Maharashtra Board SSC Class 10 Hindi Sample Paper Set 7 with Answers Solutions Pdf Download.
Maharashtra Board Class 10 Hindi Model Paper Set 7 with Answers
Time: 3 Hours
Total Marks: 80
सूचनाएँ:
1. सूचनाओं के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन तथा भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
2. सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
3. रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है।
4. शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
विभाग 1 – गद्य : 20 अंक
प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [8]
घूम-फिरकर शाम को हम कलिंगवुड बीच पर पहुँचे। यह काफी रेतीला तथा गोवा का सबसे लंबा बीच है जो 3 से 4 किमी तक फैला है। यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। यही कारण है कि यह स्थानीय लोगों के व्यवसाय का केंद्र भी है। यहाँ कई प्रकार के वाटर स्पोर्ट्स होते हैं जिनमें कुछ तो हैरतअंगेज हैं, जिन्हें देखने में ही आनंद आता है। आप भी अपनी रुचि के अनुसार हाथ आजमा सकते हैं। मैंने कई खेलों में हिस्सा लिया, लेकिन सबसे अधिक रोमांच| पैराग्लाइडिंग में ही आया। काफी ऊँचाई से अथाह जलराशि को देखना जितना विस्मयकारी है, उतना ही भयावह भी। दूर-दूर तक पानी ही पानी, तेज हवा और रस्सियों से हवा में लटके हम हम यानी में और मेरी पत्नी दोनों डर भी रहे थे और खुश भी हो रहे थे। डर इस बात का कि छूट गए तो समझो गए और खुशी इस बात की कि ऐसा रोमाचंक दृश्य पहली बार देखा सचमुच अद्भुत! |
1. संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
2. i.ऐसा प्रश्न तैयार कीजिए जिसका उत्तर निम्नलिखित शब्द हो:
पैराग्लाइडिंग
ii. कारण लिखिए:
कलिंगवुड बीच स्थानीय लोगों के व्यवसाय का केंद्र है-
3. i. परिच्छेद में आए विदेशी शब्द खोजकर लिखिए:
1. ________
2. ________
ii. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय हटाकर नए शब्द लिखिए:
1. स्थानीय
2. खुशी
4. ‘प्रकृति को सुंदर बनाए रखने में मेरा योगदान’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
(आ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [8]
नागर जी : लिखने से पहले तो मैंने पढ़ना शुरू किया था। आरंभ में कवियों को ही अधिक पढ़ता था। सनेही जी, अयोध्यासिंह उपाध्याय की कविताएँ ज्यादा पढ़ीं। छापे का अक्षर मेरा पहला मित्र था। घर में दो पत्रिकाएँ मँगाते थे मेरे पितामह एक ‘सरस्वती’ और दूसरी ‘गृहलक्ष्मी’ उस समय हमारे सामने प्रेमचंद का साहित्य था, कौशिक का था। आरंभ में बंकिम के उपन्यास पढ़े। शरतचंद्र को बाद में। प्रभातकुमार मुखोपाध्याय का कहानी संग्रह ‘देशी और विलायती’ 1930 के आसपास पढ़ा। उपन्यासों में बंकिम के उपन्यास 1930 में ही पढ़ डाले। ‘आनंदमठ’, ‘देवी चौधरानी’ और एक राजस्थानी थीम पर लिखा हुआ उपन्यास, उसी समय पढ़ा था। तिवारी जी : क्या यही लेखक आपके लेखन के आदर्श रहे? नागर जी : नहीं, कोई आदर्श नहीं। केवल आनंद था पढ़ने का सबसे पहले कविता फूटी साइमन कमीशन के बहिष्कार के समय 1928 1929 में। लाठीचार्ज हुआ था। इस अनुभव से ही पहली कविता फूटी – ‘कब लौं कहीं लाठी खाय!’ इसे ही लेखन का आरंभ मानिए। |
1. संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
2. घटनानुसार उचित क्रम लगाकर लिखिए: (2)
1. लाठीचार्ज हुआ था।
2. आरंभ में बंकिम के उपन्यास पढ़े।
3. आरंभ में कवियों को ही अधिक पढ़ता था।
4. केवल आनंद था पढ़ने का।
3. i. निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द परिच्छेद में से खोजकर लिखिए: (1)
1. शत्रु
2. अंत
ii. निम्नलिखित शब्दों में प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए: (1)
1. साहित्य
2. आनंद
4. ‘पढ़ना अच्छी आदत है, इस पर अपने विचार लिखिए। (2)
(इ) निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
‘जल ही जीवन है’ इस तथ्य को हम बहुत अच्छी तरह समझते हैं हम भोजन के बिना एक माह तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन जल के बिना एक सप्ताह से अधिक जीना असंभव है। जल के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए हम प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाते हैं। मानव शरीर में लगभग 60 प्रतिशत जल होता है। पृथ्वी का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा जल से भरा है, लेकिन पीने योग्य पानी सिर्फ तीन प्रतिशत ही है। बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण व कृषि विस्तार के साथ जल के दुरुपयोग के कारण एक ओर जहाँ जल की माँग बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर आज जल प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। हमारी लापरवाही के कारण ही गंगा, यमुना जैसी पवित्र व शुद्ध नदियों का जल भी दूषित हो गया है। हम जल के महत्त्व को समझते | जरूर हैं, लेकिन जल का दुरुपयोग भी जमकर करते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ‘जल है तो कल है।’ अतः अपने सुरक्षित भविष्य के लिए हमें जल को सुरक्षित रखने के साथ ही उसे दूषित होने से बचाना है। |
1. संजाल पूर्ण कीजिए:
2. जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए आप क्या करते हैं, लिखिए।
उत्तर:
(अ)
1.
