Maharashtra Board SSC Class 10 Hindi Question Paper 2023 with Answers Solutions Pdf Download.
SSC Hindi Question Paper 2023 with Answers Pdf Download Maharashtra Board
[Time: 2 Hours]
[Max Marks : 100]
सामान्य निर्देश :
1. सूचना के अनुसार गद्य, पद्य, पूरक पठन तथा भाषा अध्ययन (व्याकरण) की आकलन कृतियों में आवश्यकता के अनुसार आकृतियों में ही उत्तर लिखना अपेक्षित है।
2. सभी आकृतियों के लिए पेन का ही प्रयोग करें।
3. रचना विभाग में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए आकृतियों की आवश्यकता नहीं है। शुद्ध, स्पष्ट एवं सुवाच्य लेखन अपेक्षित है।
विभाग 1 – गद्य : 20 अंक
प्रश्न 1.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (8)
सबसे पहले हम अंजुना बीच पहुँचे । गोवा में छोटे-बड़े करीब 40 बीच हैं लेकिन प्रमुख सात या आठ ही हैं। अंजुना बीच नीले पानीवाला, पथरीला बहुत ही खूबसूरत है। इसके एक ओर लंबी सी पहाड़ी है, जहाँ से बीच का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। समुद्र तक जाने के लिए थोड़ा नीचे उतरना पड़ता है। नीला पानी काले पत्थरों पर पछाड़ खाता रहता है । पानी ने काट-काटकर इन पत्थरों में कई छेद कर दिए हैं जिससे ये पत्थर कमजोर भी हो गए हैं। साथ ही समुद्र के काफी पीछे हट जाने से कई पत्थरों के बीच में पानी भर गया है। इससे वहाँ काई ने अपना घर बना लिया है। फिसलने का डर हमेशा लगा रहता है लेकिन संघर्षों में ही जीवन है, इसलिए यहाँ घूमने का भी अपना अलग आनंद है। यहाँ युवाओं का दल तो अपनी मस्ती में डूबा रहता है, लेकिन परिवार के साथ आए पर्यटकों का ध्यान अपने बच्चों को खतरों से सावधान रहने के दिशा निर्देश देने में ही लगा रहता है। मैंने देखा कि समुद्र किनारा होते हुए भी बेनालिया बीच तथा अंजुना बीच का अपना-अपना सौंदर्य है। बेनालियम बीच रेतीला तथा उथला है यह मछुआरों की पहली पसंद है।
(1) विशेषताएँ लिखिए: (2)
(2) एक / दो शब्दों में उत्तर लिखिए:(2)
(1) गोवा के छोटे-बड़े बीच की संख्या…………………….
(ii) काई ने यहाँ घर बना लिया था…………………….
(iii) अपने बच्चों को खतरों से सावधान कराने वाले…………………….
(iv) बेनालियम बीच इनकी पहली पसंद है…………………….
(3) (i) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए: (1)
(1) बदसूरत × …………..
(2) नापसंद × …………..
(ii) निम्नलिखित शब्दों के लिए पर्यायवाची शब्द लिखिए:
(1) कमजोर × …………..
(2) आनंद × …………..
(4) अपने द्वारा किए हुए पर्यटन का एक अनुभव 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (8)
आम तौर से माना जाता है कि रुपया, नोट या सोना-चाँदी का सिक्का ही संपत्ति है, लेकिन यह ख्याल गलत है क्योंकि ये तो संपत्ति के माप-तौल के साधन मात्र हैं। संपत्ति तो वे ही चीजें हो सकती हैं जो किसी-न-किसी रूप में मनुष्य के उपयोग में आती हैं। उनमें से कुछ ऐसी हैं जिनके बिना मनुष्य जिंदा नहीं रह सकता एवं कुछ, सुख-सुविधा और आराम के लिए होती हैं । अन्न, वस्त्र और मकान मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं, जिनके बिना उसकी गुजर-बसर नहीं हो सकती। इनके अलावा दूसरी अनेक चीजें हैं जिनके बिना मनुष्य रह सकता है।
प्रश्न उठता है कि संपत्तिरूपी ये सब चीजें बनती कैसे हैं? सृष्टि में जो नानाविध द्रव्य तथा प्राकृतिक साधन हैं उनको लेकर मनुष्य शरीर श्रम करता है, तब यह काम की चीजें बनती हैं। अत: संपत्ति के मुख्य साधन दो हैं: सृष्टि के द्रव्य और मनुष्य का शरीर श्रम। यंत्र से कुछ चीजें बनती दिखती हैं पर वे यंत्र भी शरीर श्रम से बनते हैं और उनको चलाने में भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष शरीर श्रम की आवश्यकता होती है। केवल बौदधिक श्रम से कोई उपयोग की चीज नहीं बन सकती अर्थात् बिना शरीर श्रम के संपत्ति का निर्माण नहीं हो सकता।
(1) आकृति में दिए गए शब्दों का सूचना के अनुसार वर्गीकरण कीजिए:
(2) उत्तर लिखिए: (2)
गद्यांश में उल्लेखित ख्याल | ख्याल गलत होने का कारण |
(3) सूचनाओं के अनुसार कृति पूर्ण कीजिए:
(i) गद्यांश में प्रयुक्त शब्दयुग्म लिखिए:
(1) …………………….
