Maharashtra Board SSC Class 10 Hindi Question Paper July 2023 with Answers Solutions Pdf Download.
SSC Hindi Question Paper July 2023 with Answers Pdf Download Maharashtra Board
Time: 3 Hours
Total Marks: 80
सूचनाएँ:
1. सूचनाओं के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन तथा भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
2. सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
3. रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
4. शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
विभाग 1 – गद्य : 20 अंक
प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
रामस्वरूप : (दरी उठाते हुए) और बीबी जी के कमरे में से हरमोनियम उठा ला और सितार भी।……. जल्दी जा (रतन जाता है। पति-पत्नी तख्त पर दरी बिछाते हैं ।) प्रेमा : लेकिन वह तुम्हारी लाड़ली बेटी उमा तो मुँह फुलाए पड़ी है। रामस्वरूप : क्या हुआ? प्रेमा : तुम्हीं ने तो कहा था कि उसे ठीक-ठाक करके नीचे लाना। रामस्वरूप : अरे हाँ, देखो, उमा से कह देना कि जरा करीने से आए ये लोग जरा ऐसे ही हैं। खुद पढ़े-लिखे हैं, वकील हैं, सभा-सोसायटियों में जाते हैं; मगर चाहते हैं कि लड़की ज्यादा पढ़ी-लिखी न हो। प्रेमा : और लड़का? रामस्वरूप : बाप सेर है तो लड़का सवा सेर। बी.एस्सी. के बाद लखनऊ में ही तो पढ़ता है मेडिकल कॉलेज में। कहता है कि शादी का सवाल दूसरा है, पढ़ाई का दूसरा । क्या करूँ, मजबूरी है। रतन : बाबू जी, बाबू जी ! (धीमी आवाज में) रामस्वरूप : (दरवाजे से बाहर झाँककर) अरे प्रेमा, वे आ भी गए।…. तुम उमा को समझा देना, थोड़ा-सा गा देगी। (मेहमानों से) हँ-हँ-हँ। आइए, आइए ! [ बाबू गोपाल प्रसाद बैठते हैं।] हँ-हँ! मकान ढूँढने में कुछ तकलीफ तो नहीं हुई? गो. प्रसाद : (खखारकर) नहीं। ताँगेवाला जानता था। रास्ता मिलता कैसे नहीं? रामस्वरूप : हैं-हैं-हैं! (लड़के की तरफ मुखातिब होकर) और कहिए शंकर बाबू, कितने दिनों की छुट्टियाँ है? शंकर : जी कॉलेज की तो छुट्टियाँ नहीं हैं। ‘वीक एंड’ में चला आया था। |
(1) लिखिए: [2]
(i) गो. प्रसाद को मकान ढूँढ़ने में तकलीफ नहीं हुई कारणः
……………………….
(ii) उमा को अवगत कलाएँ –
(1) ……………………….
(2) ……………………….
(2) तालिका पूर्ण कीजिए: [2]
रामस्वरूप द्वारा गो. प्रसाद के बारे में दी गई जानकारी |
(i) ………………………. |
(ii) ………………………. |
(3) (i) निम्नलिखित शब्दों के लिंग परिवर्तन कीजिए: [1]
(1) लाड़ली – ………………..
(2) ताँगेवाला – ………………..
(ii) आकृति में दिए हुए शब्दों से कृदंत शब्द ढूँढ़कर उसका अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए: [1]
(4) ‘बेटी पढ़ाओ’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
(आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [8]
संस्था अपने आप चलेगी। समाज में ऐसी संस्था की अत्यंत आवश्यकता है। उस आवश्यकता में से ही उसका जन्म होगा। मुझे इतना विश्वास न होता तो बहन के लिए ऐसा कुछ में सूचित ही नहीं करता। तुम दोनों इस सूचना का प्रार्थनापूर्वक विचार करना लेकिन जल्दी में कुछ तय न करके यथासमय मुझे उत्तर देना। बहन यदि हाँ कहे तो अभी से आगे का विचार करने लगूंगा।
यहाँ सरदी अच्छी है। फूलों में गुलदाउदी, क्रिजेन्सीमम फूल बहार में हैं उसकी कलियाँ महीनों तक खुलती ही नहीं मानो भारी रहस्य की बात पेट में भर दी हो और होठों को सीकर बैठ गई हों। जब खिलती हैं तब भी एक-एक पंखुड़ी करके खिलती हैं। वे टिकते हैं बहुत । गुलाब भी खिलने लगे हैं। कोस्मोस के दिन गए। उन्होंने बहुत आनंद दिया। जिनिया का एक पौधा, रास्ते के किनारे पर था जो आए सो उसकी कली तोड़े। फिर मैंने इस बड़े पौधे को वहाँ से निकालकर अपने सिरहाने के पास लगा दिया, फिर इसने इतने सुंदर फूल दिए। इसकी ऑंखें मानो उत्कटता से बोलती हों, ऐसी लगतीं। दो-एक महीने फूल देकर अंत में वह सूख गया। परसों ही मैंने उसे बिदा दी। |
(1) संजाल पूर्ण कीजिए: [2]