2. i. लेखक को सबसे अधिक रोमांच किस खेल में आया ?
ii. यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।
3. i. 1. वाटर
2. पैराग्लाइडिंग
ii. 1. स्थान
2. खुश
4. प्रकृति इंसानों को ईश्वर द्वारा दिया गया अनमोल उपहार है। हवा, पानी, तालाब, नदी, जंगल, पर्वत, सूरज, चाँद, पहाड़ आदि सबकुछ प्रकृति का हिस्सा है। इस सुंदर प्रकृति के कारण ही धरती पर जीवन संभव हुआ है। मैं हमेशा प्रकृति की रक्षा करने का प्रयास करता हूँ। यदि कोई नदी को दूषित करता है अथवा पेड़-पौधे काटता है, तो मैं उसे रोकता हूँ। मैं पौधे लगाकर उनकी देखरेख करता हूँ और लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता हूँ। लोगों को यहाँ-वहाँ गंदगी फैलाने से रोकता हूँ। अपने मित्रों के साथ मिलकर मैं प्रकृति को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता रैली भी निकालता हूँ।
(आ)
1.
2. 1. आरंभ में कवियों को ही अधिक पढ़ता था।
2. आरंभ में बंकिम के उपन्यास पढ़े।
3. केवल आनंद था पढ़ने का।
4. लाठीचार्ज हुआ था।
3. i. 1. मित्र
2. आरंभ
ii. 1. साहित्यिक
2. आनंदित
4. पढ़ना एक अच्छी आदत है। पढ़ने से हमारा ज्ञान बढ़ता है। पढ़ी हुई बातें हमारे मस्तिष्क में काफी समय तक स्थिर रहती हैं। ज्ञान पाने के लिए एक जीवन भी छोटा पड़ जाता है। जिसे पढ़ने की आदत होती है, वह अपने जीवन में बहुत ज्ञान प्राप्त कर सकता है। विद्यार्थियों को भी नियमित पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। इससे उन्हें ज्ञान तो प्राप्त होगा साथ ही परीक्षा की भी तैयारी हो जाएगी। अतः जब भी खाली समय मिले तो सभी को ज्ञानवर्धक किताबें पढ़नी चाहिए।
(इ)
1.
