक्त पर परिवर्तन होने की संभावना कभी नहीं रहती।
उत्तर:
असत्य
(४) कार्यक्रम को सफल बनाना सूत्र संचालक की विशेषता होती है।
उत्तर:
सत्य
(३) ‘सूत्र संचालन रोजगार का उत्तम साधन है’, इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में अपने विचार लिखिए। (२)
उत्तर:
इस क्षेत्र में भी रोजगार की भरपूर संभावनाएँ हैं। इसमें आप नाम दाम दोनों कम सकते हैं। मुझे भाषा का गहराई से अध्ययन करना पड़ता है। लोग भले ही कहें कि भाषा का अध्ययन क्यों करें? क्या इससे रोजगार मिलता है? पर यह बात सत्य है कि भाषा का विद्यार्थी कभी बेकार नहीं रहता। सूत्र संचालन में भी भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है। भाषा की शुद्धता, शब्दों का चयन, उनका उचित प्रयोग, किसी प्रख्यात साहित्यकार या व्यक्तित्व के कथन का उल्लेख कार्यक्रम को प्रभावशाली एवं हृदयस्पर्शी बना देता है। विभिन्न कार्यक्रमों के साथ आप रेडियो या टी.वी. उद्घोषक के रूप में रोजगार पा सकते हो।
(आ) निम्नलिखित में से किसी एक का उत्तर ८० से ९०० शब्दों में लिखिए: (४)
(१) ब्लॉग लेखन करते समय बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ब्लॉग लेख करते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
ब्लॉग लेखन में इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि उसमें मानक भाषा का ही प्रयोग हो । व्याकरणिक अशुद्धियाँ न हों।
ब्लॉग लेखन करते समय प्राप्त स्वतन्त्रता का उपयोग उचित प्रकार से होना चाहिए। कुछ भी लिखने की अनुमति नहीं होती। ब्लॉग लेखन करते समय पाठकों को पसंद आनेवाली भाषा का प्रयोग होना चाहिए। ब्लॉग लेखन में आक्रामक अर्थात् गाली-गलौज अथवा अश्लील शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
ब्लॉग लेखन करते समय किसी की निंदा करना, किसी पर गलत टिप्पणी करना, समाज में तनाव की स्थिति उत्पन्न करना आदि बातों से ब्लॉग लेखक को दूर रहना चाहिए।
ब्लॉग लेखन में बिना सबूत के किसी पर कोई आरोप करना एक गंभीर अपराध है। ऐसा करने से पाठक आपकी कोई भी बात गंभीरता से नहीं पढ़ते और ब्लॉग की आयु अल्प हो जाती है। ब्लॉग लेखन करते समय छोटी-छोटी सावधानियाँ बरती जाएँ तो पाठक ही हमारे ब्लॉग के प्रचारक बन जाते हैं। एक पाठक दूसरे से सिफारिश करता है, दूसरा तीसरे से और यह श्रृंखला बढ़ती चली जाती है।
(२) प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने के उद्देश्यों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
मनुष्य की तरह ही जीव भी अपनी सुविधा के लिए प्रकाश उत्पन्न करते रहते हैं। प्रकाश उत्पन्न करने की यह क्रिया जीव द्वारा अपने शरीर से उत्पन्न रसायनों की पारस्परिक क्रिया से होती है। प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव पूरे संसार में होते हैं। धरती पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव जुगनू से हम सभी बखूबी परिचित हैं। जुगनू कीट प्रजाति का जीव है जो रात में प्रकाश उत्पन्न करता है। इसी प्रकार विश्व में कावक और फॉक्स फायर जातियाँ हैं जो रात में प्रकाश उत्पन्न करती हैं।