(2) एक / दो शब्दों में उत्तर लिखिए: [2]
(i) ये फूल भी खिलने लगे → ………………
(ii) गद्यांश में उल्लेखित मौसम → ………………
(iii) इन फूलों ने अधिक आनंद दिया → ………………
(iv) लेखक ने इस फूल को विदा दी → ………………
(3) (i) जिनका एकवचन और बहुवचन रूप गद्यांश में प्रयुक्त है ऐसा शब्द ढूँढ़कर लिखिए:
……………… ………………
(ii) कृति पूर्ण कीजिए:
(4) ‘जीवन जीने की प्रेरणा फूलों से प्राप्त होती है’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। [2]
(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [4]
गंगा बाबू से मेरा परिचय आज से कोई दस वर्ष पूर्व ही हुआ था। किंतु मुझे सदा ऐसा लगता था, जैसे वर्षों से उन्हें जानती हूँ। मेरा एक संस्मरण पढ़कर, उन्होंने मुझे जब पत्र लिखा तो मैंने उन्हें कभी देखा भी नहीं था। किंतु उस सरल पत्र की सहज-स्नेहपूर्ण भाषा ने जो चित्र उनका खींचकर रख दिया था, साक्षात्कार होने पर वे एकदम वैसे ही लगे। बूटा-सा कद भारी-भरकम शरीर सरल वेशभूषा और गांभीर्य मंडित चेहरे को उद्भासित करती स्नेही मुस्कान उन्होंने मेरे लेख को सराहा, यह मेरा सौभाग्य था। उस पत्र में उन्होंने लिखा था, “संस्मरण ऐसा हो कि जिसे कभी देखा भी न हो, उसकी साक्षात छवि ही सामने आ जाए, उसका क्रोष, उसकी परिहास रसिकता, उसकी दयालुता, उसकी गरिमा, उसकी दुर्बलता, सब कुछ सशक्त लेखनी आँकती चली जाए, वही उसकी सच्ची तस्वीर है, वही सफल संस्मरण है।” |
(1) संजाल पूर्ण कीजिए: [2]
(2) आपको प्रभावित करने वाले व्यक्तित्व का वर्णन 25 से 30 शब्दों में कीजिए। [2]
उत्तर:
(अ) (1) (i) ताँगेवाला गो. प्रसाद के मकान का रास्ता जानता था।
(ii) (1) हारमोनियम और सितार बजाना
(2) गाना गाना
(2)
रामस्वरूप द्वारा गो. प्रसाद के बारे में दी गई जानकारी |
(i) खुद पढ़े-लिखे हैं, वकील हैं, सभा-सोसायटियों में जाते हैं। |
(ii) अपने बेटे के लिए ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहते हैं। |
(3) (1) लाड़ला
(2) ताँगेवाली
(ii) कृदंत शब्द – पढ़ाई
वाक्य- रमा ने अपनी पढ़ाई लंदन से पूरी की।
(4) परिवार, समाज एवं देश के विकास में बेटियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बेटी पढ़-लिखकर पूरे परिवार को शिक्षित करती है। शिक्षित बेटी केवल घर की ही सही देखभाल नहीं करती, बल्कि वह जरूरत पड़ने पर नौकरी करके परिवार की आर्थिक रूप से सहायता भी करती है। आज बेटियाँ शिक्षित होने के कारण ही व्यवसाय के अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही हैं । वे देश की प्रगति में अपना हाथ बँटा रही हैं। हर बेटी को शिक्षा प्राप्त करने का पूरा अधिकार है। आज अधिकतर लोग बेटियों की शिक्षा के महत्त्व को समझ गए हैं। वे अपनी बेटियों को शिक्षित बनाकर उनका भविष्य उज्ज्वल करने में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं।
(आ) (1)
(2) (i) गुलाव
(ii) सरदी
(iii) कोस्मोस
(iv) जिनिया
(3) (i) कली – कलियाँ, पौधा-पौधे
(ii)
(4) फूल रंगबिरंगी व सुंदर होते हैं। उनके जीवन की अवधि बहुत ही कम होती है, परंतु वे हमें जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। जब तक वे जीवित रहते हैं तब तक पूरे वातावरण को सुगंधित व प्रसन्नदायक बनाए रखते हैं। हमें भी फूलों से प्रेरित होकर हमेशा प्रसन्नचित रहना चाहिए। हमारे प्रसन्न रहने से हमारे आस-पास के लोग भी प्रसन्न व सुखी रहते हैं। अतः फूल हमें प्रेरित करते हैं कि जब तक जीवन है तब तक दूसरों के काम आते रहना चाहिए। ऐसा करने से हमारा जीवन सार्थक बन सकता है।
(इ) (1)
(2) मुझे मेरे गुरु का व्यक्तित्व बहुत प्रभावित करता है क्योंकि गुरु ही वह माध्यम है जिसने मुझे ज्ञान देकर एक अच्छा और सच्चा इंसान बनाया है। गुरु के साथ मेरा रिश्ता बहुत ही पवित्र है। मैं अपने गुरु को माता-पिता की तरह सम्मान देता हूँ। गुरु भी मेरे मन के भावों को आसानी से समझ लेते हैं। वे मेरी परेशानी को जानकर उसे दूर करने का प्रयास भी करते हैं। मुझे सही राह दिखाते हैं। जब मैं जीवन में सफलता प्राप्त करता हूँ तब गुरु को प्रसन्नता होती है। इस तरह मेरा और गुरु का रिश्ता बहुत ही अनमोल है।