2. किसी भी जलस्रोत में गंदा पानी, कूड़ा-करकट आदि नहीं डालना चाहिए। इसके अलावा जलस्रोत के तट पर कपड़े धोना, जानवरों को नहलाना, शौच करना आदि भी गलत है। इन सभी कारणों से जल प्रदूषण फैलता है। मैं अपने आस-पड़ोस स्थित जल के स्रोत और जल के आसपास के क्षेत्र की स्वच्छता के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहता हूँ। मैं कभी नदी, तालाब, झील आदि में कचरा नहीं डालता। यदि कोई ऐसा करता हुआ दिखाई देता है, तो मैं उसे समझाता है। उसे ऐसा नहीं करने की सलाह देता हूँ। मैं अपने मित्रों के साथ मिलकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करता हूँ।
विभाग 2 – पद्य : 12 अंक
प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई जाके सिर मोर मुकट, मेरो पति सोई छोड़ दई कुल की कानि, कहा करिहै कोई? संतन ढिग बैठि बैठि, लोक लाज खोई। सुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई। अब तो बेल फैल गई आनँद फल होई।। दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई। माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई।। भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई। दासी ‘मीरा’ लाल गिरिधर तारो अब मोही।। |
1. i. आकृति पूर्ण कीजिए: (1)
ii. आकृति पूर्ण कीजिए: (1)
2. i. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए: (1)
1. दुग्ध
2. मयूर
ii. निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलकर लिखिए: (1)
1. पति
2. दासी
3. कविता की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [6]
दादुर धुनि चहुँ दिसा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई।। नव पल्लव भए बिटप अनेका। साधक मन जस मिले बिबेका।। अर्क -जवास पात बिनु भयउ। जस सुराज खल उद्यक गयऊ।। खोज कहुँ मिलनहि धूरी। करइ क्रोध जिमि धरमहिं दूरी।। ससि संपन्न सोह महि कैसी। उपकारी के संपति जैसी।। निसि तम घन खद्योत बिराजा जनु दभिन्ह कर मिला समाजा।। कृषी निरावहिं चतुर किसाना जिमि बुध तजहि मोह-मद-माना।। देखिअत चक्रबाक खग नाहीं। कलिहि पाइ जिमि धर्म पराहीं।। विविध जंतु संकुल महि भ्राजा। प्रजा बाढ़ जिमि पाई सुराजा।। जहँ तहँ रहे पथिक थकि नाना। जिमि इंद्रिय गन उपजे ग्याना।। |
1. i. आकृति पूर्ण कीजिए:
ii. आकृति पूर्ण कीजिए:
2. i. इनके लिए पद्यांश में प्रयुक्त शब्द लिखिए: (1)
1. पत्ते
2. पेड़
ii. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग जोड़कर नए शब्द लिखिए:
1. मन
2. संपन्न
3. पद्यांश की प्रथम दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
(अ)
1.
2. i. 1. दूध
2. मोर
ii. 1. पत्नी
2. दास
3. मीराबाई कहती हैं कि गिरि को धारण करने वाले गिरिधर अर्थात श्रीकृष्ण के अलावा मेरा अपना कोई नहीं है। अपने माथे पर मोरपंख का मुकुट धारण करने वाले श्रीकृष्ण ही मेरे स्वामी हैं। लोग कहते हैं कि मैंने कुल की मर्यादा का उल्लंघन किया है। लोक-लाज छोड़कर में साधु-संतों के बीच बैठ गई हूँ।
(आ) 1.
2. i. 1. पात
2. बिटप
ii. 1. बेमन
2. असंपन्न
3. वर्षा ऋतु में चारों दिशाओं में हो रही मेंढकों की ध्वनि ऐसी सुहावनी लग रही है, जैसे विद्यार्थी समूह में वेद का पठन कर रहे हैं। अनेक वृक्षों में नए पत्ते आ गए हैं, जिससे वे वैसे ही हरे-भरे एवं सुशोभित हो गए हैं, जैसे साधक का मन विवेक प्राप्त होने पर हो जाता है।
विभाग 3 – पूरक पठन : 8 अंक
प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है। बूढ़ी काकी में जिह्वा स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी और न अपने कष्टों की ओर आकर्षित करने के लिए रोने के अतिरिक्त कोई दूसरा सहारा ही समस्त इंद्रियाँ, नेत्र- हाथ और पैर जवाब दे चुके थे। पृथ्वी पर पड़ी रहतीं और घरवाले कोई बात उनकी इच्छा के प्रतिकूल करते, भोजन का समय टल जाता या उसका परिमाण पूर्ण न होता अथवा बाजार से कोई वस्तु आती और न मिलती तो ये रोने लगती थीं। उनका रोना- सिसकना साधारण रोना न था, वे गला फाड़-फाड़ कर रोती थीं।
उनके पतिदेव को स्वर्ग सिधारे कालांतर हो चुका था। बेटे तरुण हो- होकर चल बसे थे। अब तक भतीजे के सिवाय और कोई न था। उसी भतीजे के नाम उन्होंने अपनी सारी संपत्ति लिख दी। लिखाते समय भतीजे ने खूब लंबे- चौड़े वादे किए किंतु वे सब वादे केवल कुली डिपो के दलालों के दिखाए हुए सब्जबाग थे। यद्यपि उस संपत्ति की वार्षिक आय डेढ़-दो सौ रुपये से कम न थी तथापि बूढ़ी काकी को पेट भर भोजन भी कठिनाई से मिलता था। |
1. संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
2. ‘बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है’, इस पर अपने विचार लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: [4]
काँटों के बीच खिलखिलाता फूल देता प्रेरणा।भीतरी कुठा आँखों के द्वार से आई बाहर।खारे जल से धुल गए विषाद मन पावन।मृत्यु को जीना जीवन विष पीना है जिजीविषा। |
1. i. आकृति पूर्ण कीजिए: (1)
ii. एक शब्द में उत्तर लिखिए:
1. इच्छा पूरी न होने पर मन में होने वाला दुख-
2. जीने की प्रबल इच्छा-
2. परोपकार के संदर्भ में अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ)
1.