(2) …………………….
(ii) वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए:
चीजें बनती दिखती हैं।
(4) ‘शारीरिक श्रम का महत्त्व’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)
(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (4)
मधुरता सत्य का अनुमान है और मिलना उसका पथ्य है। जिसे हम सम्यक वाणी कहते हैं; वह सत्य, मित और मधुर होती है और बड़ी परिणामकारक भी होती है। समाज का हित किस बात में है, यह समझना कभी कठिन हो सकता है। परंतु सम्यक वाणी से ही वह सधेगा, यह किसी भी आदमी के लिए समझना कठिन नहीं होना चाहिए।
परंतु यही आज भारी हो रहा है। समाजहित के नाम पर कार्यकर्ताओं की वाणी दूषित हो गई है, अर्थात् मन ही दूषित हो गया है । फिर कृति कैसे सृजित हो सकती है।
आज लेखन व भाषण के साधन सुलभतम हो गए हैं। परंतु शायद इसी कारण सभ्य वाणी दुर्लभ हो गई है । सभ्य वाणी को खोकर सुलभ साधनों की प्राप्ति करना यानी कवि की भाषा में नेत्र बेचकर चित्र खरीदने जैसा है।
(1) संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
(2) ‘वाणी : मनुष्य को प्राप्त वरदान’ इस विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ) (1) विशेषताएँ :
(2) (i) गोवा के छोटे-बड़े बीच की संख्या – 40
(ii) काई ने यहाँ घर बना लिया था – पत्थरों के बीच
(iii) अपने बच्चों को खतरों से सावधान कराने वाले – परिवार के साथ आए पर्यटक
(iv) बेनालियम बीच इनकी पहली पसंद है – मछुआरों की
(3) (1) (i) बदसूरत – खूबसूरत
(ii) नापसंद पसंद
(2) (i) कमजोर – दुर्बल
(ii) आनंद – खुशी
(4) पर्यटन का अपना अलग ही आनंद है। इसमें पर्यटकों को बहुत मजा आता है। मैंने भी इसका अनुभव लिया है। मैं बचपन में अपने परिवार के साथ गोवा गया था । वहाँ पर मैंने डॉल्फिन, मछलियाँ और बड़े-बड़े नावों का मजा लिया। मैं वहाँ सात दिन रुका था। मैंने बहुत मजे लिए, मैंने वहाँ अन्य भी बहुत चीजों का अनुभव लिया। वहाँ के बहुत सारे दृश्य देखने लायक थे।
(आ) (1) (i)
संपत्ति के मुख्य साधन | मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता |
(i) सृष्टि के द्रव्य | (i) वस्त्र |
(ii) मनुष्य का शरीर श्रम | (ii) अन्न |
(2) (i)
गद्यांश में उल्लेखित ख्याल | ख्याल गलत होने का कारण |
रुपया, नोट या सोना चाँदी का सिक्का ही संपत्ति है। | ये सब संपत्ति के माप-तौल के साधन मात्र हैं। |
(3) (i) (1) माप – तौल
(2) सोना – चाँदी
(ii) चीज बनती दिखती है।
(4) ‘शारीरिक श्रम का महत्व’
परिश्रम ही मनुष्य जीवन का सच्चा सौंदर्य है मनुष्य के पास श्रम के अतिरिक्त कोई वास्तविक सम्पत्ति नहीं है। यदि यह कहा जाए कि श्रम ही जीवन है तो यह गलत न होगा, जीवन में श्रम अनिवार्य है। संसार में प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है। संसार-चक्र सुख की प्राप्ति के लिए चल रहा है। संसार का यह चक्र यदि एक क्षण के लिए रुक जाए तो प्रलय हो सकती है।
इसी परिवर्तन और परिश्रम का नाम जीवन है। हम देखते हैं कि निर्गुणी व्यक्ति गुणवान हो जाते हैं, मूर्ख बड़े-बड़े शास्त्रों में पारंगत हो जाते हैं; निर्धन धनवान् बनकर सुख व चैन की जिंदगी बिताने लगते हैं।
जीवन में श्रम का अत्यधिक महत्व है। हमें अपने जीवन में श्रम करते रहना चाहिए। जब कर्म होगा तो जरूर सफलता भी हाथ में होगी श्रम से महत्वपूर्ण वस्तु इस संसार में नहीं है; श्रम ही कर्म है और कर्म में ही जीवन।
(ई) (1)
(2) वाणी व्यक्तित्व का आभूषण है। वाणी से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है। मधुरवाणी हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। वानी नहीं होती तो मनुष्य एक-दूसरे से बात नहीं कर पाते।
मधुर वाणी का उपयोग करके मनुष्य बिगड़े काम बना लेते हैं। मीठी वाणी सफलता के द्वार खोल देती है और तमाम उलझनों को सुलझा देती है। इसलिए हमें सदैव मुधर वाणी का प्रयोग करना चाहिए। कटु वाणी वाला व्यक्ति अकेला पड़ जाता है। उससे कोई बात भी करना पसंद नहीं करता। वह समाज और परिवार में अलग थलग पड़ जाता है अर्थात् मनुष्य को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो दूसरों को शीतलता प्रदान करे।
विभाग 2 – पद्य : 12 अंक
प्रश्न 2.