प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव थल की अपेक्षा सागरों और महासागरों में अधिक हैं। इस क्रम में जेली फिश, स्क्विड़, क्रिल तथा झींगे आदि का प्रमुख स्थान है जो समुद्रतल की गहराईयों में लगभग एक हजार मीटर तक नीचे रहती हैं और अपनी सुविधा के लिए प्रकाश उत्पन्न करती हैं। कुछ समुद्री जीव शिकार की खोज में प्रकाश उत्पन्न करते हैं तो वहीं पर कुछ ऐसे भी होते हैं जो शिकारी से बचने के लिए प्रकाश उत्पन्न करते हैं। वैज्ञानिक अभी भी नित नई खोज में लगे हुए हैं और निकट भविष्य में प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीवों के बारे में और नई-नई जानकारियाँ मिलती रहेंगी।
अथवा
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(१) हिंदी में 0′ पल्लवन’ शब्द अंग्रेजी ………..शब्द के प्रतिशब्द के रूप में आता है। (१)
(१) Expansion
(2) Essay
(३) Article
(४) Blog
उत्तर:
(१) Expansion
(२) …….को पत्रकारिता के क्षेत्र में फीचर लेखन के लिए दिए जाने वाले ‘सर्वश्रेष्ठ फीचर लेखन’ के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। (१)
(१) नेहा
(२) स्नेहा
(३) मेधा
(४) सुगंधा
उत्तर:
(२) स्नेहा
(३) ………लेखन में शब्द संख्या का बंधन नहीं होता ।
(१) फीचर
(२) ब्लॉग
(३) पल्लवन
(४) निबंध
उत्तर:
(२) ब्लॉग
(४) मानव सहित विश्व के अधिकांश जीवों के जीवन में ………. का बहुत महत्व है। (१)
(१) दवा
(२) रसायन
(३) धन
(४) प्रकाश
उत्तर:
(४) प्रकाश
(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: (६)
एक बार अंग्रेजी के मशहूर साहित्यसेवी डॉ. जॉनसन के पास उनका एक मित्र आया और अफसोस जाहिर करने लगा कि उसे धार्मिक ग्रंथ पढ़ने के लिए समय ही नहीं मिलता।
“क्यों ?” डॉ. जॉनसन ने फौरन पूछा।
‘आप ही देखिए, दिन-रात मिलाकर सिर्फ चौबीस घंटे होते हैं, इसमें से आठ घंटे तो सोने में निकल जाते हैं। ”
” पर यह बात सब ही के लिए लागू है।” डॉ. जॉनसन ने कहा ।
” और करीब आठ ही घंटे ऑफिस में काम करना पड़ता है।”
‘और बाकी आठ घंटे ?” डॉ. जॉनसन ने पूछा।
“इन्हीं आठ घंटों में खाना-पीना, हजामत बनाना, नहाना-धोना, ऑफिस आना-जाना, मित्रों से मिलना-जुलना, चिट्ठी-पत्री का जवाब देना, इत्यादि कितने काम रहते हैं। मैं तो बड़ा परेशान हूँ।”
‘तब तो मुझे भी अब भूखों मरना पड़ेगा।” डॉ. जॉनसन एक गहरी साँस लेकर बोले ।
“क्यों? क्यों ?” उनके मित्र ने तुरंत पूछा।
“मैं काफी खाने वाला आदमी हूँ और अन्न उपजाने के लिए दुनिया में एक चौथाई ही तो जमीन है, तीन-चौथाई तो पानी ही है और संसार में मेरे जैसे करोड़ों लोग हैं जिन्हें अपना पेट भरना पड़ता है।”
” पर इतने लोगों के लिए फिर तो भी जमीन काफी है।”
“काफी कहाँ है? इस एक चौथाई जमीन में कितने पहाड़ हैं, ऊबड़-खाबड़ स्थल हैं, नदी-नाले हैं, रेगिस्तान और बंजर भूमि है। अब मेरा भी कैसे निभ सकेगा भगवान! मित्र महोदय बड़ी हमदर्दी के साथ डॉ. जॉनसन को दिलासा देने लगे कि उन्हें परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। दुनिया में करोड़ों लोग रहते आए हैं और उन्हें सदा अन्न मिलता ही रहा है। ”
(१) तालिका पूर्ण कीजिए: (२)
उत्तर:
(२) परिच्छेद में आए हुए शब्दयुग्म के कोई भी चार उदाहरण ढूँढकर लिखिए: (२)
(१) ………….
उत्तर:
दिन – रात
(२) ………….
उत्तर:
खाना – पीना
(३) ………….
उत्तर:
नहाना – धोना
(४) ………….
उत्तर:
आना – जाना
(५) ………….
उत्तर:
मिलन – जुलना
(६) ………….
उत्तर:
चिट्ठी-पत्री
(७) ………….
उत्तर:
ऊबड़-खाबड़
(८) ………….