2. प्रत्येक मनुष्य को बचपन, यौवन और बुढ़ापा इन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। बचपन में वह चिंताओं से मुक्त रहता है। उसके माता-पिता उसकी देखभाल करते हैं। उसकी हर इच्छा पूरी करते हैं। वह अपने माता-पिता पर पूरी तरह आश्रित रहता है। बुढ़ापा भी कुछ इसी तरह का होता है, जब व्यक्ति दूसरों पर आश्रित हो जाता है। जैसे कि बचपन में जो बच्चा अपने माता-पिता पर आश्रित होता है, बुढ़ापे में वही अपने पुत्र-पुत्री पर आश्रित हो जाता है। बुढ़ापे में व्यक्ति तन-मन से कमजोर हो जाता है। उसे अपने हर कार्य में दूसरों की मदद की आवश्यकता होती है। इसी कारण कहा जाता है कि बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है।
(आ)
1.
ii. 1. विषाद
2. जिजीविषा
2. दूसरों पर उपकार करना ही परोपकार कहलाता है। हमारे ऋषि-मुनियों और महापुरुषों ने भी परोपकार को सबसे बड़ा पुण्य बताया है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी परोपकार की महिमा के बारे में लिखा गया है। प्रकृति भी हमेशा परोपकार का संदेश देती है। जो मनुष्य दूसरों की मदद करता है, उसे लोगों द्वारा सम्मान मिलता है। ऐसे व्यक्ति को आवश्यकता पड़ने पर दूसरों से भी मदद अवश्य मिलती है। लोग परोपकारी व्यक्ति को आदर्श मानकर उसके दिखाए मार्ग पर चलते हैं। मनुष्य न सिर्फ मनुष्य, बल्कि अन्य जीव-जंतुओं की भी मदद कर सकता है। परोपकार अर्थात सिर्फ धन अथवा बल से दूसरों की मदद करना नहीं होता है। इस संसार का प्रत्येक जीव किसी-न-किसी रूप से एक-दूसरे की आवश्यकता पड़ने पर मदद कर सकता है।
विभाग 4 – भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 14 अंक
प्रश्न 4.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
1. अधोरेखांकित शब्द का भेद लिखिए: (1)
कृषक खेती करता है।
2. निम्नलिखित अव्ययों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए: (1)
i. के पास
ii. और
3. तालिका पूर्ण कीजिए: (दो में से कोई एक) (1)
संधि शब्द | संधि विच्छेद | भेट |
i. उज्ज्वल | __________ | __________ |
ii. __________ | अति + अधिक | __________ |
4. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य की सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए: (1)
i. सिरचन की उँगलियों में सुतली के फंदे पड़ने लगे।
ii. तुमने सब कुछ बहुत ठीक कर दिया।
5. निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए: (1)
i. नाचना ________
ii. रुकना ________
6. निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए: (1)
i. मन तरंगायित होना
ii. फूट-फूटकर रोना
अथवा
अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए गए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए:
(इज्जत उतारना, धो डालना)
दहेज की माँग बढ़ाने पर दुल्हन ने सबके सामने ससुरालवालों को अपमानित कर दिया।
7. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य में प्रयुक्त कारक चिह्न पहचानकर उसका भेद लिखिए: (1)
i. समय आने पर गहने फिर बन जाएँगे।
ii. यह नदी वर्षभर पानी से भरी रहती है।
8. निम्नलिखित वाक्य में उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए: (1)
हाय कितनी निर्दयी हूँ
9. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए: (2)
i. विषमता दूर करने में कानून भी कुछ मदद देता है (सामान्य भविष्य काल)
ii. एक जगह खाने पर चले गए थे। (पूर्ण वर्तमान काल )
iii. वह घर से निकलेगी। (सामान्य भूत काल )
10. i. निम्नलिखित वाक्य का रचना के अनुसार भेद लिखिए: (1)
कोई तिरछे नेत्रों से देखता था कि और लोग अभी खा रहे है या नहीं।
ii. निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए: (1)
i. रतन बीबी जी के कमरे में से हारमोनियम उठा ला। (विधानार्थक वाक्य)
ii. सातों तारे मंद पड़ गए। (संदेहार्थक वाक्य)
11. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए: (2)
i. शिलाई तो सारे घर कि इसी के जिम्मे है।
ii. राशन के लिए कुछ रूपये रखे थे।
iii. अब घबड़ाने की कोई बात नहीं।
उत्तर:
(अ)
1. कृषक – संज्ञा
2. i. श्याम ने दरवाजे के पास अपना बिस्तर बिछाया।
ii. मेरा कमरा और अलमारी ठीक कर दो।
}दो में से कोई एक
3.