(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (6)
हाथ में संतोष की तलवार ले जो उड़ रहा है,
जगत में मधुमास, उसपर सदा पतझर रहा है,
दीनता अभिमान जिसका, आज उस पर मान कर लूँ।
उस कृषक का गान कर लूँ ।।
च्सकर श्रम रक्त जिसका, जगत में मधुरस बनाया,
एक-सी जिसको बनाई, सृजक ने भी धूप-छाया,
मनुजता के ध्वज तले, आह्वान उसका आज कर लूँ।
उस कृषक का गान कर लूँ ।।
(1) आकृति में लिखिए :
(2) (i) उपर्युक्त पद्यांश से ‘ता’ प्रत्यवयुक्त दो शब्द ढूँढकर लिखिए: (1)
(1) …………………….
(2) …………………….
(ii) पद्यांश में आए दो संस्कृत शब्द वैठकर लिखिए: (1)
(1) …………………….
(2) …………………….
(3) उपर्युक्त पदयांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (6)
दादुर धुनि चहुँ दिसा सुहाई । बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई।।
नव पल्लव भए बिटप अनेका साधन मन जस मिले विवेका।।
अर्क-जवास पात बिनु भयऊ। जस सुराज खल उद्यम गयऊ।।
खोजत कतहुँ मिलइ नहिं धूरी करह क्रोध जिमि धरमहिं दूरी।।
ससि संपन्न सोह महि कैसी। उपकारी के संपति जैसी।।
निसि तम घन खद्योत बिराजा। जनु दभिन्ह कर मिला समाजा।।
कृषी निरावहिं चतुर किसाना। जिमि बुध तजहिं मोह मद माना।।
देखिअत चक्रबाक खग नाहीं। कलिहिं पाइ जिमि धर्म पराहीं।।
विविध जंतु संकुल महि भ्राजा। प्रजा बाढ़ जिमि पाई सुराजा।।
जहँ तहँ रहे पथिक थकि नाना। जिमि इंद्रिय गन उपजे ग्याना।।
(1) परिणाम लिखिए :
(i) कलियुग आने से …………………….
(ii) सुराज होने से …………………….
(iii) बरसात के आने से …………………….
(iv) क्रोध के आने से …………………….
(2) पद्यांश से ढूँढकर लिखिए:
(i) ऐसे दो शब्द जिनका वचन परिवर्तन से रूप नहीं बदलताः
(1) …………………….
(2) …………………….
(ii) ऐसे शब्द जिनका अर्थ निम्न शब्द हों :
(i) मेंढ़क …………………….
(ii) वृक्ष …………………….