विभाग 2 – पद्य : 12 अंक
प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [6]
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई जाके सिर मोर मुकट, मेरो पति सोई छाँड़ि दई कुल की कानि, कहा करिहै कोई? संतन बिग बैठि बैठ लोक लाज खोई। अँसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम बेलि बोई। अब तो बेल फैल गई आनँद फल होई।। दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोई। माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई।। भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई। दासी ‘मीरा’ लाल गिरिधर तारो अब मोही।। |
(1) निम्नलिखित विधान सत्य अथवा असत्य लिखिए: [2]
(i) श्रीकृष्ण के माथे पर मोरपंख का मुकुट है।
(ii) मीराबाई ने कुल की मर्यादा नहीं छोड़ी है।
(iii) मीराबाई ने प्रेम बेलि आँसुओं से नहीं सींची।
(iv) मीराबाई अपने आप को दासी कह रही है।
(2) (i) पदयांश से निम्नलिखित अर्थ के शब्द ढूँढकर लिखिए: [1]
(i) वंश: =
(ii) पास =
(ii) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए: [1]
(i) तिरस्कार × ……………….
(ii) छोटे × ……………….
(3) उपर्युक्त पद्यांश की क्रमशः किन्हीं दो पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। [2]
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [6]
बीत गया हेमंत भात, शिशिर ऋतु आई! प्रकृति हुई युतिहीन, अवनि में कुंझटिका है छाई। पड़ता खूब तुषार पद्मदल तालों में बिलखाते, अन्यायी नृप के दंडों से यथा लोग दुख पाते। निशा काल में लोग घरों में निज निज जा सोते हैं, बाहर श्वान, स्यार चिल्लाकर बार- बार रोते हैं। अर्धरात्रि को घर से कोई जो आँगन को आता, शून्य गगन मंडल को लख यह मन में है भय पाता। तारे निपट मलीन चंद ने पांडुवर्ण है पाया, मानो किसी राज्य पर है, राष्ट्रीय कष्ट कुछ आया। |
(1) कृति पूर्ण कीजिए: [2]
शिशिर ऋतु में इनमें हुए परिवर्तन | |
(i) प्रकृति | ………………… |
(ii) तारे | ………………… |
(iii) श्वान – सियार | ………………… |
(iv) चंद | ………………… |
(2) (i) पद्यांश से शब्दयुग्म कर लिखिए: [1]
(1) …………………
(2) …………………
(ii) निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए: [1]
(1) राष्ट्रीय –
(2) अन्यायी –
(3) उपर्युक्त पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। [2]
उत्तर:
(अ) (1) (i) सत्य
(ii) असत्य
(iii) असत्य
(iv) सत्य
(2) (i) (i) कुल
(ii) ढिग
(ii) (i) प्रेम
(ii) बड़े
(3) मीराबाई कहती हैं कि पहाड़ को उठाने वाले श्रीकृष्ण के अलावा मेरा अपना कोई नहीं है। अपने माथे पर मोरपंख का मुकुट धारण करने वाले श्रीकृष्ण ही मेरे पति हैं।
(आ) (1)
शिशिर ऋतु में इनमें हुए परिवर्तन | |
(i) प्रकृति | प्रकृति तेजहीन हो गई है। |
(ii) तारे | चमक कम हो गई है। |
(iii) श्वान – सियार | चिल्लाकर बार-बार रोते हैं। |
(iv) चंद | कोहरे के कारण हल्का पीला व धुंधला हो गया है। |
(2) (i) (1) निज-निज
(2) बार-बार
(ii) (1) राष्ट्र
(2) अन्याय
(3) कवि कहता है कि भाई हेमंत का समय बीत गया है और अब शिशिर ऋतु आ गई है। इस ऋतु के कारण प्रकृति जैसे तेजहीन हो गई है और धरती पर हर तरफ ठंड के कारण कोहरा छा गया है। शिशिर ऋतु में बहुत अधिक ठंड है। तालाबों में खिले हुए कमल के फूल भी इस ठंड से बहुत दुखी हैं ये फूल उसी भाँति शिशिर से दुखी हैं, जिस प्रकार किसी अन्यायी राजा के अत्याचार से प्रजा दुखी होती है।
विभाग 3 – पूरक पठन : 8 अंक
प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