संधि शब्द | संधि विच्छेद | भेट |
i. उज्ज्वल | उत् + ज्वल | व्यंजन संधि |
ii. अत्यधिक | अति + अधिक | स्वर संधि |
}दो में से कोई एक
4. i. लगे(लगना)
ii. दिया (दिना)
} दो में से कोई एक
5.
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
i. नाचना | नचाना | नचवाना |
ii. रुकना | रोकना | रुकवाना |
} दो में से कोई एक
6. i. मन तरंगावित होना मन उमंग से भरना।
वाक्य : पिकनिक पर जाने की बात सुनकर अंगद का मन तरंगायित हो गया।
ii. फूट-फूटकर रोना जोर-जोर से रोना।
वाक्य : माँ ने जब खिलौना खरीदने से इंकार कर दिया तो खुशबू फूट-फूटकर रोने लगी।
}दो में से कोई एक
अथवा
दहेज की माँग बढ़ाने पर दुल्हन ने सबके सामने ससुरालवालों की इज्जत उतार दी।
7. i. पर – अधिकरण कारक
ii. से – करण कारक
}दो में से कोई एक
8. हाय! कितनी निर्दयी हूँ।
9. i. विषमता दूर करने में कानून भी कुछ मदद देगा।
ii. एक जगह खाने पर चले गए हैं।
iii. वह घर से निकली।
}तीन में से कोई दो
10. i. मिश्र वाक्य
i. रतन बीबी जी के कमरे में से हारमोनियम उठा लाया।
ii. शायद सातों तारे मंद पड़ गए।
}दो में से कोई एक
11. i. सिलाई तो सारे घर की इसी के जिम्मे है।
ii. राशन के लिए कुछ रुपये रखे थे।
iii. अब घबराने की कोई बात नहीं।
}तीन में से कोई दो
विभाग 5 – उपयोजित लेखन : 26 अंक
प्रश्न 5.
सूचनाओं के अनुसार लिखिए:
(अ)
1. पत्र-लेखन: (5)
निम्नलिखित सूचना के आधार पर पत्र तैयार करें:
अथवा
अपने मित्र/सहेली को जिला दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त होने के उपलक्ष्य में बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
2. गद्य – आकलन ( प्रश्न निर्मिति): (4)
निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर उस पर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों:
ध्वनि प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहरों में आबादी बढ़ने के साथ-साथ निरंतर शोर भी बढ़ रहा है। वाहनों की बढ़ती संख्या व लगातार बढ़ रहे उद्योगों के कारण शोर बढ़ा रहा है। ध्वनि जब एक निश्चित मात्रा से बढ़ जाए, तो वह शोर बन जाती है यह शोर प्राकृतिक और मनुष्णा निर्मित साधनों से पैदा होता है। तेज ध्वनियों को सहन करने की हमारे श्रवण- इंद्रियों की एक क्षमता होती है। जब यह क्षमता से अधिक होती है, तो इनसे सिरदर्द और घबराहट होने लगती है। मनुष्यों द्वारा निर्मित ध्वनियाँ कारखानों, मशीनों, रेलगाड़ियों, वाहनों, हवाई जहाजों, पटाखों, ढोल बाजों, लाउडस्पीकरों आदि से पैदा होती हैं। इनसे निकलने वाली ध्वनियाँ बहुत तेज, कर्कश और निरंतर होती हैं, जिस कारण ये हमारी सामान्य श्रवण क्षमता से अत्यधिक हो जाती हैं। अत्यधिक ध्वनि- न- प्रदूषण से कई शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। इनमें बहरापन, सिरदर्द, घबराहट, उच्च रक्तचाप, हृदयाघात आदि हैं। अतः हमें ध्वनि प्रदूषण को कम करने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए। |
(आ)
1. वृत्तांत लेखन (70 से 80 शब्द) (5)
नीचे दिए गए विषय पर वृत्तांत लिखिए:
अथवा
कहानी-लेखनः
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर लगभग 70 से 80 शब्दों में एक रोचक कहानी गठित कीजिए और कहानी को उचित शीर्षक देते हुए कहानी से प्राप्त सीख का उल्लेख कीजिए:
गाँव में एक तालाब होना – तालाब में कछुए की दो हंसों से दोस्ती होना – तालाब सूखना – हंसों द्वारा दूसरे तालाब में जाने की सोचना – कछुए का उपाय बताना – हंसों को कछुए को एक लकड़ी के सहारे लेकर उड़ना – कछुए को न बोलने की चेतावनी देना – कछुए का बोल पड़ना – कछुए का गिरकर मर जान – सीख।
2. विज्ञापन-लेखन (50 से 60 शब्द) (5)
(इ) निबंध लेखन: (7)
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए: (5)
1. समाचार पत्र
2. शैक्षणिक यात्रा
3. पेड़ की आत्मकथा
उत्तर:
(अ)
1. 14 अगस्त, 2023
सेवा में,
मुंबई महानगरपालिका,
सयानी रोड,
मुंबई।
[email protected]
विषय: सूखे व घातक वृक्ष को कटवाने हेतु विनती।
महोदय,
हमारे परिसर के गेट के पास एक बड़ा वृक्ष है, जो कई महीनों से सूखा पड़ा है। उसकी स्थिति जर्जर हो गई। वह कभी भी गिर सकता है। कल रात को तेज हवा के झोंके से उस वृक्ष की एक डाल टूटकर नीचे गिर गई। परिसर का एक व्यक्ति इस हादसे में घायल होते-होते बच गया। इस तरह के अन्य हादसे होने से रोकने के लिए इस घातक वृक्ष को काट देना आवश्यक है।
अतः मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप जल्द से जल्द इस सूखे व घातक वृक्ष को कटवा दें।
धन्यवाद!