(3) उपर्युक्त पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
(अ) (1)
(2) (i) (1) दीनता
(2) मनुजता
(ii) (1) कृषक
(2) सृजक
(3) कवि कहते हैं, संतोष रूपी धन के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। पूरे संसार में कैसा भी बसंत आए कृषक के जीवन में हमेशा के लिए पतझर रहा है। कवि ऐसे व्यक्ति पर अभिमान करना चाहता है। ऋतुएँ बदलती हैं, परिस्थितियाँ बदलती हैं लेकिन कृषक के भाग्य में अभाव ही रहता है। दयनीय स्थिति के बावजूद उसे किसी से कुछ माँगना अच्छा नहीं लगता।
(आ) (1)
(i) धर्म भाग जाता है।
(ii) दुखों का उद्गम जाता है।
(iii) धूल कहीं खोजने को भी नहीं मिलती।
(iv) धर्म दूर हो जाता है।
(2) (i) (1) धन
(2) धर्म
(ii) (1) दादुर
(2) विटप
(3) कवि कहते हैं जब दादुर समुदाय की ध्वनि चारों दिशाओं में फैल जाती है, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे विद्यार्थी के वेद पाठ कर रहे हों। कई वृक्षों पर नए पत्ते आने से वे हरे-भरे व सुंदर हो गए हैं जैसे किसी साधक या भक्त का मन ज्ञान प्राप्त होने पर हो जाता है । अर्क और जवास के पेड़ के पत्ते झड़ गए स्वराज्य का उद्यम गाता है। तब खोजने पर भी कुछ नहीं मिलता जैसे क्रोध धर्म को दूर कर देता है अर्थात् क्रोध का आवेश होने पर धर्म का ज्ञान नहीं रह जाता।
विभाग 3 – पूरक पठन 8 अंक
प्रश्न 3.
(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (4)
रूपा उस समय कार्य भार से उदविग्न हो रही थी। कभी इस कोठे में जाती, कभी उस कोठे में, कभी कड़ाह के पास आती, कभी भंडार में जाती। किसी ने बाहर से आकर कहा – ‘ महाराज ठंडाई माँग रहे हैं। ठंडाई देने लगी। आदमी ने आकर पूछा-‘अभी भोजन तैयार होने में कितना विलंब है? जरा ढोल मंजीरा उतार दो’ बेचारी अकेली स्त्री दौड़ते-दौड़ते व्याकुल हो रही थी, झुंझलाती थी, कुढ़ती थी, परंतु क्रोध प्रकट करने का अवसर न पाती थी। भय होता, कहीं पड़ोसिनें यह न कहने लगें कि इतने में उबल पड़ीं। प्यास से स्वयं कंठ सूख रहा था। गरमी के मारे फुंकी जाती थी परंतु इतना अवकाश भी नहीं था कि जरा पानी पी ले अथवा पंखा लेकर झले। यह भी खटका था कि जरा आँख हटी और चीजों की ‘लूट मची।
(1) संजाल पूर्ण कीजिए: (2)
(2) ‘कर्तव्यनिष्ठा और कार्यपूर्ति’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)
(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: (4)
मन की पीड़ा
छाई बन बादल
बरसी आँखें।
चलतीं साथ
पटरियाँ रेल की
फिर भी मौन।
सितारे छिपे
बादलों की ओट में
सूना आकाश।
(1) उत्तर लिखिए:
(i) मौन बनी – …………………….
(ii) छिपे हुए – …………………….
(iii) बरसी हुई – …………………….
(iv) सूना – …………………….
(2) ‘मन के जीते जीत है’ विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
(अ) (1) (i)
(2) ‘कर्तव्यनिष्ठा और कार्यपूर्ति’
कर्तव्यनिष्ठा यह मनुष्य का एक सद्गुण है। इससे मनुष्य के कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक काम करने का सबूत भी मिलता है। मनुष्य के इस गुण से उसकी पहचान की पूर्ती मिलती है। मनुष्य को अपना हर कर्तव्य पूरी निष्ठा के साथ निभाना चाहिए।
कार्यपूर्ति से मनुष्य के अंदर की श्रम की क्षमता पता चलती है। मनुष्य को अपना कार्य ठीक से और समय पर करना चाहिए।
(आ) (1) (i) रेल की पटरियाँ
(ii) सितारे
(iii) आँखें
(iv) आकाश
(2) ‘मन के जीते जीत है’
जब तक हमारा मन जीता है, तब तक हमारी जीत होती है। हमें अपने मन की वजह से हमारी हर क्रिया करने के लिए ताकत मिलती है।
मन हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए। मन प्रसन्न हो तो हम काम ठीक से कर सकते हैं। मन प्रसन्न हो तो हम जीत सकते हैं। लेकिन अगर हमारा मन विचलित हो जाए तो हम जीत कर भी हार जाते हैं।
मन को हमेशा यह कहते रहना चाहिए कि हम ये कर सकते हैं। मन को सकारात्मक रखना आवश्यक है।
विभाग 4 – भाषा अध्ययन (व्याकरण) 14 अंक
प्रश्न 4.
सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
(1) अधोरेखांकित शब्द का शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
गोवा देख मैं तरंगायत हो उठा।
(2) निम्नलिखित अव्ययों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(i) और
(ii) बहुत
(3) कृति पूर्ण कीजिए:
शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
………………… | सम् + तोष | ………………… |
अथवा | ||
सदैव | ……… + ……… | ………………… |
(4) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य की सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए: (1)
(i) इधर बच्चे रेत का घर बनाने लगे।
(ii) फिर भी धूप तीखी ही होती जाती।
सहायक क्रिया | मूल किया |
………………… | ………………… |
(5) निम्नलिखित में से किसी एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
(i) खाना | ………………… | ………………… |
(ii) घुलना | ………………… | ………………… |
(6) निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
मुहावरा | अर्थ | वाक्य |
(i) शेखी बघारना | ………………… | ………………… |
(ii) निजात पाना | ………………… | ………………… |
अथवा
अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए:
(दाद देना, काँप उठना)
गीता के गाने की सभी श्रोताओं ने प्रशंसा की।
(7) निम्नलिखित वाक्य पढ़कर प्रयुक्त कारकों में से कोई एक कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए: (1)
(i) कितने दिनों की छुट्टियाँ है?
(ii) आवाज ने मेरा ध्यान बँटाया।
कारक चिह्न | कारक भेद |
………………… | ………………… |
(8) निम्नलिखित वाक्य में यथास्थान उचित विराम चिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए: (1)
उन्होंने पूछा यह कौन-सा महीना चल चल रहा है।
(9) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए: (2)
(i) बहुत से लोग अपनी आजीविका शरीर श्रम से चलाते हैं (अपूर्ण भूतकाल)
(ii) वे बाजार से नई पुस्तक खरीदते हैं। (सामान्य भविष्यकाल)
(iii) आप इतनी देर से नाप-तौल करते हैं। (पूर्ण वर्तमानकाल)
(10) (i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए: (1)
आश्रम किसी एक धर्म से चिपका नहीं होगा।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए: (1)
(1) तुम्हें अपना ख्याल रखना चाहिए। (आज्ञार्थक वाक्य)
(2) थोड़ी देर बातें हुईं। (निषेधार्थक वाक्य)
(11) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए: (2)
(i) बरसों बाद पंडित जी को मित्र का दर्शन हुआ।
(ii) लड़का, पिता जी और माँ बाजार को गई।
(iii) मैं मेरे देश को प्रेम करता हूँ।
उत्तर:
(4) (1) गोवा – संज्ञा
(2) (i) और – साहिल और गणेश बहुत अच्छे दोस्त हैं
(ii) बहुत – मैं अपनी माँ से बहुत प्यार करती हूँ।
(3)
संधिशब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
संतोष | सम् + तोष | व्यंजन संधि |
अथवा | ||
सदैव | सदा + एव | स्वर संधि |
(4)
सहायक क्रिया | मूल क्रिया |
(i) लगे | लगाना |
(ii) जाती | जाना |
(5)
क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
(i) खाना | खिलाना | खिलवाना |
(ii) घुलना | घुलाना | घुलवाना |
(6) (i) शेखी बघारना – स्वयं अपनी प्रशंसा करना
वाक्य प्रयोग – मेरे दोस्त की शेखी बघारने की आदत है।
(ii) निजात पाना – मुक्ति पाना।
वाक्य प्रयोग – शायली ने बहुत दिनों के बाद बीमारी से निजात पायी।
अथवा
गीत के गाने की सभी श्रोताओं ने दाद दी।
(7)
कारक चिह्न | कारक भेद |
(i) की | संबंध कारक |
(ii) ने | कर्ता कारक |
(8) उन्होंने पूछा – “यह कौन-सा महीना चल रहा है?”
(9) (i) बहुत से लोग अपनी आजीविका शरीर श्रम से चला रहे थे।
(ii) वे बाजार से नई पुस्तक खरीदेंगे।
(iii) आपने इतनी देर से नाप-तौल की है।
(10) (i) सरल वाक्य।
(ii) (1) तुम अपना खयाल रखो।
(2) थोड़ी बातें नहीं हुई।
(11) (i) बरसों बाद पंडितजी को मित्र के दर्शन हुए।
(ii) लड़का, पिताजी और माँ बाजार गए।
(iii) मैं ड्राइवर को बुला लाया।
विभाग 5 – रचना विभाग (उपयोजित लेखन) : 26 अंक
सूचना : आवश्यकतानुसार परिच्छेद में लेखन अपेक्षित है। (26)
प्रश्न 5.