मोथी घास और पटेर की रंगीन शीतलपाटी, बाँस की तीलियों की झिलमिलाती चिक, सतरंगे डोर के मोढ़े, भूसी – चुन्नी रखने के लिए मूँज की रस्सी के बड़े-बड़े जाले, हलवाहों के लिए ताल के सूखे पत्तों की छतरी टोपी तथा इसी तरह के बहुत-से काम हैं जिन्हें सिरचन के सिवा गाँव में और कोई नहीं जानता। यह दूसरी बात है कि अब गाँव में ऐसे कामों को बेकाम का काम समझते हैं लोग बेकाम का काम जिसकी मजदूरी में अनाज या पैसे देने की कोई जरूरत नहीं पेट भर खिला दो, काम पूरा होने पर एकाध पुराना-धुराना कपड़ा देकर विदा करो। वह कुछ भी नहीं बोलेगा।….. कुछ भी नहीं बोलेगा; ऐसी बात नहीं, सिरचन को बुलाने वाले जानते हैं, सिरचन वात करने में भी कारगर है। |
(1) उचित जोड़ियाँ मिलाइए: [2]
अ | उत्तर | आ |
(i) बाँस की तीलियाँ | शीतलपाटी | |
(i) सतरंगी डोर | बड़े-बड़े जाले | |
(iii) मूँज की रस्सी | मोढे | |
(iii) ताल के सूखे पत्ते | झिलमिलाती चिक | |
छतरी टोपी |
(2) लुप्त होने वाली कारीगरी को प्रोत्साहित करने के उपाय 25 से 30 शब्दों में लिखिए। [2]
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [4]
अजी क्या कहिए, हाँ क्या कहिए। जिस मिट्टी में लक्ष्मीबाई जी, जन्मी थीं झाँसी की रानी। रजिया सुलताना, दुर्गावती, जो खूब लड़ी थीं मर्दानी जन्मी थी बीबी चाँद जहाँ, पद्मिनी के जौहर की ज्वाला। सीता, सावित्री की धरती, जन्मी ऐसी-ऐसी बाला। गर डींग जनाब उड़ाएँगे, तो मजबूरन ताने सहिए, ताने सहिए, ताने सहिए। हम इस धरती की लड़की हैं…….. |
(1) उत्तर लिखिए: [2]
(i) पद्यांश में उल्लेखित दो ऐतिहासिक व्यक्तिरेखाएँ –
(ii) परिणाम लिखिए:
बड़ी-बड़ी बातें करेंगे तो —
(2) ‘कथनी और करनी में समानता होनी चाहिए’ अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए। [2]
उत्तर:
(अ) (1)
अ | आ |
(i) बाँस की तीलियाँ | झिलमिलाती चिक |
(ii) सतरंगी डोर | मोढ़े |
(iii) मूँज की रस्सी | बड़े-बड़े जाले |
(iv) ताल के सूखे पत्ते | छतरी – टोपी |
(2) कपड़ों पर हाथकरघा की सहायता से की गई कारीगरी हो या मिट्टी के बर्तनों पर की गई नक्काशी हो। ये सभी एक विशिष्ट आकर्षण पैदा कर देते हैं, परंतु आज ये कारीगरी लुप्त होती जा रही हैं। ऐसी कारीगरी को बनाए रखने के लिए हमें उन कारीगरों के कार्यों की सराहना करनी चाहिए। उन्हें इस क्षेत्र के अधिक-से- अधिक कार्य देने चाहिए ताकि वे इनके माध्यम से अपना जीवनयापन कर सकें। ये सारी कारीगरी हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं, इसलिए इन्हें बनाए रखने के लिए सरकार को भी उचित कदम उठाने चाहिए।
(आ) (1) (i) लक्ष्मीबाई, दुर्गावती
निर्देश: इस कृति के उत्तर के कुछ अन्य विकल्प निम्नलिखित हैं-
(1) रजिया सुलताना
(2) चाँद बीबी
(3) पदमिनी
(ii) मजबूरन ताने सहने पड़ेंगे।
(2) हमें अपनी कथनी और करनी में समानता रखनी चाहिए। हम अपने जीवन में जो कुछ भी करने की योजना बनाते हैं उसे पूर्ण करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। आलस्य और कमजोर मन के कारण हमें अपनी योजनाओं को कल के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए । यदि हम अपने कथन का पालन करके उसे पूर्ण करते हैं तो हम जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त कर सकते हैं। जो कार्य हम वास्तविक रूप से करने में सक्षम होते हैं हमें उन्हें ही करने का प्रयास करना चाहिए। इससे हम अपने सभी कार्यों को आसानी से पूर्ण करने में कामयाब हो सकते हैं। यदि हम बड़ी-बड़ी डींगें मारकर किसी कार्य को करने का ऐलान करते हैं और उस कार्य को नहीं कर पाते हैं तो हम मजाक के पात्र बन जाते हैं। इसीलिए हमारी कथनी और करनी में समानता होनी चाहिए।
विभाग 4 – भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 14 अंक
प्रश्न 4.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [14]
(1) निम्नलिखित वाक्य में आधोरेखांकित शब्द का शब्दभेद पहचानकर लिखिए: [1]
इस कहानी में भारतीय समाज का चित्रण मिलता है।
(2) निम्नलिखित अव्ययों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए: [1]
(i) कारण
(ii) प्रायः
(3) कृति पूर्ण कीजिए: [1]
संधि शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