विनीत
देवेंद्र
देवेंद्र शर्मा.
रूम नं. 10,
श्री सेवा सदन,
वरली, मुंबई।
[email protected]
अथवा
1 अगस्त, 2023
[email protected]
प्रिय साईंनाथ,
हस्तमिलन|
मैं स्वस्थ व सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी प्रसन्न व कुशल होगे। आज के ‘परीक्षा’ अखबार से यह जानकर गर्व से सीना फूल गया कि तुम्हें जिला दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। पुरस्कार प्राप्त कर तुमने न केवल अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है, बल्कि अपने परिवार, समाज व जिले का भी मान बढ़ाया है।
आज मुझे तुम्हारा मित्र होने पर सचमुच बहुत गर्व हो रहा है। तुम इसी तरह सदैव प्रगति के पथ पर गतिमान रहो व सफलता के नित नए आयाम छुओ । मेरी शुभकामनाएँ प्रतिपल तुम्हारे साथ हैं। चाचा जी और चाची जी को मेरा प्रणाम और साक्षी को प्यार।
तुम्हारा मित्र,
समीर
समीर चौहान,
204/वी,
पी. टी. रोड, कोल्हापुर।
[email protected]
2. 1. आबादी बढ़ने के साथ ही क्या बढ़ रहा है?
2. ध्वनि निश्चित मात्रा से बढ़ जाने पर क्या बन जाती है?
3. मानव निर्मित ध्वनियाँ किनसे पैदा होती हैं?
4. ध्वनि प्रदूषण से कौन-कौन सी बीमारियाँ होती हैं?
(आ) 1. धूमधाम से मनाया गया महिला दिवस
मुंबई। लक्ष्य पब्लिकेशंस के कार्यालय में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 8 मार्च, 2023 को महिलाओं के सम्मान में ‘महिला दिवस’ मनाया गया। इस दिन सुबह 10.00 बजे कार्यालय के लोगों ने महिलाओं के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. शारदा को आमंत्रित किया गया था। डॉ. शारदा मुंबई की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं। कार्यालय के संचालक ने मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
सरस्वती वंदना के साथ ही दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम में हर महिला को पुष्पगुच्छ देकर महिला दिवस की बधाई दी गई। इस अवसर पर कार्यालय के लोगों ने नृत्य, संगीत व नाटक की प्रस्तुति की। कार्यालय के संचालक द्वारा महिलाओं द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों की प्रशंसा की गई। मुख्य अतिथि ने महिलाओं की कर्तव्यनिष्ठा व ईमानदारी की तारीफ की तथा भविष्य में और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया। अंत में कार्यालय के उपसंचालक ने मुख्य अतिथि व वहाँ उपस्थित सभी महिलाओं के प्रति आभार प्रकट किया और शाम 5.00 बजे कार्यक्रम का समापन किया गया।
अथवा
बातूनी कछुआ
रामपुर बहुत ही बड़ा गाँव था। चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी। गाँव के किनारे एक बड़ा तालाव था, जिसमें बहुत सारी मछलियाँ और एक कछुआ रहता था। कछुआ बहुत बातूनी था। उस तालाब में दो हंस रोज मछलियाँ खाने आया करते थे। कछुआ उन दोनों से भी बहुत बातें करता था। धीरे-धीरे उनमें गहरी दोस्ती हो गई, तो दोनों हंस भी उसी तालाब में रहने लगें।