सूचनाओं के अनुसार लेखन कीजिए: (5)
(अ) (1) पत्र लेखन :
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर पत्र लेखन कीजिए:
सुनिल/समिक्षा जोशी, विवेकानंद छात्रावास, जालना से अपने छोटे भाई सुमित जोशी, 6/36 जोशी मार्ग, इंदौर, मध्य प्रदेश को “योग का महत्व” समझाते हुए पत्र लिखना/लिखती हैं।
अथवा
मोहन/मर्हिमा पालेकर, यशवंतराव चव्हाण नगर, अकोट से व्यवस्थापक, संजीवनी औषधालय, लक्ष्मी रोड, नागपुर को पत्र लिखकर आयुर्वेदिक औषधियों की माँग करता/करती है।
(2) गद्य आकलन- प्रश्न निर्मितः
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों: (4)
बसंत के आगमन के साथ ही कभी – कभी ऐसा लगता है, मानो जंगल में लाल रंग की लपटें उठ रही हों, ये लपटें आग की नहीं बल्कि पलाश के नारंगीपन लिए लाल फूलों की होती हैं। पलाश के लाल-लाल फूल – आग की लपटों के समान ही दिखाई देते हैं। इसीलिए इसे ‘फ्लेम ऑफ द फायर’ कहा जाता है।
पलाश भारतीय मूल का एक प्राचीन वृक्ष है। इसे आदिदेव ब्रह्मा और चंद्रदेव से संबंधित अलौकिक वृक्ष माना जाता है। इसमें एक ही स्थान पर तीन पत्ते होते हैं। इस पर कहावत प्रचलित है- ‘ढाक के तीन पात’। इसकी लकड़ी का हवन में उपयोग किया जाता है। इसीलिए इसे ‘याज्ञिक’ भी कहते हैं। यज्ञ में काम आने वाले पात्र भी पलाश की लकड़ी से बनाए जाते हैं।
(आ) (1) वृत्तांत लेखन: (5)
युनियन हायस्कूल मुंबई में मनाए गए ‘वृक्षारोपण समारोह’ का 60 से 80 शब्दों में वृत्तांत लेखन कीजिए।
(वृत्तांत में स्थल, काल, घटना का उल्लेख होना अनिवार्य है।)
अथवा
कहानी लेखन :
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए तथा सौख लिखिए: एक गाँव – पीने के पानी की समस्या- दूर-दूर से पानी लाना- सभी परेशान सभा का आयोजन – मिलकर श्रमदान का निर्णय-दूसरे दिन से केवल एक आदमी का काम में जुटना – धीरे-धीरे एक-एक का आना- सारा गाँव श्रमदान में ताला की खुदाई – बरसात के दिनों जमकर बारिश – तालाब का भरना – सीख।
(2) विज्ञापन लेखन: (5)
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर 50 से 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए:
(इ) निबन्ध लेखन: (7)
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए:
(1) एक किसान की आत्मकथा
(2) मेरा प्रिय खेल
(3) पुस्तक प्रदर्शनी में एक घंटा
उत्तर:
(अ) दिनांक : 08-03-20xx
प्रति,
सुमित जोशी
6/36 जोशी मार्ग
इंदौर, मध्य प्रदेश
विषयः अपने छोटे भाई को योग का महत्व समझाते हुए।
मधुर प्यार।
आशा करता हूँ कि छात्रावास में मन लगाकर पढ़ाई कर रहे होगे और अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल रख रहे होगे। कल में एक सेमिनार में भाग लेकर आया जिसका विषय था ‘योग और प्राणायाम’। जहाँ योग और प्राणायाम का महत्व बताया गया था। मैंने महसूस किया कि योग प्रमुखता से प्राणायाम का मानव जीवन में, खास तौर पर छात्रों के लिए वरदान है जिसके द्वारा हम खुद को स्वस्थ और एकाग्र रख सकते हैं। अपने घर से दूर रहने में सबसे बड़ा नुकसान स्वास्थ्य का ही होता है क्योंकि हमारा जीवन और खानपान अनियमित हो जाता है। परन्तु योग, प्राणयाम और व्यायाम के द्वारा हम एकाग्र और स्वस्थ रह सकते हैं। इसलिए भाई नियमित रूप से योग प्राणायाम करो साथ ही पढ़ाई भी मन लगाकर करो, माताजी और पिताजी का आर्शीवाद।
तुम्हारा भाई
सुमित जोशी।
अथवा
दिनांक : 30/03/20xx
प्रति
मा. व्यवस्थापक
संजीवनी औषधालय
लक्ष्मी रोड,
नागपुर – 411003
विषय – आयुर्वेदिक औषधियों की माँग करते हुए
महोदय,
मैं मोहन पालेकर कुचन प्रशाला का छात्र हूँ, मुझे आपके औषधालय से कुछ औषधि चाहिए।
हमें यहाँ पर कुछ औषधियों की जरूरत है और वह नगर में कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं। हमें इन्हें लाने के लिए शहर में जाना पड़ता है। आप हमें ये औषधियाँ भिजवा देंगे तो हमारी परेशानी दूर हो जाएगी। इनकी सूची मैं आगे दे रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आप जल्द ही भिजवाएँगे ।
सूची :
1. हर्बल नीम औषधि
2. पॅरासिटमॉल
3. पतंजली टॅब्लेट्स
भवदीय,
मोहन पालेकर
यशवंतराव चव्हाणनगर
अकोट 411004
[email protected]
(2) (i) बसंत के आगमन से कैसा लगता है?