यद्यपि | ……. + ……. | …………… |
अथवा | ||
…………… | दुः + लभ | …………… |
(4) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य की सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए: [1]
(i) उन्होंने पुस्तक लौटा दी।
(ii) शरीर को कुछ समय के लिए विश्राम मिल गया।
सहायक क्रिया | मूल क्रिया |
……………. | ……………. |
(5) निम्नलिखित में से किसी एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:[1]
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | दद्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
(i) पीसना | ……………. | ……………. |
(ii) खाना | ……………. | ……………. |
(6) निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर उचित वाक्य में प्रयोग कीजिए: [1]
मुहावरा | अर्थ | वाक्य |
(i) फूट-फूटकर रोना | ……………. | ……………. |
(ii) निजात पान | ……………. | ……………. |
अथवा
अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए:
(मुँह लटकाना, सीना तानकर खड़े रहना)
सीमा पर भारतीय सैनिक निर्भय होकर खड़े रहते हैं।
(7) निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारकों में से कोई एक कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए: [1]
(i) रूपा घटनास्थल पर आ पहुँची।
(ii) अरे! यह बुढ़िया कौन है।
(8) निम्नलिखित वाक्य में यथास्थान उचित विराम चिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए: [1]
टाँग का टूटना यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना
(9) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का सूचना अनुसार काल परिवर्तन कीजिए: [2]
(i) वे पुस्तक शांति से पढ़ते हैं। (सामान्य भूतकाल)
(ii) अली घर से बाहर चला जाता है। (पूर्ण वर्तमानकाल)
(iii) सरकार एक ही टैक्स लगाती है। (सामान्य भविष्यकाल)
(10) (i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के आधार पर भेद पहचानकार लिखिए: [1]
वह बूढ़ी काकी पर झपटी और उन्हें दोनों हाथों से झटककर बोली।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए: [1]
(1) मैं आज रात का खाना खाऊँगा। (निषेधार्थक वाक्य)
(2) थोड़ी बातें हुई। (विस्मयार्थक वाक्य
(11) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए:
(i) डॉ. महादेव साहा ने बाजार को पुस्तकें खरीदे।
(ii) टिळक जी ने एक सज्जन के साथ की हुई व्यवहार बराबर था।
(iii) बरसों बाद पंडित जी को मित्र का दर्शन हुआ।
उत्तर:
(1) भारतीय विशेषण
(2) (i) मोहन के लापता होने का कारण राहुल है।
(ii) बाजार के प्रायः मकानों पर झंडा फहराया गया था।
(3)
संधि शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
यद्यपि | यदि+ अपि | स्वर संधि |
अथवा | ||
दुर्लभ | दुः + लभ | विसर्ग संधि |
(4)
सहायक क्रिया | मूल क्रिया |
(i) दी | देना |
(ii) गया | जाना |
(5)
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
(i) पीसना | पिसाना | पिसवाना |
(ii) खाना | खिलाना | खिलवाना |
(6)
मुहावरा | अर्थ | वाक्य |
(i) फूट-फूटकर रोना | जोर-जोर से रोना | मीना को पिता जी से डाँट पड़ने पर वह फूट-फूटकर रोने लगी। |
(ii) निजात पान | मुक्ति पाना | स्वार्थी लोगों से जल्द ही निजात पा लेना चाहिए। |
(7)
कारक चिह्न | कारक भेद |
(i) पर | अधिकरण कारक |
(ii) अरे! | संबोधन कारक |
(8) ‘टाँग का टूटना यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना।
(9) (i) उन्होंने पुस्तक शांति से पढ़ी।
(ii) अली घर से बाहर चला गया है।
(iii) सरकार एक ही टैक्स लगाएगी।
(10) (i) संयुक्त वाक्य
(ii) (1) मैं आज रात का खाना नहीं खाऊँगा।
(2) सचमुच! थोड़ी बातें हुईं।
(11) (i) डॉ. महादेव साहा ने बाजार से पुस्तकें खरीदीं।
(ii) टिळक जी का एक सज्जन के साथ किया हुआ व्यवहार बराबर था।
(iii) बरसों बाद पंडित जी को मित्र के दर्शन हुए।
विभाग 5 रचना विभाग (उपयोजित लेखन) 26 अंक
सूचना – आवश्यकतानुसार परिच्छेदों में लेखन अपेक्षित है।
प्रश्न 5.