गर्मी का मौसम था। भीषण गर्मी के कारण तालाब का पानी धीरे-धीरे सूखने लगा। हंस तो उड़कर दूसरे तालाब में जाने की योजना बनाने लगें, लेकिन समस्या यह थी कि कछुए को दूसरे तालाब में कैसे ले जाया जाए? तीनों ने बहुत सोचा फिर कछुए को एक उपाय सूझा। कछुए ने कहा कि वे अपने पंजों में एक डंडा पकड़ लें और उस डंडे को वह अपने मुँह से पकड़ लेगा। इस तरह वे उड़कर दूसरे तालाब में चले जाएँगे। हंसों को यह उपाय अच्छा लगा। उन्होंने कछुए को दूसरे तालाब में ले जाने से पहले ही चेतावनी दी कि जब वे उड़ते हुए तुम्हें दूसरे तालाब में ले जाएँगे, तब कछुआ अपना मुँह न खोले। कछुआ राजी हो गया और दोनों उसे उड़ाकर ले जाने लगे।
रास्ते में हंसों के साथ कछुए को उड़ते हुए देखकर नीचे खेल रहे बच्चे चिल्लाने लगे। एक ने कहा, “यदि यह कछुआ नीचे गिर गया, तो मैं इसे तालाब में छोड़ दूँगा।” कछुआ उसकी बातें सुन रहा था। तब तक दूसरे बच्चे ने कहा, “मैं तो इसे घर ले जाकर पकाकर खाऊँगा।” बच्चे की बात सुनकर कछुआ गुस्से में आया और जैसे ही उसने उस लड़के को जवाब देने के लिए मुँह खोला, वह धड़ाम से नीचे जा गिरा और मर गया।
हंसों को कछुए की स्थिति देखकर बहुत रोना आया। उन्होंने रोते हुए कहा, “काश! कछुआ हमारी बात मान लेता, तो आज वह जिंदा होता।”
सीख : ज्यादा बोलने की आदत अच्छी नहीं है।
2.
(इ)
1. समाचार-पत्र
समाचार-पत्र हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण और आवश्यक अंग बन चुका है। रोज सुबह- सुवह समाचार-पत्र सूचनाओं का दूत बनकर हमारे घर में प्रवेश करता है। समाचार-पत्रों में बीते कल की प्रमुख घटनाओं के साथ-साथ आने वाले दिनों की सूचना भी मिलती है। देश-दुनिया की खबरें भी समाचार-पत्र में पढ़ने को मिल जाती हैं।
समाचार-पत्र को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। समाचार-पत्र देश की शासन व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके माध्यम से राजनीति, प्रशासन, समाज, खेल-कूद, शिक्षा, व्यवसाय, संस्कृति, फिल्म, संगीत, भोजन, कला आदि अनेक क्षेत्रों से संबंधित खबरें व जानकारियाँ हमें मिलती हैं।
राजनीतिक विषयों के अलावा सामाजिक मुद्दों पर भी समाचार-पत्र हमें सचेत करते हैं। वे सामाजिक बुराइयों से लड़ना सिखाते हैं। समाचार-पत्रों से हमें अपने गाँव कस्बे और शहर से संबंधित खबरें मिलती हैं। व्यक्ति अपने व्यापार, विवाह, नौकरी अथवा अन्य विषयों से संबंधित विज्ञापन भी समाचार-पत्रों में देख सकता है। गृहणियों और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कई लेख इनमें छपते हैं।
समाचार-पत्रों की उपयोगिता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इसलिए इनकी संख्या भी बढ़ रही है। देश की प्रत्येक भाषा में समाचार-पत्र प्रकाशित हो रहे हैं । समाचार-पत्र का प्रकाशन भी एक उद्योग का रूप ले चुका है। देश की अर्थव्यवस्था में भी इसका योगदान है। यह रोजगार का महत्त्वपूर्ण साधन भी है। इस तरह समाचार पत्रों की हमारे जीवन में उपयोगिता बढ़ गई है।
अथवा
2. शैक्षणिक यात्रा
हमारे स्कूल में नौवीं और दसवीं के विद्यार्थियों को शैक्षणिक यात्रा पर ले जाया जाता है। पिछले ही महीने दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को शैक्षणिक यात्रा के लिए ‘करनाला पक्षी अभयारण्य’ ले जाया गया। सभी विद्यार्थी जंगल, पहाड़, झरने, किले और वन्य-जीवन को देखने के लिए बड़े उत्साहित थे।
यह अभयारण्य हमारे विद्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। सुबह सात बजे हमारी स रवाना हुई और हम बस में अंताक्षरी खेलते-खेलते करनाला पहुँच गए थे। हमारे साथ कुछ शिक्षक भी थे। हमें जंगल में ट्रैकिंग करते हुए करनाला किले तक जाना था।