(ii) लाल रंग की लपटें कहाँ उठ रही हैं?
(iii) पलाश के लाल फूल कहाँ दिखाई देते हैं?
(iv) ‘फ्लेम ऑफ द फायर’ किसे कहते हैं?
(आ) (1) वृत्तांत लेखन ‘वृक्षारोपण समारोह
मुम्बई के युनियन हायस्कूल में 2 जुलाई 2021 के दिन वृक्षारोपण। समारोह मनाया गया। समारोह का आयोजन सुबह ठीक 9 बजे विद्यालय के बगीचे में हुआ। समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए बहुत सारे लोग आए थे।
सबसे पहले विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने अतिथि महोदय को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। उनका संक्षिप्त परिचय भी दिया। उसके बाद विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने बगीचे के एक खोदे गए गड्ढे में अतिथि महोदय को एक आम का पौधा लगाने की प्रार्थना की। पौधे को गड्ढे में लगाने के बाद उपस्थि विद्यार्थी तथा अभिभावक को वृक्षारोपण का महत्व समझाया।
उन्होंने यह भी समझाया कि अपने घर के आसपास पेड़ लगाने से हम वातावरण को शुद्ध रख रख सकते हैं। अतः लोग स्वस्थ रहते हैं। हरियाली से मन प्रसन्न रहता है।
अध्यक्ष महोदय के भाषण के बाद लोगों ने ‘वृक्ष लगाओ देश बचाओ’ का नारा लगाया। उपस्थित सभी विद्यार्थियों ने अपने घरों के आसपास पौधे लगाने का संकल्प लिया। उसके बाद विद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका ने मुख्य अतिथि को धन्यवाद देकर समारोह संपन्न किया।
अथवा
कहानी लेखन
मेहनत का फल
एक बाभूल नामक गाँव था। उस गाँव में पीने के पानी की समस्या से सभी त्रस्त थे। पानी के लिए लोगों को दूर-दूर तक पैदल जाना पड़ता था। गाँव की औरतें, बच्चे, बूढ़े सभी परेशान थे तब गाँव के मुखिया एवं लोगों ने सभा का आयोजन किया। सभा में पानी की समस्या पर काफी चर्चा हुई। सभी ने अपने-अपने विचार प्रकट किए।
सभा में गाँव के तालाब के लिये मिलकर श्रमदान करके साफ-सफाई करने का निर्णय हुआ। दूसरे दिन से ही इस कार्य का शुभारंभ हुआ। पहले दिन इस कार्य में केवल एक ही आदमी जुट गया। उसके काम को देखकर धीरे-धीरे एक-एक करके सभी आ गए। देखते ही देखते सम्पूर्ण गाँव श्रमदान में जुट गया।
तालाब में से कचरा, कीचड़, प्लास्टिक निकाला गया, देखते ही देखते तालाब की सफाई बरसात के दिनों के पहले हो गयी। थोड़े ही दिनों में बरसात के दिन शुरू हो गये। पूरा तालाब स्वच्छ पानी से भर गया। सारा गाँव, खुशियों से झूम उठा। एक साल के लिए पीने के पानी की समस्या तो अब दूर हो गयी थी और गाँव वालों को भी यह बात समझ में आ गयी थी कि हम सब मिलकर अगर ऐसे ही हर साल तालाब सफाई का काम करेंगे, तो गाँव की औरतें, बच्चे, बूढ़े सभी की परेशानी दूर होगी। अब बाभूल गाँव में कभी पीने के पानी की समस्या नहीं रही। सारा गाँव खुशी से रहने लगा।
सीख – मिल- -जुलकर काम करने से हम किसी भी समस्या को सफलता में परिवर्तित कर सकते हैं।
(आ) (2) क्या आप नाट्याभिनय करने के लिए उत्सुक हैं? तो आज ही भेंट कीजिए दिए गए पते पर।
(इ) (1) एक किसान की आत्मकथा
हमारा भारत देश गाँवों का देश है। मैं उन्हीं गाँव में रहने वाला एक किसान हूँ। लोग मुझे अन्नदाता किसान, भूमिपुत्र जैसे कई नामों से जानते हैं सभी मेरा बहुत सम्मान करते हैं। सभी लोग मेरे द्वारा उगाया गया अन्न ग्रहण करते हैं। हम किसानों का पूरा जीवन धरती माँ की सेवा करने में गुजर जाता है। हमारा इतिहास बहुत पुराना है । सभ्यता के विकास से लेकर आज की सदी तक मैं अपने खेती व्यवसाय से जुड़ा हुआ हूँ।