सूचनाओं के अनुसार लेखन कीजिए: [26]
(अ) (1) पत्रलेखन: [6]
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर पत्रलेखन कीजिए:
अंकिता/अंकित सांगळे, 111 स्टेशन रोड, लातूर से अपने मित्र / सहेली सुधीर / सुधा देशपांडे, किस्मत नगर, अकोला को नाट्य प्रतियोगिता में उत्कृष्ट अभिनय का पुरस्कार प्राप्त होने पर अभिनंदन करने हेतु पत्र लिखती/लिखता है।
अथवा
रोहित/रोहिणी मोरे, शीतल नगर, मालेगाँव से व्यवस्थापक, भारतीय स्टेट बैंक, मारुती नगर शाखा, मालेगाँव को बैंक खाता खुलवाने हेतु आवेदन पत्र लिखता / लिखती है।
(2) गद्य आकलन – प्रश्न निर्मिति:
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों: [4]
सुश्री टेसी थॉमस शांत – निश्चल शहर अलप्पुझा (केरल) की हैं, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है और अप्रवाही जल (बैकवॉटर्स) पर तैरते शिकारे (हाऊसबोट्स) देखने में आनंद अनुभव करने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। बचपन से ही उन्हें विज्ञान और गणित से प्रेम रहा। तिरुवनंतपुरम के बाह्यांचल पर स्थित थुंबा से रॉकेट लाँच होते देख वे आश्चर्य से भर उठतीं। वे याद करते हुए बताती हैं कि 1985 में उन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) के एक कार्यक्रम के लिए भारतभर से चुने गए 10 युवाओं में शामिल किया गया। वे उससे जुड़ी कोई चीज नहीं भूलीं, क्योंकि उसने उन्हें मिसाइलों के संसार का निकटता से दर्शन करने का अवसर उपलब्ध कराया। उस समय वे इस संगठन का एक अंग बनने का सपना देखा करतीं, जो बाद में न केवल उनकी सेवाओं से लाभान्वित हुआ, बल्कि जिसने आश्चर्यजनक और विलक्षण प्रतीत होने वाले कार्य संपन्न करने के लिए उनके समस्त अनुभव और विशेषता का उपयोग किया।
(आ) (1) वृत्तांत लेखन: [5]
समता विद्यालय बीड़ में मनाए गए ‘हिंदी दिवस’ समारोह का 70 से 80 शब्दों में वृत्तांत लेखन कीजिए।
(वृत्तांत लेखन में स्थल, काल, घटना का उल्लेख होना अनिवार्य है।)
अथवा
कहानी लेखनः
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए तथा सीख लिखिए:
एक मजदूर – दिनभर श्रम करना – बनिया की दुकान से रोज चावल खरीदना – बनिये द्वारा बचत की सलाह – मजदूर का उपेक्षा करना – बनिया द्वारा मजदूर के चावलों में से थोड़ा-थोड़ा चावल अलग करना – पंद्रह दिन बाद मजदूर के हाथ में दो किलो चावल देना – मजदूर का आश्चर्यचकित होना – बनिया का बचत की बात बताना – मजदूर को बचत का महत्त्व समझना।
(2) विज्ञापन लेखन: [5]
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर 50 से 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए:
(इ) निबंध लेखन: [7]
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए:
(1) आदर्श विद्यार्थी
(2) मैं मोबाइल बोल रहा हूँ…….
(3) समय बड़ा बलवान।
उत्तर:
(अ) (1) पत्रलेखन
17 अगस्त, 2023
सुधा देशपांडे,
किस्मत नगर,
अकोला।
[email protected]
प्रिय सुधा
हस्तमिलन।
मैं स्वस्थ व सकुशल हूँ और आशा करती हूँ कि तुम भी प्रसन्न व कुशल होगी। दो दिन पूर्व ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर गर्व से सीना फूल गया कि तुम्हें नाट्य प्रतियोगिता में उत्कृष्ट अभिनय का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसके लिए मैं तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देती हूँ । इस उपलब्धि से तुमने न केवल अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है, बल्कि अपने परिवार व विद्यालय का भी नाम रोशन कर दिया है। आज मुझे तुम्हारी सहेली होने पर सचमुच बहुत गर्व हो रहा है । तुम इसी तरह सदैव प्रगति के पथ पर गतिमान रहो व सफलता के नित नए आयाम छुओ मेरी शुभकामनाएँ प्रतिपल तुम्हारे साथ हैं चाचा जी और चाची जी को मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारी प्रिय सहेली,
अंकिता
अंकिता सांगळे,
111 स्टेशन रोड,
लातूर।
[email protected]
अथवा
10 अगस्त, 2023
सेवा में
मा. व्यवस्थापक जी,
भारतीय स्टेट बैंक,
मारुती नगर शाखा,
मालेगाँव ।
[email protected]
विषय : बैंक में नया बचत खाता खोलने हेतु।
महोदय,
मैं रोहिणी मोरे शीतल नगर की रहिवासी हूँ मैं आपके बैंक में अपने नाम से एक बचत खाता खोलना चाहती हूँ। मैंने आपके बैंक की कई आकर्षक योजनाओं, अच्छी ब्याज दरों एवं ऑनलाइन सेवाओं के बारे में सुन रखा है। आपके बैंक की शाखाएँ भी जगह-जगह फैली हुई हैं अतः आपसे निवेदन है कि कृपया खाता खोलने के लिए आवश्यक कागजात के विषय में उचित जानकारी एवं मार्गदर्शन दें।
धन्यवाद!
भवदीया,
रोहिणी
रोहिणी मोरे.
शीतल नगर,
मालेगाँव।
[email protected]
(2) (i) सुश्री टेसी थॉमस कहाँ की रहने वाली हैं?
(ii) बचपन से ही सुश्री टेसी थॉमस को किन विषयों से प्रेम रहा?