पक्षी अभयारण्य के गेट से करनाला फोर्ट तक की दूरी दो किलोमीटर से थोड़ी अधिक थी। स्काउट सर अनिल शिंदे ने जैसे ही सीटी बजाई सभी छात्र ट्रैकिंग के लिए तैयार हो गए। 10-10 छात्रों के कुल चार समूह बनाए गए सभी समूहों को नाम दिए गए ‘महाराणा प्रताप’, ‘छत्रपति शिवाजी’, ‘रानी लक्ष्मीबाई’ और ‘महाराज अशोक’ में ‘महाराज अशोक’ समूह में था। हमारे गाइड हमें रास्ते में आने वाले पेड़-पौधों, पक्षियों की जानकारी भी देते जा रहे थे। जंगल को इतने करीब से देखना यह मेरे जीवन का पहला अवसर था। यहाँ हमने कई प्रकार के पक्षी देखे। कई पक्षी तो दुर्लभ हो चुके हैं और इन्हें केवल यहीं देखा जा सकता है।
वह सितंबर का महीना था। तीन घंटे की ट्रैकिंग कर हम लोग आखिरकार करनाला फोर्ट पहुँच ही गए। यह किला काफी जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। हमें लगा कि हमारा समूह पहले पहुँचा है। वहाँ जाकर देखा, तो ‘छत्रपति शिवाजी’ सबसे पहले पहुँच चुका था। हमारे बाद ‘रानी लक्ष्मीबाई’ और ‘महाराणा प्रताप’ समूह साथ-साथ पहुँचे। किले में पहुँचकर हमने अद्भुत दृश्य देखा। ऐसा लगा कि हम सबसे ऊँची जगह पर आ गए हैं।
गाइड ने हमें नीचे बसे गाँवों के बारे में जानकारी दी। यहाँ खेती, बागवानी, पशुपालन आदि से लोग अपनी जीविका चलाते हैं। किले में हमने खाना खाया। अंताक्षरी खेली और सबने खूब फोटो खींचे। लौटते समय गाइड हमें एक गाँव में ले आया। जहाँ हमने गाँव के सरपंच के साथ गाँव का निरीक्षण किया और ग्रामीण जीवन की जानकारी हासिल की।
इस तरह वन्य-जीवन और ग्रामीण जीवन की जानकारी लेते हुए हम सभी ने इस शैक्षणिक यात्रा का उद्देश्य पूरा किया और स्कूल लौट आए।
अथवा
3. पेड़ की आत्मकथा
आह! लगता है आज कहीं हवन-पूजा होने वाली है, तभी ये लोग मेरी टहनी तोड़कर लिए जा रहे हैं। लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं मैं हूँ आपका मित्र पेड़ में आम का पेड़ हूँ। मेरे आम बहुत बड़े-बड़े और मीठे होते हैं।
मैं आज आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ। गर्मी का मौसम था, दादा जी के पोते ने आम खाकर गुठली को जमीन खोदकर गाड़ दिया था। मिट्टी से पोषण मिला और वर्षाऋतु में पानी से जैसे जीवन मिल गया। मुझमें अंकुर फूटा और मैं जमीन की सतह के ऊपर आ गया। फिर दादा जी एवं बच्चे की सेवा ने आज मुझे हरा-भरा वृक्ष बना दिया है। वृक्ष बनने के बाद से आज तक मैं पशु, पक्षी एवं प्राणीमात्र की सेवा ही करता चला आ रहा हूँ।
एक घटना सुनाता हूँ, उस दिन तो जैसे मेरी साँसें ही अटक गई थीं। एक दिन कुछ लोगों ने मुझे काटने की कोशिश की, लेकिन मेरे जन्मदाता जो आज 53 वर्ष के हो चुके हैं, उनकी विनती के कारण मेरे प्राण आज भी सुरक्षित हैं सोचता हूँ एक समय था, जब चारों ओर हरियाली थी, लेकिन आधुनिकीकरण व शहरीकरण के चलते जंगल समाप्त होते जा रहे हैं। जंगलों के कटने के कारण मौसम के चक्र में अनियमितता आती जा रही है, किंतु हम क्या कर सकते हैं?
हमारा विनाश करके मनुष्य ने केवल बाढ़, भू-क्षरण एवं अकाल को ही न्यौता दिया है, इसलिए हमारा रक्षण मनुष्य के लिए महत्त्वपूर्ण है। यदि मनुष्य पेड़ों की सुरक्षा नहीं करेगा, तो भविष्य में मनुष्य को इसका बहुत नुकसान होगा।