मेरा नाम गिरिधर है। शिवपुर नाम के एक छोटे से गाँव में में रहता हूँ मैं एक किसान हूँ जीवन के सभी संघर्षों और सफलताओं के बावजूद मैं एक संतुष्ट और गर्वमय किसान बना हूँ।
पिताजी और दादाजी ने मुझे खेती का महत्व समझाया। मैंने जब खेती का काम शुरु किया तो मुझे पता चला कि यह काम आसान नहीं है। हम किसानों को धूप, मिट्टी और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। जीवन की मुश्किल समय में भी अपने-आप को मजबूत करना पड़ता है। मेरी लगन और मेहनत ने मुझे सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने का सामर्थ्य दिया।
मैंने नई तकनीकों का इस्तेमाल किया, बाजार की ताकत को समझा और फसल की कीमतों को नियंत्रित किया। धीरे-धीरे मैंने अपनी खेती में विदेशी तकनीकों का प्रयोग करके अधिक उत्पादन की संभावनाएँ प्राप्त की।
खेती मेरे लिए एक अद्वितीय अनुभव है जब मैं अपनी मेहनत कर फल को अपनी आँखों से देखता हूँ तो उस खुशी कोई सीमा नहीं होती। प्रकृति के साथ मेरी एकता मिट्टी के संग मेरे जीवन की एकता है। यह मुझे सुंदर और मूल्यवान जीवन का आनंद देती है।
(2) मेरा प्रिय खेल
वैसे तो विश्व में कई खेल हैं पर मेरा सबसे प्रिय खेल है क्रिकेट यह खेल कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ था। क्रिकेट में दो संघ आपस में खेलते हैं। हर संघ में 11-11 विरोधी खिलाड़ी होते हैं। इसमें उन्हें बैटिंग, कीपिंग और फील्डिंग भी करनी पड़ती है।
यह खेल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर भी खेला जाता है प्रिमियम लीग पर भी खेला जाता है। इस खेल में खेलने वाले कई खिलाड़ियों ने विश्व के सबसे बड़े पुरस्कार भी जीते हैं। इस खेल के एक खिलाड़ी को इसका देवता, प्रभु के नाम से भी जाना जाता है और उस खिलाड़ी का नाम है ‘सचिन तेंदुलूकर।
यह खेल विश्व में सबसे ज्यादा खेला जानेवाला खेल है। यह खेल बहुत लोकप्रिय है।
इसलिए क्रिकेट मेरा प्रिय खेल है।
(3) पुस्तक प्रदर्शनी में एक घंटा
पुस्तकें ज्ञान-विज्ञान का भंडार होती हैं। पुस्तकें अनमोल होती हैं। हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं। मुझे पुस्तकों से बचपन से बहुत प्यार है। मेरा मानना है कि व्यक्ति आते हैं, जाते हैं परंतु उनके श्रेष्ठ विचार ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति, मानवी मूल्य पुस्तकों के रूप में जीवित रहते हैं। अपने ज्ञान में वृद्धि करने के लिए हमें पुस्तकें पढ़नी चाहिए।
मेरे पुस्तकों के प्रति शौक के कारण जब भी मेरे शहर में पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित होती, वहाँ मैं अवश्य जाता हैं। हाल ही में हमारे शहर में एक मेले का आयोजन किया गया वहाँ पुस्तक प्रदर्शनी भी थी। मैं अपने दोस्त के साथ पुस्तक प्रदर्शनी देखने गया। जब मैंने वह प्रदर्शनी देखी तब मेरी आँखें खुशी से चमक उठीं। वहाँ अनेक स्कूलों के विद्यार्थी आए हुए थे। मेरे लिए यह अनुभव किसी वरदान से कम नहीं था। मैं कभी पुस्तक प्रदर्शनी देखने का मौका हाथ से नहीं जाने देता। पुस्तक हो मेरी सच्ची मित्र हैं।