(iii) सुश्री टेसी थॉमस कहाँ से रॉकेट लाँच होते देख आश्चर्य से भर उठती थीं?
(iv) सुश्री टेसी थॉमस को 1985 में कौन से कार्यक्रम के लिए भारतभर से चुने गए 10 युवाओं में शामिल किया गया ?
(आ) (1) वृत्तांत लेखन
हिंदी दिवस समारोह संपन्न
मुंबई। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में 14 सितंबर 2022 को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बीड़ स्थित समता विद्यालय के सभागार में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर क्षेत्र के नगरसेवक श्री कल्याण सावंत पधारे। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मोहन यादव, उपप्रधानाचार्या मालती जोशी सहित सभी शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद थे।
कार्यक्रम की शुरुआत माता सरस्वती की वंदना व दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद विद्यार्थियों ने नृत्य, गायन, भाषण, नाटक जैसे अनेक मनमोहक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित ‘निज भाषा’ कविता का प्रस्तुतीकरण व उनका नाटक ‘अँधेर नगरी’ था। इस दौरान श्री कल्याण सावंत ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया और विद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की प्रशंसा की।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को प्रधानाचार्य के हाथों सम्मानचिह्न दिया गया। अंततः राष्ट्रगान के साथ ही इस कार्यक्रम का समापन हुआ।
अथवा
कहानी लेखन
बचत का महत्त्व
किशनगढ़ नामक गाँव था। उस गाँव में मोहन नामक एक मजदूर रहता था वह सुबह-सुबह ही काम पर चला जाता था और पूरा दिन अथक परिश्रम करता था। शाम होते ही वह बनिए की दुकान पर जाकर एक किलो चावल खरीदता था मोहन रोज इसी तरह बनिए से एक किलो चावल खरीदता था। एक दिन बनिए ने मोहन से पूछ ही लिया कि भाई तुम रोज एक किलो चावल खरीदते हो। आखिरकार तुम रोज इतने सारे चावलों का करते क्या हो? तुम तो घर में अकेले रहते हो न? बनिए के सवाल पर मोहन ने जवाब दिया, “मैं इसमें से कुछ चावल पका लेता हूँ और बाकी चावल घर में वैसे ही रहने देता हूँ उन बचे हुए चावलों को चूहे आकर खा जाते हैं। मेरे पास इन्हें सँभालकर रखने का समय नहीं होता है इसलिए मैं रोज नए चावल खरीदता हूँ।”
मोहन की बात सुनकर बनिए ने उसे चावल और पैसे दोनों की बचत करने की सलाह दी। बनिए की नसीहत सुनकर मोहन क्रोधित हो गया। उसने बनिए को अपने काम से काम रखने के लिए कहा और चावल लेकर घर चला गया। बनिए को मोहन की बात का बुरा नहीं लगा। उसने अब से मोहन के चावलों में से थोड़े चावल निकालकर अलग रखने शुरू कर दिए। पंद्रह दिनों बाद मोहन के लिए उसने दो किलो चावल इकट्ठे कर लिए। एक दिन जब मोहन बनिए से चावल खरीदने आया तब उसके पास चावल खरीदने के पैसे नहीं थे। उसने बनिए से कहा, “भाई दो-तीन दिन से मेरा काम बंद है। आज मेरे पास चावल खरीदने के पैसे नहीं हैं। क्या तुम मुझे एक किलो चावल उधार दे सकते हो?” मोहन की बात सुनकर बनिए ने उसे दो किलो चावल की थैली पकड़ा दी। दो किलो चावल देखकर मोहन आश्चर्यचकित हो गया । वह बनिए से बोला, “ भाई मुझे दो किलो नहीं केवल एक किलो चावल चाहिए।” बनिए ने कहा, “वह उधार के चावल नहीं हैं। यह तो तुम्हारे चावलों में से बचत किए हुए चावल हैं। तुम चावल बर्बाद कर देते थे वही चावल मैंने मेरे पास बचत करके रखे थे।” मोहन बनिए की बात सुनकर आश्चर्यचकित हो गया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि बनिए ने उसके लिए चावल बचत करके रखे हैं।
बनिए ने मोहन को बचत का महत्त्व समझाया और अनाज की कद्र करना भी सिखाया। मोहन ने बनिए का धन्यवाद किया और वह भी बचत के महत्त्व को समझ गया। उस दिन से उसने भी चावलों की बचत करना शुरू कर दिया।
सीख: हमें अपने जीवन में हर चीज की बचत करने की आदत डालनी चाहिए।
(2) विज्ञापन लेखन
(इ) (1) निबंध लेखन
आदर्श विद्यार्थी
आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो ज्ञान अर्जन करना अपने जीवन का प्रथम उद्देश्य मानता है। ज्ञान के माध्यम से ही वह बुद्धिमान, नम्र, आदर्श व गुणवान विद्यार्थी बनता है और भविष्य में एक अच्छा और आदर्श नागरिक भी बनता है। वह अपने माता-पिता का सम्मान करने के साथ-साथ अपने गुरुजनों व सभी का सम्मान भी करता है।
वह अपनी पढ़ाई को भी महत्त्व देता है। पुस्तकों से प्रेम करना और उसमें दिए गए ज्ञान को ग्रहण करना उसे अच्छा लगता है। वह पुस्तकों से विद्या प्राप्त कर अपने जीवन में उसे अपनाता है। उसके माध्यम से ही वह नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता को जीवन में अपनाता है। इसके साथ ही वह स्वयं में निहित बुराइयों को दूर करके सद्गुणों व अच्छाइयों को अपने जीवन में अपनाता है आदर्श विद्यार्थी अपने जीवन में अनुशासन का पालन भी करता है वह किसी भी कार्य को करने में आलस महसूस नहीं करता है। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी सहभाग लेता है। इस तरह वह पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में शामिल होकर अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करता है।
आदर्श विद्यार्थी अपने सहपाठियों एवं मित्रों की भी मदद करने से पीछे नहीं हटता है। दूसरों की सहायता करना व उनके कष्ट दूर करना वह अपना परम कर्तव्य समझता है। जिस विद्यार्थी के अंदर ये सारे गुण निहित होते हैं, वही वास्तव में आदर्श विद्यार्थी कहलाता है।
अथवा
(2) में मोबाइल बोल रहा हूँ….