उत्तर:
नदी-नाले
(३) ‘समय अनमोल है’ इस विषय पर ४० से ५० शब्दों में अपने विचार लिखिए। (२)
उत्तर:
समय के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता का रहस्य निहित है। जो व्यक्ति समय का चक्र पहचान कर उचित ढंग से कार्य करें तो उसकी उन्नति में चार चाँद लग सकता है। कहते हैं हर आदमी के जीवन में एक क्षण या समय अवश्य आया करता है कि व्यक्ति उसे पहचान-परख कर उस समय कार्य आरम्भ करे तो कोई कारण नहीं कि उसे सफलता न मिल पायेगा।
समय का सदुपयोग करने का अधिकार सभी को समान रूप से मिला है। किसी का इस पर एकाधिकार नहीं है। संसार में जितने महापुरुष हुए हैं वे सभी समय के सदुपयोग करने के कारण ही उस मुकाम पर पहुँच सके हैं। काम को समय पर संपन्न करना ही सफलता का रहस्य है।
(ई) निम्नलिखित में से किन्हीं चार के पारिभाषिक शब्द लिखिए। (४)
(१) Judge
(२) Warning
(३) Balance
(४) Payment
(५) Speed
(६) Antiseptics
(७) Output
(८) Auxiliary Memory
उत्तर:
(१) Judge → न्यायाधीश
(२) Warning → चेतावनी
(३) Balance → शेष राशि
(४) Payment → भुगतान, अदायगी
(५) Speed → गति
(६) Antiseptics → रोगानुरोधक
(७) Output → निकास
(८) Auxiliary Memory → सहायक स्मृति
विभाग – ५ व्याकरण (अंक-१०)
कृति ५
(अ) निम्नलिखित वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचनाओं के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए। (कोई दो) (२)
(१) बैजू का लहू सूख गया है।
(सामान्य भूतकाल)
उत्तर:
बैजू का लहू सूख गया।
(२) सत्य का मार्ग सरल है।
(सामान्य भविष्यत्काल)
उत्तर:
सत्य का मार्ग सरल होगा।
(३) हमारे भू-मंडल में हवा और पानी बुरी तरह प्रदूषित हुए हैं।
(अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर:
हमारे भू-मंडल में हवा और पानी बुरी तरह प्रदूषित हो रहे हैं।
(४) मैं वहाँ जाकर मौसी को देख अति दुखी हो गया। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर:
मैं वहाँ जाकर मौसी को देख अति दुखी हो गया था।
(आ) निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत अलंकार पहचानकर उनके नाम लिखिए। (कोई दो)
(१) पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
उत्तर:
रूपक अलंकार ।
(२) राधा वदन चंद सो सुंदर ।
उत्तर:
उपमा अलंकार।
(३) पड़ी अचानक नदी अपार ।
घोड़ा उतरे कैसे पार ।
राणा ने सोचा इस पार ।
तब तक चेतक था उस पार ।
उत्तर:
अतिशयोक्ति अलंकार ।
(४) एक म्यान में दो तलवारें, कभी नहीं रह सकती हैं
किसी और पर प्रेम पति का, नारियाँ नहीं सह सकती हैं।
उत्तर:
दृष्टांत अलंकार ।
(इ) निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत रस पहचानकर उनके नाम लिखिए। (कोई दो) (२)
(१) सुडुक सुडुक घाव से पिल्लू (मवाद) निकाल रहा है, नासिका से श्वेत पदार्थ निकाल रहा है।
उत्तर:
वीभत्स रस ।
(२) राम के रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाही, यातै सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाही।
उत्तर:
श्रृंगार रस ।
(३) माला फेरत जुग भया, गया न मन का फेर ।
कर का मनका डारि कैं, मन का मनका फेर ।।
उत्तर:
शांत रस ।
(४) तू दयालु दीन हौं, तू दानि हौं भिखारि ।
हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंजहारि ।
उत्तर:
भक्ति रस।
(ई) निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर उचित वाक्यों में प्रयोग कीजिए। (कोई दो) (२)
(१) वाह-वाह करना ।
उत्तर:
वाह-वाह करना – प्रशंसा करना ।
वाक्य- मोहन के दसवीं परीक्षा में ७८ प्रतिशत अंक आने पर सबने उसकी वाह-वाह की ।
(२) टस से मस न होना।
उत्तर:
टस से मस न होना- अपनी बात पर अटल रहना।
वाक्य – शिक्षक के लाख समझाने पर भी मयंक टस से मस न हुआ।
(३) दिन दूना रात चौगुना बढ़ना ।
उत्तर:
दिन दूना रात चौगुना बढ़ना- दिन प्रति दिन अधिक उन्नति करना ।
वाक्य- राम अपने व्यापार में दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है।
(४) चार चाँद लगाना ।
उत्तर:
चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना।
वाक्य-निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाते है।
(उ) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए। (कोई दो) (२)
(१) उनकी व्यथा के सघनता जानने का मुझे एक अवसर मिली है।
उत्तर:
उनकी व्यथा की सघनता जानने का मुझे एक अवसर मिला है।
(२) परंतु अग्यान भी अपराध है।
उत्तर:
परंतु अज्ञान भी अपराध है।
(३) सुधारक आते हैं, जिवन की इन विडंबनाओं पर घनघोर चोट करते हैं।
उत्तर:
सुधारक आते हैं, जीवन की इन विडंबनाओं पर घनघोर चोट करते हैं।
(४) यहाँ स्वाभाविक रूप से सवाल उठता है की इस्तेमाल में आने वाले इन यौगिकों का आखिर होता क्या है।
उत्तर:
यहाँ स्वाभाविक रूप से सवाल उठता है कि इस्तेमाल में आनेवाले इन यौगिकों का आखिर होता क्या है?