नमस्ते दोस्त! अरे, आप वहाँ कहाँ देख रहे हो। यहाँ देखो अपने मोबाइल के पास मैं आपका प्यारा मोबाइल बोल रहा हूँ। आज मैं बहुत खुश हूँ, क्योंकि मेरा परिवार फलता-फूलता जा रहा है। आज घर-घर के प्रत्येक व्यक्ति के पास मेरे परिवार के सदस्य मौजूद हैं। सभी मेरे जैसे मोबाइल को हमेशा साथ रखे रहते हैं। आप भी मुझे हमेशा अपने पास रखे रहते हैं। मैं आपके शौक के साथ-साथ आपकी जरूरतों को भी पूरा करता हूँ।
मैं आपका हमसफर बन गया हूँ। आप हर सफर में मुझे अपने साथ लेकर घूमते हैं । मेरे द्वारा ही आपका मनोरंजन होता है। आप मेरी ही सहायता से अपने मित्रों-रिश्तेदारों से फोन या वीडियो कॉल पर बात करते हैं। में आपके लिए बहुत ही कीमती चीज बन गया हूँ आप मुझे हमेशा सँभालकर रखते हैं। मेरे माध्यम से आप अपने दफ्तर के काम भी कर लेते हैं । आपके द्वारा मेरा इतना उपयोग देखकर मुझे गर्व महसूस होता है, परंतु कभी-कभी आप मेरी बैटरी लो हो जाने तक मेरा इस्तेमाल करते हैं। इससे मैं कमजोर हो जाता हूँ । मेरी ताकत भी धीरे-धीरे कम होने लगती है । लगातार मेरा इस्तेमाल होने के कारण मेरे भीतर वायरस भी घुस जाते हैं।
मुझे डर है कि मैं इस तरह से निरंतर कमजोर पड़ता गया तो कहीं आप मुझे किसी अन्य को बेच न दो। मैं हमेशा आपके साथ रहना चाहता हूँ, परंतु बाजार में इतने सारे नए मोबाइल आ गए हैं कि मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं आप मुझे नए मोबाइल के साथ बदल न दो आप ऐसा करोगे तो भी मुझे बुरा नहीं लगेगा, क्योंकि समय के साथ हर चीज में बदलाव होना जरूरी है। मैं जब तक आपके काम आ सकता हूँ तब तक खुशी-खुशी आपकी सेवा करता रहूँगा।
अथवा
(3) समय बड़ा बलवान
समय का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्त्व है। समय यदि अच्छा हो तो व्यक्ति का जीवन अच्छी तरह व्यतीत होता है। यदि समय खराब चल रहा हो तो व्यक्ति कितना भी पैसा खर्च कर ले परंतु अपना समय ठीक नहीं कर सकता है।
व्यक्ति स्वयं को कितना भी बलवान समझ ले परंतु समय से बड़ा बलवान कोई नहीं है। समय का चक्र निरंतर चलता रहता है। व्यक्ति को समय के महत्त्व को समझना जरूरी है। यदि एक बार सही समय हाथ से निकल जाता है तो दोबारा वापस लौटकर नहीं आता है। इसीलिए मनुष्य को अपने कामों को निश्चित समय पर पूरा करना चाहिए। समय का सदुपयोग करके व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। सफर करने वाला व्यक्ति यदि समय का पालन नहीं करता है तो वह समय पर अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाता है।
जो व्यक्ति समय के महत्त्व को नहीं समझते हैं और व्यर्थ के कामों मे लगकर अपना कीमती समय व्यर्थ करते हैं। ऐसे व्यक्ति बाद में केवल पछताते रहते हैं। समय का पालन करके ही व्यक्ति अपना भविष्य उज्ज्वल करता है। अतः जो मनुष्य समय की कीमत समझता है वह जीवन में अवश्य कामयाब होता है।